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कहीं ४०० पार का मतलब यह तो नहीं

– गजेंद्र भंडारी

आप नेता और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी की गूंज राजस्थान तक सुनाई दी है। हालांकि, उनकी गिरफ्तारी पर पूरे देश में ही चर्चा है और विपक्षी दल भाजपा सरकार खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेर रहे हैं। इसी क्रम में राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी भाजपा को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने मोदी को तानाशाह कहा है और देश में संवैधानिक पदों पर बैठे नेताओं की गिरफ्तारी पर सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि बीजेपी केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है। इससे पहले झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को भी गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, भाजपा को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है। भाजपा को मतलब है, तो सिर्फ ४०० पार के आंकड़े से। लोगों का कहना है कि कहीं ४०० पार का मतलब ४०० नेताओं को जेल भेजना तो नहीं है? क्योंकि एक के बाद एक जिस तरह से विपक्षी पार्टियों के नेताओं को घेरा जा रहा है, उन पर कार्रवाई हो रही हैं, इससे तो यही लग रहा है कि भाजपा ४०० पार का सपना इसी तरह से पूरा करने वाली है।

मांगा था विधानसभा का टिकट, मिला लोकसभा का
किसकी किस्मत कब खुल जाए, कहा नहीं जा सकता। कल तक जो नेता विधायकी के लिए टिकट मांग रहे थे, आज उन्हें सांसदी का टिकट मिल गया है। इनमें से एक नाम है सुनील शर्मा का, जिन्हें जयपुर शहर सीट से कांग्रेस ने टिकट दिया है। शर्मा लंबे समय से कांग्रेस से जुड़े हैं और पेशे से शिक्षाविद हैं। शर्मा इससे पहले विधानसभा का टिकट मांग चुके हैं, लेकिन उनका टिकट कट गया था। अब उन्हें कांग्रेस ने लोकसभा में मौका दिया है। वैसे, यह भी कह सकते हैं कि ऐन वक्त पर कांग्रेस नेता ज्योति खंडेलवाल भाजपा में शामिल हो गई, इसलिए उन्हें लोकसभा में कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बना दिया। भाजपा ने अब तक अपना उम्मीदवार तय नहीं किया है, लेकिन माना जा रहा है कि ज्योति को भी मौका मिल सकता है। हालांकि, और भी नाम हैं लिस्ट में। अगर भाजपा ज्योति को मौका देती है, तो भाजपा के लिए यह नुकसानदेह होगा, क्योंकि पहले से उम्मीद लगाए बैठे नेता रूठ जाएंगे और इससे भाजपा के खिलाफ भी वोट पड़ सकते हैं। फिलहाल, भाजपा की लिस्ट का इंतजार है।

एक को मना रहे, दूसरे को पूछ नहीं रहे
भाजपा में या तो किसी को बहुत ज्यादा सिर पर चढ़ा दिया जाता है या फिर किसी को पूछा ही नहीं जाता। यही हाल इन दिनों दो नेताओं का है। पहले हैं भाजपा से बगावत करनेवाले शिव के निर्दलीय विधायक रविंद्र सिंह भाटी। भाटी को मनाने के लिए भाजपा के बड़े नेता दो दिन तक उनके घर डेरा डाले रहे, लेकिन वह मानने के मूड में नहीं हैं। वह लगातार क्षेत्र का दौरा कर रहे हैं और चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। उनको मनाने के लिए मुख्यमंत्री स्तर तक बैठक हो चुकी है, लेकिन वह टस से मस नहीं हो रहे हैं। उन्हें मनाना बीजेपी के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है। दूसरी तरफ हैं प्रियंका चौधरी, जिन्होंने बाड़मेर से बगावत की है। प्रियंका वर्तमान विधायक हैं। हालांकि, अब तक उन्हें किसी नेता ने पूछा तक नहीं है। कोई उनके दरवाजे उन्हें मनाने नहीं पहुंचा है। उन्होंने भाजपा से बगावत करके विधानसभा का चुनाव लड़ा था और वह जीत भी गई थीं। बावजूद इसके पार्टी ने उन्हें वापस नहीं लिया और न ही उन्हें मनाने के लिए कोई पहुंचा। इससे वह थोड़ी दुखी हैं।

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