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डॉक्टर ही बन रहे रोगी! … एच३एन२ संक्रमितों में हुआ इजाफा

अस्पताल में हो रहे भर्ती
सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा और राज्य सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में कार्यरत डॉक्टर ही अब इन्फ्लूएंजा ए के उपप्रकार एच३एन२ की चपेट में आ रहे हैं। डॉक्टरों के मुताबिक, एक हफ्ते में १५ से ज्यादा डॉक्टरों के इस बीमारी से संक्रमित होने के मामले सामने आए हैं। संक्रमित डॉक्टरों में से ६-७ डॉक्टर ऐसे हैं, जिन्हें मरीजों के जरिए एच३एन२ हुआ है। डॉक्टरों का कहना है कि पिछले कुछ हफ्तों में बुखार और लगातार खांसी जैसे लक्षणों के साथ मुंबई में इन्फ्लूएंजा संक्रमणों में उल्लेखनीय वृद्धि भी देखी गई है। कुछ रोगियों को अस्पताल में भर्ती होने की भी आवश्यकता पड़ रही है। चिकित्सकों के मुताबिक, पिछले वर्ष देखे गए मामलों की तुलना में इस वर्ष का संक्रमण अधिक घातक है। इसकी चपेट में आनेवाले रोगियों को ठीक होने में समय लग रहा है।
डायरिया सिरदर्द के बढ़े मरीज
मुंबई के अस्पतालों की ओपीडी में खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, शरीर में दर्द और दस्त की शिकायत करनेवाले रोगियों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है। एक चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि हर तीसरा रोगी एक डॉक्टर है, क्योंकि वे लगातार उन रोगियों को देख रहे हैं, जो इन्फ्लूएंजा ए से पीड़ित हैं। इसके अलावा डायरिया और सिरदर्द की शिकायत करनेवाले मरीजों की संख्या में २०-३० फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
दवा के साथ-साथ आराम भी है जरूरी
एच३एन२ वायरस से होने वाली बीमारी के खिलाफ कुछ एंटीवायरल ड्रग्स को प्रभावी दिखाया गया है। इसके अलावा पर्याप्त पानी पीना और आराम करना जरूरी है। चिकित्सकों के अनुसार, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, डिहाइड्रेशन, मतिभ्रम होने पर अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है। इसके अलावा अगर आपको हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी विकार और अन्य कमोरबिटीज हैं तो अधिक देखभाल की आवश्यकता है।
हाथ धोएं, मास्क लगाएं
एच३एन२ जैसे वायरस को पैâलने से रोकने के लिए अपने हाथ धोएं और मास्क पहनें। साथ ही विभिन्न बीमारियों से जूझनेवाले लोग भीड़ में जाने से बचें। इसके अलावा खांसते समय रूमाल रखें। लगातार अपनी आंखों और मुंह को छूने से बचें।

ये हैं लक्षण
लक्षणों में विशेष रूप से बच्चों में कफ, बुखार, गले में खराश, शरीर में दर्द, ठंड लगना, कंपकंपी, कमजोरी, उल्टी और जुलाब शामिल हैं। कमोरबिटीज वाले रोगियों, वरिष्ठ नागरिकों, बच्चों और उपचार के कारण कमजोर प्रतिरक्षा वाले रोगियों में इस विकार के विकसित होने का सबसे अधिक खतरा होता है। इससे निमोनिया, श्वसन प्रणाली बंद होने से जान भी जा सकती है।

• जेजे अस्पताल में जनरल फिजिशियन डॉ. मधुकर गायकवाड़ के अनुसार, बीते कुछ दिनों से ओपीडी में एच३एन२ से संक्रमित रोगियों की भीड़ देखी जा रही है। उन्होंने कहा कि हम हर दिन देख रहे हैं कि पांच मामलों में से चार एच३एन२ और एक एच१एन१ के हैं। रोगी शरीर में दर्द, मांसपेशियों में दर्द, नाक बहने के साथ सिरदर्द की शिकायत लेकर पहुंच रहे हैं।

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