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सरकारी कार्यकुशलता में सुधार के संबंध में राज्य मुख्य सूचना आयुक्त प्रदीप व्यास से चर्चा

सामना संवाददाता / मुंबई

महाराष्ट्र राज्य सूचना आयोग के राज्य मुख्य सूचना आयुक्त डॉ. प्रदीप व्यास के साथ प्रतिनिधिमंडल की हुई चर्चा में बेहद महत्वपूर्ण मुद्दे उठाए गए हैं। आरटीआई प्रक्रिया में आने वाली कठिनाइयों को दूर करने और नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए कुछ ठोस सुधारों का सुझाव दिया गया है। इसमें विशेष रूप से पीआईओ की प्रतिक्रिया में देरी और पहली अपील की सुनवाई में देरी पर ध्यान केंद्रित किया गया है। डॉ. प्रदीप व्यास से आरटीआई कार्यकर्ताओं के प्रतिनिधिमंडल की सकारात्मक चर्चा हुई।
इस प्रतिनिधिमंडल में सूचना अधिकार मंच के संयोजक भास्कर प्रभु के साथ आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली, बॉम्बे कैथोलिक सभा के डॉल्फी डिसूजा, मोहम्मद अफजल, एडवोकेट सुनील अहया, अनिल इंदुलकर शामिल हुए। 1 घंटे की चर्चा के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं-
पीआईओ और प्रथम अपील की सुनवाई में देरी को कम करने के लिए संबंधित सरकारी निर्णयों में संशोधन करना। प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के सकारात्मक आदेशों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करना। यशदा के आरटीआई जागरूकता मैनुअल को मुद्रित करने की अनुमति प्राप्त करना और इसे सस्ती कीमत पर उपलब्ध कराने के उपाय करना और नागरिकों के लिए समय पर प्रशिक्षण आयोजित करना।
सरकारी विभागों और सार्वजनिक प्राधिकरणों की वेबसाइटों पर सभी परिपत्रों और सरकारी निर्णयों को अलग-अलग आरटीआई टैब में अपलोड करना। सार्वजनिक प्राधिकरणों के लिए राज्य आरटीआई पोर्टलों को जोड़ना अनिवार्य करना। केंद्रीय आयोग की वेबसाइट के समान राज्य आयोग की वेबसाइट का पुनर्गठन एवं अद्यतनीकरण करना। विभिन्न मुद्दों पर संवाद करने और समाधान करने के लिए आयोग और आरटीआई हितधारकों के बीच नियमित बैठकें आयोजित करना। मासिक रिकॉर्ड रख-रखाव में शामिल करने के लिए रिकॉर्ड देरी के सरकारी निर्णय को फिर से जारी करना। नागरिक प्रशिक्षण के लिए यशदा को बजट आवंटन उचित समय अंतराल पर आवंटित किया जाना चाहिए, ताकि इसका उपयोग किया जा सके।
अनुच्छेद 4 के तहत सार्वजनिक प्राधिकरणों के ऑडिट के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन में सभी सार्वजनिक प्राधिकरणों में वर्चुअल सुनवाई शुरू करने के निर्देश दिए जाएं। सभी सरकारी निर्णयों को आयोग की वेबसाइट पर अपलोड किया जाना चाहिए। इसके अलावा विधायकों और सांसदों की निधि की विश्वसनीय जानकारी कलेक्टर की वेबसाइट पर अपलोड की जाए। नागरिकों की ओर से सार्वजनिक परामर्श और प्रतिनिधित्व की व्यवस्था करना।

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