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हमसे प्यार मत करना

गजल

इस क़दर हमसे प्यार मत करना
ज़िंदगी सोगवार मत करना

वादा करके भी भूल जाते हो
हमसे कोई करार मत करना

कितनी ही बार गलतियां होंगी
उनका अब तुम सुधार मत करना

हम तो वैसे भी तेरे घायल हैं
और नजरों के वार मत करना

वार खंजर सी इस नज़र का है
मेरे सीने से पार मत करना

माफ़ कर दीजिए गिले-शिकवे
गलतियाँ अब हजार मत करना

ये ‘कनक’ जो ख़ता हुई तुमसे
अब उन्हें बार बार मत करना

डॉ कनक लता तिवारी

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