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अर्थ शास्त्र : आम बजट २०२५-२६…दिल्ली-बिहार चुनाव की छाया…आखिर मध्यवर्ग से डरी सरकार!

 मनोहर मनोज

चुनावों का डर
वर्ष २०२५-२६ के लिए पेश बजट में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने भारत के मध्यवर्ग की महत्ता को आखिरकार स्वीकार कर लिया है। अब तक आम बजट में ‘ज्ञान’ यानी गरीब, युवा, अन्नदाता और महिला की ही बारंबार राजनीतिक रट लगा करती थी, लेकिन इस बार इसमें मध्यवर्ग को भी जोड़ा गया है। सो, इस बजट में मध्यवर्ग की बार-बार दुहाई देते हुए उसके आयकर की मौजूदा सीमा ७ लाख से बढ़ाकर १२ लाख करने की एक बड़ी घोषणा की गई है। इसके साथ ही आयकर में व्यापक सुधार लाने वाला एक नया कानून भी सरकार अगले हफ्ते लाने जा रही है। यह कानून १९६१ के आयकर कानून का स्थान लेगा। बजट की हेडलाइन में इस बार कृषि, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना, शहरी विकास, कौशल विकास, स्टार्टअप, एमएसएमई और निर्यात सेक्टर की कुछ नई स्कीमें, बढ़े आवंटन, पुर्नगठित मिशन के साथ-साथ चुनावी साल में प्रवेश कर चुके बिहार के लिए भी कई सौगातें शामिल की गई हैं। बजट की घोषणा के मुताबिक, तकनीकी तौर पर चार लाख तक की सालाना आमदनी के लिए शून्य कर, ४ से ८ लाख तक ५ फीसदी, ८ से १२ लाख तक १० फीसदी, १२ से १६ लाख आय पर १५ फीसदी, १६ से २० लाख आमदनी पर २० फीसदी, २० से २४ लाख आमदनी पर २५ फीसदी और उससे ऊपर ३० फीसदी आयकर का स्लैब निर्धारित किया गया है।
विभिन्न निवेश और उपभोग की स्कीमों का फायदा उठाकर सरकार ने अनुमान लगाया है कि कुल १२ लाख रुपए सालाना तक आमदनी वाला व्यक्ति अब आयकर मुक्त रह सकेगा। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट में एक दिन पूर्व पेश आर्थिक सर्वेक्षण के इस निष्कर्ष कि भारतीय अर्थव्यवस्था में अब उपभोग की मात्रा को बढाने का समय आ गया है, उसे ध्यान में रखकर टीडीएस, टीसीएस की सीमा बढाने के साथ रिटर्न फाइल की समयसीमा भी दो साल से चार साल तक बढ़ाए जाने की घोषणा की है। बजट में वित्तमंत्री ने अर्थव्यवस्था के वित्तीय स्वास्थ्य को लेकर तीन महत्वपूर्ण घोषणाएं की हैं। इनमें से एक यह है कि देश का वित्तीय घाटा चालू वर्ष यानी ३१ मार्च २०२५ तक सकल घरेलू उत्पाद का ४.८ फीसदी रहेगा, जो आगामी वित्त वर्ष २०२५-२६ में घटाकर ४.४ फीसदी किए जाने का प्रस्ताव है। वित्तमंत्री के मुताबिक, कोविड उपरांत बढ़ते वित्तीय घाटे से सरकार का सार्वजनिक ऋण का आकार काफी बढ़ चला था।
बजट में दलहन-तिलहन के उत्पादन को और प्रोत्साहन देने हेतु राष्ट्रीय सहकारी विपणन परिषद द्वारा इनके उत्पादकों से सीधे क्रय किए जाने की नई स्कीम की घोषणा के साथ कपास, मखाना के लिए नए मिशन की स्थापना, देश के १०० जिलों में किसानों के लिए विशेष धन-धान्य प्रोत्साहन योजना तथा असम में यूरिया के दो नए प्लांट स्थापित कर यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना प्रमुख है। इसी क्रम में क्रेडिट कार्ड धारक किसानों को रूपांतरित इंटेरेस्ट सबवेंशन स्कीम के तहत लोन सीमा तीन लाख से बढ़ाकर पांच लाख कर दिया गया है। बजट में एमएसएमई सेक्टर की महिमा फिर से दुहराते हुए एक नया राष्ट्रीय विनिर्माण मिशन स्थापित करने की बात की गई है, जिसमें विगत के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को एक नई गति देने की बात कही गई है। इसके अतिरिक्त एमएसएमई को मिलनेवाले बैंक लोन की बढ़ी सकल मात्रा को और गति प्रदान करने की बात कही गई है। आंगनवाड़ी व बाल पोषाहार कार्यक्रम में करीब ८ करोड़ बच्चों को शामिल करने, देश के १५ करोड़ ग्रामीण परिवारों को नल जल मुहैया कराने, एक करोड़ गिग वर्करों को सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क से जोड़े तथा देश के करोड़ों स्ट्रीट वेंडरों व हॉकरों को यूपीए लिंक्ड क्रेडिट कार्ड प्रदान किए जाने की कई कल्याणमूलक घोषणाएं शामिल हैं।
सिर्फ घोषणाओं से कल्याण संभव?
