महाराष्ट्र में गतिशील सरकार आने की बीन मुख्यमंत्री शिंदे और उपमुख्यमंत्री फडणवीस बजाते रहते हैं। उनका कहना है कि हमारी सरकार ‘डबल इंजन’ वाली है। लेकिन इंजन में ‘तेल पानी’ भरने के लिए उन्हें बार-बार दिल्ली के सर्विसिंग स्टेशन पर जाना पड़ता है। अगर इसी को ये लोग गतिशील सरकार कह रहे हैं तो इस पर क्या कहा जाए? सच तो यह है कि तथाकथित गतिशील सरकार की रफ्तार बैलगाड़ी से भी धीमी है। एक साल से मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं हुआ है और विस्तार के लिए मिंधे-फडणवीस दिल्ली के चक्कर लगाकर थक गए हैं। जो सरकार एक साल तक मंत्रिमंडल का विस्तार करने का साहस नहीं जुटा पाई, वे गतिशीलता की बातें करें, इसकी हैरानी होती है। मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री को शपथ लेने के बाद पहला विस्तार करने में ४१ दिन लगे और उस विस्तार के नौ महीने बीतने के बाद भी दूसरे विस्तार का पालना हिलने को तैयार नहीं है। क्योंकि सारा ‘बांझ’ कारभार चल रहा है। पालना यहां और डोरी हिलानेवाले दिल्ली में, ऐसी तस्वीर है। ‘डबल इंजन’ वाली सरकार का कमाल कैसा है, उसे देखिए। पिछले एक-दो वर्षों से महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में कोई महापौर नहीं है। बिना महापौर के मुंबई नगरी सूनी है। महापौर नहीं है, महापालिका में निर्वाचित सरकार नहीं है। मंत्रालय से उन्हें जैसा चाहिए वैसे कारभार चलाया जा रहा है। महापौर और चुनाव क्यों नहीं? अगर चुनाव होते हैं तो शिवसेना का ही महापौर बनेगा, इस डर से गतिशील सरकार ने मुंबई के महापौर पद का मुर्गा ढंक रखा है। भारतीय जनता पार्टी के बतख बीच-बीच में कह रहे हैं कि हमारा ही महापौर बनेगा। इस पर गतिशील मिंधे गुट बोलने को तैयार नहीं है। अगर मुंबई में चुनाव होते हैं तो जनता धुलाई किए बगैर नहीं रहेगी, लेकिन आज राजनीतिक स्वार्थ के लिए मुंबई का महापौर नहीं है। इसी तरह पुणे, नासिक, नागपुर, छत्रपति संभाजीनगर, नांदेड़, ठाणे, कल्याण-डोंबिवली, मीरा-भायंदर, नई मुंबई सहित १४ महानगरपालिका में महापौर नहीं हैं। इसे किस गति की सरकार कहा जाए? जिस तरह मुंबई के महापौर नहीं हैं, उसी तरह मुंबई विश्वविद्यालय में कल तक उप-कुलपति नहीं थे। सोमवार को जब युवासेना ने इस संबंध में आवाज उठाई तो ‘गतिशील’ सरकार जागी और मंगलवार की शाम को डॉ. रवींद्र कुलकर्णी को मुंबई विश्वविद्यालय का उप-कुलपति नियुक्त किया गया। मुंबई विश्वविद्यालय ऐतिहासिक है। ऐसे विश्वविद्यालय को बिना उप-कुलपति के रखना यानी शिक्षा क्षेत्र में अराजकता पैदा करने जैसा है। उप-कुलपति न होने से विश्वविद्यालय के कई काम, निर्णय प्रक्रिया बाधित थी। शिक्षा नीति, प्रवेश प्रक्रिया में कठिनाइयां आ रही थीं। लेकिन सरकार को इसकी कोई परवाह नहीं थी। मुख्यमंत्री का संबंध सिर्फ सड़क, बालू, सीमेंट, भूखंड, नगर विकास, निर्माण कार्यों से है। राज्य में विश्वविद्यालय नामक संस्था पर ध्यान देना पड़ता है, यह उनके दिमाग में भी नहीं है। उच्च शिक्षा मंत्री चंद्रकांत पाटील को इस बारे में कोई ‘ज्ञान’ था? कि उप-कुलपति किसे नियुक्त किया जाए या दिल्ली से आनेवाले आदेश का इंतजार किया जा रहा था? देश के सभी शैक्षणिक संस्थानों पर संघ परिवार का कब्जा है। विश्वविद्यालय में नियुक्तियां, पाठ्यक्रमों को लेकर संघ विचार महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। तो क्या संघ को उनके मत का व्यक्ति नहीं मिल रहा था इसलिए मुंबई विश्वविद्यालय बिना उप-कुलपति के चल रहा था? और अब डॉ. रवींद्र कुलकर्णी के रूप में वे मिल गए इसलिए क्या यह पद भरा गया? खुद को ‘गतिशील’ कहलवाने वाली सरकार को यह शोभा नहीं देता। वास्तविकता यह है कि ये स्वयं घोषित गतिशील सरकार खोकेबाजी में तेज, लेकिन अन्य कार्यों में बैलगाड़ी से भी पीछे है। मुंबई में महापौर नहीं है और कल तक मुंबई विश्वविद्यालय में उप-कुलपति नहीं थे, लेकिन मंत्रिमंडल विस्तार की हलचलें चल रही हैं। यानी उन हलचलों में गति है, फिर भी विस्तार अटका हुआ है। बिल्डर्स और ट्रांसफर-प्रमोशन की फाइलें ‘नक’दी में गति पकड़ रही हैं। वैसे भी भाजपा के वन मंत्री सुधीरभाऊ मुनगंटीवार के विभाग में अधिकारियों के तबादलों में भ्रष्टाचार होने का आरोप दूसरा कोई नहीं, बल्कि भाजपा के ही चार विधायकों ने लगाया है। इससे पहले मिंधे मंत्रिमंडल में लाखों रुपए के बदले में शामिल करने की ‘ठगी’ का पर्दाफाश भाजपा के ही एक विधायक ने किया था। वह जालसाज खुद को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पीए बता रहा था। भले ही वह अब सलाखों के पीछे है, लेकिन इस मामले में मिंधे-फडणवीस सरकार का ‘लेनदेन’ का ‘गतिशील’ कारभार भी सामने आ गया था। वास्तव में, मिंधे सरकार का कारभार घोषणाओं में ‘गतिशील’ और वास्तविक कार्यों में ‘गतिमंद’ चल रहा है। नई-नई योजनाओं की घोषणा की जा रही है, लेकिन आगे क्या? डबल इंजन वाली सरकार की यह अधोगति है। सरकार शराब पिये बंदर की तरह झूल रही है और उसी नशे में समृद्धि महामार्ग पर दौड़ रही है। इसे रफ्तार कहें तो समृद्धि महामार्ग पर दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ गई है। सरकार की गति और मति अध्ययन का विषय है। इस सरकार की लाज रोज चौराहे पर गिर रही है। तब किस गति की बात कर रहे हो? मुंबई सहित सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय, डॉ. बालासाहेब सावंत कोकण कृषि विश्वविद्यालय का उप-कुलपति नियुक्त करने में इतना विलंब किया, अब मुंबई समेत महाराष्ट्र की अन्य महापालिकाओं को महापौर कब मिलेंगे, इस सवाल का जवाब दें!