सामना संवाददाता / मुंबई
त्योहारों के वक्त डीजे की तेज ध्वनि से आम लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं। अब यह मामला हाई कोर्ट पहुंच चुका है। मुंबई हाई कोर्ट ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए माना है कि डीजे डेंजरस है। डीजे से ध्वनि प्रदूषण संबंधी एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुंबई हाई कोर्ट ने गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि जब गणपति उत्सव का डीजे हानिकारक हो सकता है तो ईद मिलादुन्नवी के जुलूस का डीजे क्यों नहीं हानिकारक हो सकता?
उच्च डेसीबल के ध्वनि उपकरणों पर लगे रोक!
त्योहारों पर होनेवाला ध्वनि प्रदूषण का मामला अब मुंबई हाई कोर्ट पहुंच चुका है। इस मामले में एक जनहित याचिका दायर कर त्योहारों में उच्च डेसीबल के ध्वनि उपकरणों के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की गई है। मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने कहा कि डीजे का जो प्रभाव गणपति उत्सव में होगा, वहीं दूसरे कार्यक्रमों में भी होगा। यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने की है। याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका में कोर्ट से आग्रह किया था कि एक ऐसा आदेश जारी किया गया, जिसे देखते हुए चाहे नगर निकाय हों या पुलिस, उच्च डेसीबेल के ध्वनि उपकरणों के इस्तेमाल की अनुमति ही न दे सकें।
बता दें कि मुंबई हाई कोर्ट ने पिछले महीने एक आदेश जारी किया था। इसमें साफ तौर पर कहा था कि जिन त्योहारों में ध्वनि प्रदूषण नियम २००० का उल्लंघन होगा, वहां एजेंसियां तत्काल लाउड स्पीकर व अन्य ध्वनि प्रणालियों को जब्त कर लेंगी। इसी आदेश का हवाला देते हुए खंड पीठ ने टिप्पणी की। कोर्ट ने कहा कि जब डीजे की आवाज से गणपति उत्सव में लोगों को नुकसान पहुंच सकता है तो ईद के जुलूस में यह अच्छा वैâसे हो सकता है? हाई कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि चाहे हदीस हो या कुरान, किसी भी ग्रंथ में उत्सव के लिए डीजे सिस्टम या लेजर लाइट के इस्तेमाल का उल्लेख नहीं है। याचिकाकर्ता के वकील ओवैस पेचकर ने मामले की सुनवाई के दौरान आग्रह किया कि जो आदेश गणपति उत्सव के संदर्भ में जारी हुआ था, उसमें ईद समेत अन्य सभी त्योहारों को शामिल किया जाए, जिसमें डीजे का इस्तेमाल होता है। सुनवाई के दौरान लेजर लाइट से नुकसान पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने वैज्ञानिक सबूत दिखाने को कहा। कोर्ट ने कहा कि जब तक इस संबंध में वैज्ञानिक सबूत सामने नहीं आते, कोर्ट इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले सकता।
सुनवाई के दौरान लेजर लाइट से नुकसान पर टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने कहा कि जब तक इस संबंध में वैज्ञानिक सबूत सामने नहीं आते, कोर्ट इस मामले में कोई निर्णय नहीं ले सकता।