-बारिश में बह गई कई ट्रक मिट्टी
-भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की मांग
अनिल मिश्रा / उल्हासनगर
उल्हासनगर के भाजपा विधायक कुमार आयलानी के द्वारा उल्हास नदी के किनारे विसर्जन घाट बनाया जा रहा है। यह विसर्जन घाट एक तरफ घटिया तो दूसरी ओर नदी में प्रदूषण बढ़ा रहा है। बन रहे घाट के निर्माण कार्य की जांच करने की मांग के साथ ही निर्माण किया गया घाट कितने दिन तक चलेगा ऐसे सवाल उठ रहे हैं। साथ ही इसमें हुए घोर भ्रष्टाचार के खिलाफ जांच की मांग की जा रही है।
बता दें कि उल्हासनगर के पास से उल्हास नदी बहती है। रेजेंसी एंटेलिया के समीप व उल्हास नदी के किनारे भाजपा विधायक ने एक साल पहले बारह करोड़ रुपए की लागत से विसर्जन घाट के अलावा अन्य कई तरह का निर्माण शुरू किया है। इस घाट को बनाते समय कई ट्रक मिट्टी डाली गई थी। लेकिन वह मिट्टी तेज बरसात में बह गई। सवाल है बारह करोड़ रुपए की लागत से बन रहा विसर्जन घाट कितने साल तक चलेगा? आशंका तो यह भी जताई जा रही है कि यह घाट भविष्य में उल्हास नदी में प्रदूषण को बढ़ावा दे सकता है।
गौरतलब है कि आज निर्माणाधीन घाट के इर्द गिर्द शराब की बोतलें, प्लास्टिक के गिलास के अलावा प्लास्टिक की थैलियां भी पड़ी हुई हैं। नदी के किनारे बनाए जा रहे घाट के संबंध में `उल्हास नदी बचाओ कृती समिति’ के अध्यक्ष रविंद्र लिंगायत द्वारा महाराष्ट्र शासन, प्रदूषण नियंत्रण मंडल में शिकायत की जा चुकी है। एक तरफ म्हारल गांव से नाले का दूषित पानी नदी में मिल रहा है, वहीं दूसरी ओर उल्हास नदी के किनारे बन रहे घाट की वजह से लोगों के पीने के पानी में जहर घोलने जैसा काम होगा। ऐसी आशंका व्यक्त की जा रही है। इस काम के बारे में एक भवन निर्माता ने बताया कि घाट की लागत १२ के करोड़ रुपए है, जिसमें बड़ा भ्रष्टाचार है। निर्माणकार्य में देरी कर बजट बढ़ाने की भी साजिश हो सकती है।
अब तक कृतिम तालाब में होता था विसर्जन
अब तक मनपा प्रशासन उल्हासनगर के इर्द-गिर्द के शहर से श्री गणेश विसर्जन, दुर्गा पूजा, छठ, ज्यूतिया माता की पूजा, कृत्रिम तालाब का निर्माण कर करता आया है। अब घाट का निर्माण कर नदी में यदि मूर्तियों का विसर्जन किया गया तो नदी में प्रदूषण बढ़ेगा।
घटिया बन रहा है घाट
इस बारे में म्हारल शहर के युवा अधिकारी अंकित व्यवहारे का कहना है कि विसर्जन घाट में जनता का पैसा लग रहा है। उसे मजबूत बनाने की जरूरत है। घटिया घाट के कारण लोगों का करो़ड़ों रुपया पानी में बह न जाए, कहीं ऐसे सवाल उठ रहे हैं। घाट के निर्माण की विशेषज्ञों के द्वारा जांच करने की जरूरत है। इसके अलावा घाट कहीं शराबियों का अड्डा न बन जाए, ऐसी संभावना जताई जा रही है।