सामना संवाददाता / मुंबई
अब महाराष्ट्र के समुद्र तटीय क्षेत्रों में फिशिंग पर नजर रखने के लिए ड्रोन की मदद ली जाएगी। इसका उद्देश्य मरीन फिशिंग रेगुलेशन (संशोधन) एक्ट, २०२१ को प्रभावी तरीके से लागू करना और अवैध फिशिंग को रोकना है।
राज्य के सात समुद्र तटीय जिलों में नौ ड्रोन तैनात किए गए हैं, जो लीज पर लिए गए हैं। इन ड्रोन्स को रायगड, रत्नागिरी, पालघर, ठाणे, मुंबई उपनगर, मुंबई सिटी और सिंधुदुर्ग में तैनात किया जाएगा। इन ड्रोन से मिली जानकारी को मत्स्य पालन आयुक्त के कार्यालय में स्थापित कंट्रोल रूप से मॉनिटर किया जाएगा।
मत्स्य पालन मंत्री नीतेश राणे ने कहा कि विभाग के गश्ती (निरीक्षण) जहाजों के जरिए निगरानी की जाती है। पर सभी फिशिंग बोट्स पर निगरानी रखना मुश्किल होता है। अनाधिकृत नावें अक्सर बच जाती है और उन्हें पकड़ना चुनौतीपूर्ण होता है। ड्रोन आधारित निगरानी प्रणाली इस चुनौती का समाधान पेश करेगी। इसके साथ ही तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा में भी बढ़ोतरी होगी।
मरीन फिशिंग रेगुलेशन (संशोधन) एक्ट, २०२१ का मुख्य उद्देश्य राज्य के पारंपरिक मछुआरा समुदायों के अधिकारों की रक्षा करना है। इसके अलावा बाहरी मछुआरों की अवैध फिशिंग पर अंकुश लगाना है। यह ड्रोन सिस्टम एक साथ कई क्षेत्रों की निगरानी करेगा। अधिकारियों की मानें तो ड्रोन से समुद्री तटों की निगरानी के लिए मरीन पुलिस विभाग के साथ समन्वय स्थापित किया जाएगा। ड्रोन नेटवर्क महाराष्ट्र के ७२० किलोमीटर लंबे तट की १२ नॉटिकल माइल्स समुद्री सीमा तक निगरानी का काम करेगा।