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‘ईडी’ सरकार की लूट जारी है, ६ महीने में ही वर्सोवा ब्रिज की लागत डबल! … रु. २ हजार करोड़ बढ़कर हुआ रु. ४ हजार करोड़

स्थानीय नागरिकों में इस लूट के खिलाफ आक्रोश

सामना संवाददाता / मुंबई
जब से महाराष्ट्र में ‘ईडी’ सरकार बनी है, सरकारी पैसे की लूट जारी है। विभिन्न विकास परियोजनाओं की लागत सरकारी अमलों द्वारा बढ़ा दी जा रही है, ताकि पैसे की बंदरबांट की जा सके। अब इसी कड़ी में वर्सोवा-मढ ब्रिज भी शामिल हो गया है। खास बात यह है कि सिर्फ ६ महीने में ही इस ब्रिज की लागत बढ़कर डबल हो गई है। ६ महीने पहले जब इसका टेंडर जारी किया गया था, तब इसकी लागत करीब २ हजार करोड़ बताई गई थी। अब यह बढ़कर लगभग ४ हजार करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। ‘ईडी’ सरकार की इस लूट के खिलाफ स्थानीय नागरिकों में आक्रोश व्याप्त है। मनपा ने इस सप्ताह मढ और वर्सोवा के बीच बननेवाले इस ब्रिज के निर्माण के लिए कार्य आदेश जारी किया है। यह टेंडर जारी होने के छह महीने बाद आया है। इस अवधि के दौरान, परियोजना की लागत में करीब दोगुनी वृद्धि हुई है।

लागत में बढ़ोतरी है
पब्लिक फंड की बर्बादी!

मार्च २०२४ में टेंडर जारी होने पर शुरू में परियोजना की लागत २,००० करोड़ रुपए आंकी गई थी। इस सप्ताह की शुरुआत में मनपा द्वारा स्वीकृत अंतिम लागत बढ़कर अब ३,९९० करोड़ रुपए तक पहुंच गई है।

वर्सोवा और मढ के बीच बननेवाले ब्रिज से घोटाले की बू आ रही है। मार्च २०२४ में टेंडर जारी होने पर शुरू में परियोजना की लागत २,००० करोड़ रुपए आंकी गई थी। इस सप्ताह की शुरुआत में मनपा द्वारा स्वीकृत अंतिम लागत बढ़कर अब ३,९९० करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। इसमें निर्माण लागत, तीन साल के लिए रखरखाव, कास्टिंग यार्ड का किराया और श्रमबल के कारण लागत में बढोतरी की बात कही जा रही है। स्थानीय नागरिकों का कहना है कि लागत में इस तरह की बढोतरी पब्लिक फंड की बर्बादी है।
मिली जानकारी के अनुसार, एक कंपनी को निर्माण के लिए २,०२९ करोड़ रुपए की बोली के साथ सफल बोलीदाता के रूप में चुना गया था। अनुबंध में लागत भिन्नता के लिए २४ फीसदी प्रावधान भी शामिल है, जो ५५० करोड़ रुपए है। रिपोर्ट के अनुसार, मनपा अधिकारियों का कहना है कि बढ़ा हुआ अनुमान बाजार की स्थितियों में बदलाव को दर्शाता है। ब्रिज की कुल लंबाई २.०६ किलोमीटर है, जिसमें १५० मीटर, ३०० मीटर और १५० मीटर के तीन केबल-स्टे सेक्शन होंगे। ब्रिज के केबल-स्टे वाले हिस्से पर चार लेन और बाकी लंबाई पर छह लेन होंगी। यह मढ क्रीक पर बनेगा, जो वर्सोवा को मढ से जोड़ेगा। अभी ये दोनों स्थल एक जेटी से जुड़े हुए हैं। मानसून के कारण जेटी सेवा भी बाधित होती है। यात्रियों को वर्तमान में पीक ऑवर्स के दौरान लिंक रोड, एसवी रोड या वेस्टर्न एक्सप्रेस हाईवे का उपयोग करके वहां पहुंचने में ४५ मिनट से अधिक समय लगता है।

पब्लिक फंड की बर्बादी
इस मामले में वकील और सामाजिक कार्यकर्ता गॉडफ्रे पिमेंटा का कहना है कि ब्रिज निर्माण की लागत में अचानक इतनी वृद्धि बताती है कि पब्लिक फंड का किस तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है। यह बताती है कि बिना किसी संतोषजनक औचित्य और पारदर्शिता के इस तरह की परियोजनाएं बनाई जा रही हैं। अंधेरी-लोखंडवाला ओशिवरा सिटिजंस एसोसिएशन के निदेशक धवल शाह कहते हैं कि वर्सोवा-मढ का यह ब्रिज काफी जरूरी है, मगर २ किलोमीटर लंबे इस ब्रिज की लागत में अचानक इतना ज्यादा उछाल आश्चर्यजनक है। यह टैक्सपेयर के पैसों का दुरुपयोग है और कैग द्वारा इसका ऑडिट किया जाना चाहिए।

मनपा की आई सफाई
निर्माण के लिए २,०२९ करोड़ रुपए की बोली के साथ सफल बोलीदाता कंपनी को चुना गया था। मनपा अधिकारियों ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि बढ़ी हुई लागत बाजार की स्थितियों में बदलाव को दर्शाता है।

मनपा ने इस सप्ताह मढ और वर्सोवा के बीच बननेवाले इस ब्रिज के निर्माण के लिए कार्य आदेश जारी किया है। यह टेंडर जारी होने के छह महीने बाद आया है। इस अवधि के दौरान, परियोजना की लागत में करीब दोगुनी वृद्धि हुई है।

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