अभिषेक कुमार पाठक / मुंबई
मुंबई की सड़कों पर बने स्पीड ब्रेकर नई डबल डेकर बसों को डबल ‘ब्रेक’ कर रहे हैं। ये बसें नीचे तल की तरफ से ‘ब्रेक’ यानी टूट रही हैं। इन बसों के तल की ऊंचाई पहले की पुरानी सामान्य बसों के मुकाबले काफी कम है। इसलिए वे स्पीड ब्रेकर से टकराकर खराब हो रही हैं।
बता दें कि पुरानी डबल डेकर बसों की जगह नई डबल डेकर बसें ले रही हैं। लेकिन ये नई डबल डेकर बसें मुंबई के रास्तों पर बने गड्ढों को झेलने में सक्षम नहीं हैं। बेस्ट के बेड़े में कई इलेक्ट्रिक एसी डबल डेकर बसें शामिल हो गई हैंै। इन बसों की डिजाइन ‘लो-फ्लोर’ है, जिससे इनके निचले हिस्से और सड़क के बीच की दूरी काफी कम है। इसलिए सड़क पर स्पीड ब्रेकर के ऊपर से गुजरते समय इन बसों का निचला हिस्सा घिस रहा है। ऐसे में स्पीड ब्रेकर पर बसों को चलाने में चालकों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
धीरे से लगा जोर का झटका!
सड़क से घिसकर नई डबल डेकर बसें हो रहीं हैं खराब
दब रहे हैं बस के पिछले और मध्य हिस्से
मुंबई में नई डबल डेकर इलेक्ट्रिक बसें नीचे से घिसकर खराब हो रही हैं। लंदन की तर्ज पर बेस्ट उपक्रम के बेड़े में फरवरी २०२३ से ये नई डबल डेकर बसें शामिल होना शुरू हुर्इं थीं, लेकिन बसों को स्पीड ब्रेकर से जोरदार झटका लग रहा है। इसके कारण बस के पिछले हिस्से और मध्य हिस्से को दबा हुआ पाया गया है। बेस्ट बस मार्ग संख्या ए-११५ पर छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस से नरीमन पॉइंट तक ये सेवा चालू है। साथ ही अन्य मार्गों पर भी यह बस सेवा चालू है। लेकिन मुंबई के ऊंचे स्पीड ब्रेकरों के कारण बसों को काफी नुकसान हो रहा है। यात्रियों से भरी बस को स्पीड ब्रेकर के ऊपर से गुजरते समय बेस्ट बस चालकों को काफी मुश्किल होती है। बेस्ट उपक्रम की ओर से इस बारे में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।
नई इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसों के संचालन से पहले हाइट सर्वे प्रोटोटाइप बस का उपयोग करना चाहिए था। शहर में कई अवैध स्पीड ब्रेकर हैं और कई क्षेत्रों में इनके लिए साइन बोर्ड भी नहीं हैं। अशोक लीलैंड की नई डबल डेकर बस का ग्राउंड क्लीयरेंस बहुत कम है। पुरानी डबल डेकर बस की ऊंचाई १४.५ मीटर थी, जबकि नई बस की ऊंचाई लगभग १६ मीटर है। पुरानी बसों का ग्राउंड क्लीयरेंस अधिक था। वर्तमान में ये बसें हाई प्रोफाइल क्षेत्रों में संचालित हो रही हैं, जहां सड़कें अच्छी स्थिति में हैं। रूट १२४ पर डबल डेकर बसों को ऊंचाई जैसी बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। रूट ३१० पर डबल डेकर बसें ऊंचाई की समस्या के कारण संचालित नहीं हो पा रही हैं।’
-रूपेश शेलेटकर, ‘अपली बेस्ट, आपला साठी’ (एनजीओ)