सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य में वरिष्ठ नेता एकनाथ खड़से और भाजपा के वरिष्ठ नेता गिरीश महाजन के बीच विवाद नया नहीं है। जहां भी मौका मिलता है, दोनों एक- दूसरे को निशाना बनाने से चूकते नहीं हैं। ऐसा ही मौका विधान परिषद में भी दिखा, जहां किसानों के मुद्दे पर दोनों भिड़ गए। इस बार राज्य के किसानों को कपास के भाव को लेकर दोनों में शुरू हुई बहस धीरे-धीरे व्यक्तिगत टिपण्णी तक पहुंच गई। खड़से ने गिरीश महाजन की दुखती नब्ज पर हाथ रख दिया और फिर क्या था गिरीश महाजन भड़क गए। खड़से ने कहा कि सरकार ने किसानों को कपास का भाव नहीं दिया है। आज भी किसानों ने कपास अपने घर में रखा है। सरकार कि ओर से कपास की खरीदी नहीं की गई है। उन्हें उचित भाव मिलना चाहिए। खड़से ने कहा कि गिरीश भाऊ भी हैं यहां, जिन्होंने पहले इन्हीं किसानों के लिए १० दिनों तक आंदोलन किया था। मैं भी उनके साथ था। किसानों को न्याय दिलाने में ये भी कितने सक्षम हैं। गिरीश महाजन की खिंचाई करते हुए उन्होंने कहा कि महाजन खुद को मजबूत स्थिति और बॉस के सबसे करीबी बताते हैं लेकिन अब तक जिले के पालक मंत्री तक नहीं बन पाए हैं। जिसके बाद गिरीश महाजन ने खड़से को कहा कि मेरी नहीं, अपनी स्थिति देखें, इसके बाद दोनों के बीच जम कर विवाद हुआ, इन्हें शांत कराने के लिए इनके माइक बंद कर दिए गए। इसके अलावा उपसभापति ने भी उन्हें हस्तक्षेप कर शांत कराया। इनके बीच संवाद के बहुत मामलों को रिकॉर्ड से हटा दिया गया।