-प्लास्टिक के कण पाचन तंत्र को भी पहुंचा सकते हैं नुकसान
सामना संवाददाता / नई दिल्ली
आजकल ऐसे बहुत कम लोग होंगे, जो स्टील या तांबे की बोतल से पानी पीते हैं। बाजार में कई तरह की डिजाइन वाली प्लास्टिक बोतलें मिलने लगी हैं, जिसे देख बच्चे, बड़े सभी लोग खरीद लेते हैं और उसी से दिनभर पानी पीते हैं। ये डिजाइन वाली बोतलें कब शरीर के लिए खतरनाक बन जाती हैं, पता ही नहीं चलता। विशेषज्ञों के मुताबिक प्लास्टिक की बोतलें केमिकल्स और बैक्टीरिया से भरी होती हैं, इसमें बीपीए जैसे रसायन मौजूद होते हैं। गर्मी या धूप में रखने पर यह रसायन पानी में मिल सकता है। इस पानी को पीने से पेट से जुड़ी बीमारियां होने लगती है। यही नहीं लगातार प्लास्टिक बोतल से पानी पीने से पथरी की भी समस्या हो सकती है।
मिली जानकारी के मुताबिक, बीपीए हमारी बॉडी के हार्मोन को असंतुलित कर वैंâसर के खतरे को बढ़ा देता है। प्लास्टिक की बोतलों से पानी पीने से माइक्रोप्लास्टिक जैसे छोटे प्लास्टिक के कण हमारे शरीर में आ जाते हैं। ये कण हमारे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं और दिल से जुडी बीमारियों का खतरा ब़ढ़ जाता है। गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं को प्लास्टिक की बोतल से पानी नहीं पीना चाहिए, ऐसा करना उनके लिए हानिकारक हो सकता है।
ऐसे करें बचाव
डॉक्टरों के अनुसार, प्लास्टिक बोतल का सेवन पुरुषों के स्पर्म काउंट को घटाता है और लीवर को भी गंभीर नुकसान पहुंचाता है। प्लास्टिक की बोतलों के नुकसान से बचने के लिए कांच, स्टेनलेस स्टील, या तांबे की बोतलों का उपयोग करना चाहिए। तांबे का पानी पीने से ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और पाचन से जुड़ी दिक्कतें तो दूर होती ही हैं, साथ ही पित्त की तकलीफ भी दूर हो जाती है। इसके अलावा पानी को फिल्टर कर घर में ही स्टोर करना चाहिए। एक बार इस्तेमाल करने के बाद प्लास्टिक की बोतलों को दोबारा उपयोग नहीं करना चाहिए।