-एनडीए में जारी है जोरदार अंदरूनी खींचतान
-२०१९ में १७; २०१४ में १५ घंटे में बंट गए थे विभाग
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
भारी मचमच के बाद किसी तरह कल शाम को मोदी मंत्रिमंडल में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हो पाया। असल में मंत्रिमंडल में शामिल सहयोगी दल मलाईदार और प्रमुख मंत्रालय की मांग कर रहे थे, जिससे विभागों के बंटवारे में देरी हुई। इससे राजनीतिक विश्लेषकों का अंदाज है कि अगर एनडीए में इसी तरह से खींचतान चलती रही और असंतोष पनपता रहा तो फिर यह सरकार कभी भी उलट सकती है।
बता दें कि मोदी सरकार की दो प्रमुख बैसाखी टीडीपी और जेडीयू हैं। दोनों ही गृह, वित्त, रक्षा और रेल जैसे प्रमुख मंत्रालयों की मांग पर अड़े थे। यही नहीं टीडीपी तो वैâबिनेट में भी ज्यादा हिस्सा मांग रही थी। इसी कारण विभागों के बंटवारे में २४ घंटे का वक्त लग गया क्योंकि दोनों सहयोगी मान नहीं रहे थे। इसके पूर्व २०१९ में शपथग्रहण के १७ घंटे में ही विभागों का बंटवारा हो गया था, जबकि २०१४ में तो सिर्फ १५ घंटे में ही आसानी से विभाग बंट गए थे। गौरतलब है कि इस बार टीडीपी की नजर गृह, वित्त और रक्षा मंत्रालय पर थी इसलिए परिणाम आने के बाद ४ जून की रात से उसने मोलभाव शुरू कर दिया था। टीडीपी को राज्य के विकास के लिए पैसा चाहिए इसलिए वह वित्त विभाग पर नजरें गड़ाए थी, जबकि मोदी सरकार सीसीएस में किसी सहयोगी दल को घुसने नहीं देना चाहती थी इसलिए किसी तरह नायडू को इस बात के लिए राजी किया गया कि उन्हें जो भी जरूरत होगी वे बता दें, उसकी पूर्ति की जाएगी। बता दें कि वैâबिनेट कमिटी ऑफ सिक्योरिटी में सरकार के चार महत्वपूर्ण मंत्रालय रक्षा, गृह, वित्त और विदेश मंत्रालय आते हैं। महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह सीसीएस ही निर्णय लेती है। अगर इनमें सहयोगी दल की घुसपैठ हो जाती तो महत्वपूर्ण मुद्दों पर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ सकती थीं। बता दें कि नए बंटवारे में सीसीएस में शामिल सभी मंत्रियों को पुराने विभाग दिए गए हैं।
इस बार टीडीपी की नजर गृह, वित्त और रक्षा मंत्रालय पर थी इसलिए परिणाम आने के बाद ४ जून की रात से उसने मोल-भाव शुरू कर दिया था। टीडीपी को राज्य के विकास के लिए पैसा चाहिए इसलिए वह वित्त विभाग पर नजरें गड़ाए थी।’