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यूपी में हड़ताल से टूटा आसरा घर से लेकर सड़क तक अंधेरा…दोगुने दाम पर मिल रहा पीने का पानी

सामना संवाददाता / लखनऊ
यूपी में बिजली कर्मियों की हड़ताल से व्यवस्था चरमरा गई है। कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप होने से पेयजल का जबरदस्त संकट पैदा हो गया है। बिजली गुल होने से नाराज तमाम लोग सड़क पर उतर आए। सबने प्रदर्शन करके नारेबाजी की और जाम भी लगाया। कई इलाकों में हैंडपंप से पानी भरकर काम चलाया गया। लोग साइकिल या फिर वाहनों की मदद से पानी ले जाते देखे गए। हड़ताल और व्यवस्था प्रभावित होने का असर औद्योगिक इकाइयों के उत्पादन पर भी पड़ा है। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (आईआईए) के पदाधिकारियों का दावा है कि औद्योगिक क्षेत्र में इकाइयां ठप रही हैं। चांदपुर औद्योगिक क्षेत्र में भी फॉल्ट, ट्रिपिंग की समस्या बनी रही। इससे औद्योगिक इकाइयों का उत्पादन प्रभावित हुआ। शिकायत करने के बाद भी जनता को राहत नहीं मिल पा रही। अधिकारी भी हड़ताल का हवाला देते हुए लाचारी जता रहे हैं। राजधानी लखनऊ का करीब एक-चौथाई हिस्सा बिजली संकट की चपेट में रहा।
दोगुने दाम पर मिल रहा पानी
बिजली कटौती से बेहाल जनता को सरकारी सिस्टम से कोई राहत नहीं मिल पाई तो खुद ही इंतजाम में जुट गए। मंडुवाडीह क्षेत्र के चांदपुर स्थित सरस्वती नगर कॉलोनी, भिटारी, बेदौली सहित शहर की अन्य कालोनियों में चंदा लगाकर जनरेटर मंगवाया। जनरेटर डोर टू डोर ले जाया गया, फिर उसे चलवाकर घरों की पानी की टंकी भरी गई। हालांकि, महंगे दाम पर पानी खरीदना भी पड़ा है। सामान्य दिनों में जो वाटर केन २० से २५ रुपए में मिलता था, वह ५० से ६० रुपए में बिका है।
पुलिस व पीएसी ने संभाला मोर्चा
हड़ताल की वजह से उपकेंद्रों पर सन्नाटा छाया रहा। काउंटर के साथ ही कार्यालय में भी कर्मचारी नहीं दिखे। बेनियाबाग उपकेंद्र के साथ ही चौक, चौकाघाट, पन्नालाल, भदैनी विजया सिनेमा, मैदागिन, मच्छोदरी सहित अन्य केंद्रों पर पुलिस और कुछ जगहों पर पीएसी के जवानों को तैनात किया गया।
बंधक बनाकर कर्मचारियों से काम ले रहा प्रबंधन- दुबे
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि बिजली कर्मियों के ड्यूटी पर न जाने पर प्रशासन ने शाम शिफ्ट के कर्मचारियों को सभी बिजलीघरों में बंधक बना लिया और उनसे जबरन १७ घंटे लगातार काम करवाया। भूखे-प्यासे काम करते हुए कई कर्मचारियों की तबीयत बिगड़ गई। दुबे ने कहा कि इन कर्मचारियों के शिफ्ट से बाहर जाने के बाद बिजली उत्पादन पर भारी प्रतिकूल असर दिखाई दिया।

 

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