• ठाणे में अब भी ४० हजार अनपढ़
सामना संवाददाता / मुंबई
ईडी सरकार के राज में प्रदेश में निरक्षरों की संख्या बढ़ गई है। ऐसे में राज्य के सवा लाख अनपढ़ों को शिक्षित करने की चुनौती इस निकम्मी सरकार के सामने खड़ी है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में निरक्षरों की सबसे अधिक संख्या नंदुरबार जिले में ६८,८२० है। इसी तरह राजधानी मुंबई के पड़ोसी ठाणे जिले में अभी भी ४०,७९६ अनपढ़ हैं। निरक्षरता के मामले में गडचिरौली, वाशिम और नासिक क्रमश: तीसरे, चौथे और पांचवें स्थान पर हैं। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि ईडी सरकार साक्षरता में फेल हुई है।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए `नव भारत साक्षरता कार्यक्रम’ को लागू करने के लिए सभी राज्यों को निर्देश दिया गया है। इसके अनुसार, महाराष्ट्र में भी काम शुरू हो गया है लेकिन फिलहाल तैयारी सिर्फ सर्वे स्तर पर ही चल रही है। ३१ मार्च २०२७ तक राज्य में करीब १.५६ लाख लोगों को साक्षर बनाने का लक्ष्य है। हालांकि, ईडी सरकार के शासन में जिस तरह से तैयारी चल रही है, शायद ही तय लक्ष्य तक सभी साक्षर बन जाएं।
बता दें कि यह पूरी योजना स्वयंसेवकों पर आधारित है। सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि राष्ट्रीय सेवा योजना, छात्रसेना, नेहरू युवा केंद्र के कार्यकर्ता, आंगनवाड़ी कार्यकता, आशा कार्यकर्ता, सेवानिवृत्त शिक्षकों से यह सेवा ली जाए। इसके साथ ही ईडी सरकार ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस काम के लिए किसी को कोई भी भुगतान नहीं किया जाएगा।
अशिक्षा के ये हैं कारण
परिवार में गरीबी, रोजगार के लिए प्रवास, माता-पिता की छत्रछाया शीघ्र छिन जाने के कारण उपेक्षा, शैक्षिक वातावरण का अभाव, स्कूल का नजदीक न होना आदि विभिन्न कारण हैं। इसके चलते इस योजना को अमल में लाया जा रहा है। हालांकि, यह कितना कारगर साबित होगा यह तो वक्त ही बताएगा।