भारत की इंटरनेशनल बेंचमार्क मानी-जानेवाली संस्था कुल २३ आईआईटी में सीटों को बढ़ाकर करीब १ लाख ३५ हजार करने व ५ आईआईटी की बुनियादी संरचना को सुदृढ करने हेतु बजट में घोषणा की गई है। इसी तरह देश में मेडिकल शिक्षा में मौजूदा १ लाख १० हजार सीटों को बढ़ाकर अगले पांच सालों में १ लाख ८५ हजार करने यानी ७५ हजार नई सीटें बढ़ाने तथा वहां करीब दस हजार नई तकनीकी फेलोशिप शुरू करने का संकल्प प्रदर्शित किया गया है, जबकि इसी क्रम में स्टार्टअप व्यवसाय पर और जोर देते हुए दस हजार करोड़ रुपए का प्रोत्साहन व्यय घोषित किया गया है।
बजट में इस बार भी नए-नए क्षेत्रों की तलाश कर उनमें निवेश आवंटन बढ़ाकर उन्हें भविष्य की अर्थव्यवस्था की इबारत बनाने का इरादा प्रदर्शित हुआ है। मिसाल के तौर पर कृषि, स्वास्थ्य और शिक्षा में आर्टिफिसिएल इंटेलिजेंस के नए सेंटर फॉर एक्सीलेंस सेंटर स्थापित करने की बात कही गई है। देश में स्कूल स्तर पर शोध व प्रयोग को प्रोत्साहित करने के लिए पचास हजार स्कूलों में अटल लैब बनाने की घोषणा भी शामिल है। बजट भाषण में एक राज्य जिसका बारंबार जिक्र हुआ, वह बिहार था। जाहिर है एनडीए शासित इस राज्य में इस साल नवंबर में चुनाव हैं और इस सरकार की साझेदार दल केंद्र की सरकार में भी साझेदार है। अविकसित माने-जानेवाले राज्य बिहार में खाद्य प्रसंस्करण को बढ़ावा देने हेतु यहां राष्ट्रीय फूड टक्नोलॉजी संस्थान स्थापित करने, बिहटा सहित कई जगह ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट परियोजना शुरू करने, कोशी में सिचाई परियोजना हेतु विशेष वित्तीय आवंटन इस बार के केंद्रीय बजट की विशेषता रही। देश में पर्यटन को नए सिरे से प्रोत्साहित करने के लिए ५० नए पर्यटक केंद्रों को विकसित करने के साथ-साथ निजी क्षेत्र के साथ मेडिकल टूरिज्म को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार का करीब बीस हजार करोड का व्यय करने का इरादा प्रदर्शित किया गया है।
चाशनी भरे बजट पर कुछ सवाल
साल २०२५-२६ के आम बजट में देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु उर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों व मोबाइल की बैटरी में प्रयुक्त कुल १२ क्रिटिकल धातुओं के घरेलू उत्पादन व इनके आयात को शुल्क मुक्त करने की एक महत्वपूर्ण पहल दर्शाई गई है। इसके तहत एक लाख मेगावाट बिजली केवल परमाणु ऊर्जा से उत्पादित करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें करीब बीस हजार करोड़ रुपए का आवंटन किए जाने की घोषणा की गई है। बुनियादी क्षेत्र की बात करें तो इस बार के बजट में वित्तमंत्री ने हवाई परिवहन व समुद्री परिवहन पर ज्यादा जोर देते हुए देश में हवाई यात्रियों की संख्या में चार करोड़ का इजाफा करने तथा देश के १२० नए शहरों को हवाई परिवहन से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया है। बजट में एक बेहद महत्वपूर्ण कदम जो आभासित हुआ है वह है निर्यात प्रोत्साहन जनित कई घोषणाएं। एक तरफ करीब ३६ जीवन रक्षक दवाओं को पूर्ण आयात कर मुक्त कर दिया गया है, वहीं निर्यात मार्ग के आगे करीब ७ टैरिफ दरों को हटाकर अब केवल ८ टैरिफ संरचना को चालू रखा गया है।
प्रत्यक्षकरों की बात करें तो वरिष्ठ नागरिकों की टीडीएस सीमा पचास हजार से बढ़ाकर एक लाख तथा टीसीएस सीमा सात लाख से बढ़ाकर दस लाख किए जाने की एक राहत भरी घोषणा प्रमुख है। कुल मिलाकर, रिकॉर्ड ८ बजट पेश कर चुकीं निर्मला सीतारमण का यह बजट चिरपरिचित रूटीन घोषणाओं, पॉलिटिकल करेक्टनेस तथा नई आर्थिक संभावनाओं के साथ-साथ मध्यवर्ग को खुश करने की चासनी से सराबोर है।
और अंत में मीठी चासनी में सराबोर २०२५-२६ का बजट पेश करनेवाली निर्मला जी बताएं कि क्या इस बजट से महंगाई और बेरोजगारी कम होगी? जब कमाई का जरिया ही नहीं है तो लोग खर्च क्या करेंगे और उनकी खरीदने की कुवत वैâसी बढ़ेगी? जैसा कि आपका दावा है। सरकार शेखी बघारते हुए कहती है कि ८० करोड़ लोगों को मुफ्त राशन दिया जाता है क्या ऐसी तस्वीर नुमाया होगी कि उन्हें मुफ्त राशन की जरूरत ही न पड़े? रेवड़िया खूब बांट ली अब चासनी में लवरेज बजट! देश का भला होगा या हुक्मरानों का जिन्हें सिर्फ चुनाव भर जीतना है, जनता का क्या?
(लेखक वरिष्ठ आर्थिक पत्रकार तथा ‘इकोनॉमी इंडिया’पत्रिका संपादक हैं)

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