बीते कुछ दिनों में देश-दुनिया के कई ऐसे मामले सामने आए, जिनमें काम की अधिकता और खराब माहौल की वजह से युवाओं ने जान गंवा दी। ज्यादातर मामलों में टॉक्सिक वर्क कल्चर को ही इसका कारण बताया गया है। हर प्रोफेशनल करियर में ग्रोथ और एक बेहतर जिंदगी की उम्मीद में कहीं नौकरी करता है। लेकिन अगर यही नौकरी उसकी जान की दुश्मन बन जाए तो उसके सभी कामों पर पानी फिर जाता है। जो लोग ९-१० घंटे ऑफिस में बिताने के बाद मायूस होकर घर लौटते हैं, अच्छा काम करने पर भी तारीफ या प्रमोशन से वंचित रह जाते हैं, उनका ऑफिस जाने का मन नहीं करता है। उन्हें अपने वर्क कल्चर पर गौर करने की जरूरत है। साथ ही मैनेजमेंट को भी एंप्लॉईज के लिए हैप्पी वर्क प्लेस बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। कुछ बातों से आप ये पता लगा सकते हैं कि कहीं आपके ऑफिस में वर्क कल्चर टॉक्सिक का लोचा तो नहीं है? इसमें सबसे पहले एंप्लाईज का मूड, कम्युनिकेशन की कमी, एंप्लॉई टर्नओवर, अनुचित व्यवहार, अनुचित काम के घंटे आदि बातें प्रमुख हैं। अगर कर्मचारियों से अक्सर ही लंबे और अनुचित वर्किंग आवर्स की अपेक्षा की जाती है तो यह टॉक्सिक वर्क कल्चर का संकेत हो सकता है।