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पकवान खाने वालों सावधान! … शरीर को खतरनाक रंगों से डिटॉक्स करना है जरूरी

 ४० से अधिक उम्र वाले बीपी, शुगर की करवा लें जांच

सामना संवाददाता / मुंबई
होली का मतलब है रंगों का त्योहार और रंगों के साथ मिठाइयों का स्वाद भी घुलता है। हिंदुस्थान के त्योहारों में पकवान बनना सामान्य है। ऐसे में हर चीज को न-न करते हुए भी लोग इतने पकवान और मिठाइयां खा ही लेते हैं। लेकिन लोगों के बीपी, शुगर सामान्य से कहीं ऊपर पहुंच जाते हैं, जिससे जान सांसत में पड़ जाती है। इन्हें खाने के बाद शरीर की जो हालत होती है पूछिए मत। इसे अगर जल्दी से डिटॉक्स न किया जाए तो मुश्किल खड़ी हो सकती है।
उल्लेखनीय है कि सोमवार को होली का त्योहार पूरे देश में जोश और उमंग के साथ मनाया गया। इस बीच लोगों ने रंग-बिरंगे रंगों के साथ-साथ मीठे और स्वादिष्ट पकवानों का भी जमकर स्वाद चखा है। हालांकि, पकवानों और मिठाइयों का अधिक सेवन करने से शरीर में जमकर टॉक्सिंस इकट्ठा हो जाता है, जिसे बाहर न निकालने पर यह खतरनाक हो सकता है। चिकित्सकों के मुताबिक, डिटॉक्सिफिकेशन मौजूदा समय की बेहद चर्चित प्रक्रिया है। इसमें शरीर में मौजूद टॉक्सिंस को बाहर निकालते हैं। त्योहार में बहुत पकवान और मिठाई खाने से शरीर में पैâट और शुगर बहुत बढ़ जाता है। इस दौरान बहुत नमकीन खाना हमारा बीपी भी बढ़ा देता है। इसे सामान्य करने के लिए शरीर को डिटॉक्स करने की जरूरत पड़ती है।
अच्छी नींद है जरूरी
त्योहार के समय ज्यादा फैटी फूड्स खाने से मेटाबॉलिज्म पर लोड बढ़ता है। अगर यह देर रात तक फंक्शन करता है तो इसका असर नींद पर पड़ता है। साउंड स्लीप नहीं मिलती है, इसकी भरपाई थोड़ी ज्यादा देर सोकर कर सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि अगर दो घंटे ज्यादा सो लिया जाए तो शरीर को आराम मिल जाता है।
इससे भी मिलती है मदद
चिकित्सकों के मुताबिक, हमारे खाने का असर शारीरिक और दिमागी सेहत पर भी होता है। त्योहार के दौरान हमारे शरीर में एक्स्ट्रा एनर्जी और पैâट जमा हो गया होता है, इसलिए वैâलोरीज बर्न करने के लिए एक्सरसाइज करने की जरूरत होती है, जबकि ढेर सारे पकवान और मिठाइयां खाने से हुए हॉर्मोनल इंबैलेंस में संतुलन बनाने के लिए मेडिटेशन की जरूरत होती है।
पीएं ज्यादा से ज्यादा पानी
सबसे अच्छा डिटॉक्सिंग एजेंट पानी होता है। जब हमारा शरीर टॉक्सिंस से हुए नुकसान को रिपेयर करता है तो इसके लिए एनर्जी की जरूरत होती है। हमारी खाई चीजों को एनर्जी के रूप में ब्रेक डाउन करने के लिए पानी चाहिए, फिर इन टॉक्सिंस को वेस्ट के रूप में बाहर निकालने के लिए भी पानी की जरूरत होती है, क्योंकि ये पेशाब या मल के साथ बाहर निकलेंगे। अगर रोजाना पानी की जरूरत से दो गिलास ज्यादा पानी पीया जाए तो यह पर्याप्त होगा। इसके साथ ही एंटी-ऑक्सीडेंट्स वाले पदार्थों का सेवन करवाना चाहिए। विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-ई और सेलेनियम से भरपूर फूड्स सबसे बेहतर एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं।

 

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