रमेश सर्राफ धमोरा
झुंझुनू। फर्जी आर्गन ट्रांसप्लांट मामले में बदनाम हो चुका राजस्थान में अब एक और मामला सामने आया है। डॉक्टर ने महिला मरीज की संक्रमित किडनी की जगह सही किडनी निकाल दी। मरीज का ऑपरेशन झुंझुनू के धनखड़ हॉस्पिटल में हुआ है। अब मरीज की हालत गंभीर है और अभी डायलिसिस भी किए जाने की स्थिति नहीं है। झुंझुनू कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने बताया कि इस हॉस्पिटल को सीज कर दिया है।
पीड़िता बानो (54) झुंझुनू जिले के नुआं गांव (तहसील मंडावा) की रहने वाली है। बानो को पेट में कभी भी तेज दर्द हो जाता था। कुछ दिन पहले दर्द होने पर उसे धनखड़ अस्पताल ले गए। बानो के पति शब्बीर ने बताया कि पहले भी स्टोन का दर्द हुआ था। इस बार भी डॉ. संजय धनखड़ के पास गए तो उन्होंने कहा कि स्टोन का बार-बार दर्द होगा। इसलिए किडनी निकाल देते हैं। यदि यह नहीं निकाली तो किडनी खराब हो जाएगी और जिंदगी भर दर्द होता रहेगा। डॉक्टर ने 15 मई को किडनी निकालने की सर्जरी की थी।
17 मई को मरीज के पेशाब में मवाद आने लगा और दर्द बढ़ गया। परिजनों ने डॉक्टर से पूछा तो उसने जयपुर जाने को कहा और चेताया कि एसएमएस में सर्जरी के लिए कुछ मत बताना। परिजनों ने मरीज को 21 मई को जयपुर में भर्ती कराया। यहां जांच में पता चला कि बाईं ओर की किडनी निकाल दी है। जबकि संक्रमण दाईं ओर की किडनी में था। मामला बढ़ता देख डॉ. संजय धनखड़ खुद परिजनों के पास पहुंच कर बोला कि वह बानो का पूरा इलाज करा देगा लेकिन सरपंच रघुवीर, पति शब्बीर ने मना कर दिया। शब्बीर ने कहा कि हम गरीब हैं कैसे इलाज कराएं।
जयपुर में एसएमएस अस्पताल के सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक में बानो को एडमिट किया गया है। डॉक्टर्स को मामला पता चला तो उन्होंने बोर्ड का गठन कर दिया। इसमें नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी के डॉक्टर्स से लेकर मेडिकल ज्यूरिस्ट शामिल हैं। एसएमएस मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल को लिखित शिकायत की गई है। जांच की जा रही है। एसएमएस मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. दीपक माहेश्वरी ने बताया कि गलत किडनी निकालने का मामला है। इलाज के लिए कहा गया है। मामला दर्ज होता है तो पुलिस कार्रवाई करेगी। गरीब बानो का एक बेटा और बेटी है। पूरा गांव बानो का हालचाल पूछने आ रहा है तो दोनों बच्चे सहमे हैं।
झुंझुनू कलेक्टर चिन्मयी गोपाल ने बताया कि स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की टीम जांच कर रही है। इस केस और बाकी पेशेंट के रिकॉर्ड को सीज किया है। जांच की जा रही है कि क्या यह मेडिकल लापरवाही का केस है या कुछ और। फिलहाल इस हॉस्पिटल को सीज कर रहे हैं। यहां के सभी पेशेंट को बीडीके हॉस्पिटल में शिफ्ट करवा दिया गया है। डा. धनखड़ ने अपना मोबाइल स्वीच आफ कर रखा है।