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‘ईडी’ सरकार के दावे की खुली पोल … ३२० झोपड़पट्टियों का अधर में पुनर्विकास! …५१७ स्वीकृत परियोजनाओं का आगे नहीं बढ़ा काम

सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य की ‘ईडी’ सरकार झोपड़पट्टीवासियों को घर देने के लिए लंबी-चौड़ी घोषणाएं तो करती है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि मुंबई में एसआरए ने २८ वर्षों में अब तक केवल ढाई लाख झुग्गीवासियों का ही पुनर्वास किया है, जबकि ३२० रुकी हुई परियोजनाओं का पुनर्विकास और ५१७ स्वीकृत परियोजनाओं के काम को आगे नहीं बढ़ाया जा सका। ये परियोजनाएं अब अन्य प्राधिकरणों द्वारा संचालित की जा रही हैं। लेकिन विफल झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण से जवाब मांगने के बजाय, उनके साथ एक समझौता करने के लिए मजबूर किया गया है। अगले तीन वर्षों में झुग्गी पुनर्वास में दो लाख से अधिक घर बनाने के सरकार के लक्ष्य को पूरा करने के लिए विभिन्न प्राधिकरणों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। साथ ही डेवलपर्स को नियुक्त करने या उन्हें इन्हें पूरा करने की भी अनुमति दी गई है। ठेकेदारों के माध्यम से इन सभी परियोजनाओं को मंजूरी देने की जिम्मेदारी स्लम पुनर्वसन प्राधिकरण की है।
बताया जाता है कि रुकी हुई इन परियोजनाओं से २ लाख १८ हजार झुग्गीवासियों का पुनर्वसन होगा। मुंबई महानगर विकास प्राधिकरण (एमएमआरडीए) ने इसी तरह घाटकोपर में रमाबाई आंबेडकर नगर झुग्गीवासियों का पुनर्वास शुरू किया है। मनपा, महाराष्ट्र आवास और क्षेत्र विकास प्राधिकरण (म्हाडा), शहर और औद्योगिक विकास निगम (सिडको), महाराष्ट्र राज्य सड़क विकास निगम, महाप्रीत, महाराष्ट्र आवास प्राधिकरण (महाहाउसिंग), महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम, शिवशाही पुनर्विकास परियोजना कंपनी आदि लाखों से अधिक घरों के निर्माण में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं। इस संबंध में एक सरकारी निर्णय जारी किया गया है और राज्य सरकार ने इन परियोजनाओं को संबंधित अधिकारियों के माध्यम से संयुक्त रूप से लागू करने पर रियायतें देने की पेशकश की है।

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