सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य सरकार गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रही है। यही कारण है कि मुंबई महानगर क्षेत्र (एमएमआर) में बढ़ती जनसंख्या को पर्याप्त पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए इस क्षेत्र की जलसंपदा परियोजनाओं को शीघ्रता से पूरा करने के लिए फंड नहीं है। इसके अलावा कुछ परियोजनाएं राजस्व और वन विभाग की अनुमति नहीं मिलने के साथ-साथ भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी नहीं होने से अधर में लटकी हुई हैं। इन परियोजनाओं को पूरा करने के लिए गत दिवस मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने समीक्षा बैठक की थी। इस बैठक में सही स्थिति सामने आई। इसके बाद मुख्यमंत्री ने सभी परियोजनाओं को तय समयसीमा में पूरा करने के निर्देश दिए। लेकिन निर्देश केवल कागजी खानापूर्ति बनकर रहने की आशंका जलसंपदा विभाग के एक अधिकारी ने जताई है। मुंबई महानगर क्षेत्र में जलसंपदा परियोजनाएं केवल पेयजल स्रोत नहीं हैं, बल्कि सतत विकास का एक महत्वपूर्ण घटक भी हैं। इन परियोजनाओं के संबंध में वन विभाग की मंजूरी, एमएमआरडीए, सिडको और अन्य कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा आवश्यक मंजूरी और संबंधित प्रक्रियाओं को तुरंत पूरा करने के निर्देश मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को दिए।
शाई और सुसरी परियोजनाएं भी लटकीं
मुंबई महानगर क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ते शहरी क्षेत्रों में से एक है, जहां पानी की आपूर्ति एक प्रमुख मुद्दा है। इसलिए आने वाले समय में पानी की बढ़ती मांग को ध्यान में रखते हुए शाई और सुसरी परियोजनाओं का काम जल्द शुरू करने के लिए जलसंपदा विभाग और संबंधित एजेंसियों को कार्रवाई करना चाहिए, लेकिन फंड के अभाव में यह परियोजना अधर में लटकी हुई है।
कालू नदी परियोजना भी अधर में
ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, उल्हासनगर, अंबरनाथ और भिवंडी महानगरपालिका क्षेत्र के लिए पीने और औद्योगिक उपयोग के लिए कालू नदी परियोजना महत्वपूर्ण है। यह परियोजना भी फंड के अभाव में अधर में लटकी हुई है। इसके अलावा देहरजी मध्यम परियोजना, भातसा (मुमरी) परियोजना, सूर्या (कवडास) उन्नयन बांध, सूर्या नदी पर ५ बांध, बालगंगा नदी परियोजना, खोलसापाडा-२ लघु सिंचाई योजना, श्री हरिहरेश्वर जल आपूर्ति योजना, जांभिवली (चिखलोली), शाई नदी परियोजना और सुसरी नदी परियोजना की समीक्षा की गई, जो किसी न किसी कारण से अधर में लटकी हुई हैं।
एसटीपी परियोजनाओं का पानी औद्योगिक उपयोग के लिए दें
मुंबई महानगर क्षेत्र में जहां सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) परियोजनाएं पूरी क्षमता से चल रही हैं, वहां का पानी महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम (एमआईडीसी) औद्योगिक उपयोग के लिए ले। इस पानी पर और अधिक प्रसंस्करण की संभावनाओं का भी अध्ययन किया जाए। एसटीपी परियोजनाओं के पानी के औद्योगिक उपयोग पर निर्णय लेने के लिए मुख्य सचिव की एमआईडीसी और नगर विकास विभाग के साथ संयुक्त बैठक आयोजित की जाएगी।