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संपादकीय : आग कौन लगा रहा है?

मणिपुर हिंसा की लपटों के बीच घिरा ही है कि इसी बीच भारतीय जनता पार्टी के अपरिपक्वों ने हरियाणा में भी हिंसा भड़काकर कई लोगों की जान ले ली, संपत्तियों का नुकसान कर दिया। दहशत का वातावरण तैयार कर दिया। हरियाणा की आग राजधानी दिल्ली और राजस्थान में भी भड़क सकती है। इसकी तैयारी होने की जानकारी है। हरियाणा और राजस्थान में जल्द ही विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं। इसी की यह पूर्व तैयारी लग रही है। यहां महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के गुरुजी ने महात्मा फुले, संत साईबाबा, गांधी, नेहरू इन पर गंदी भाषा में कीचड़ उछालकर माहौल खराब कर दिया है। हरियाणा की तरह ही महाराष्ट्र में भी जातीय द्वेष भड़काकर आग लगाने की साजिश का यह पहला कदम है। जिस औरंगजेब को महाराष्ट्र ने गाड़ दिया है, उसकी कब्र की मिट्टी कुरेदने का प्रयास भी शुरू हो चुका है। देश चलाने की अक्ल न हो तो देश जलाकर राज करने की यह, इस मंडली की चाल है। लोकसभा चुनाव से पहले संपूर्ण देश में इसी तरह से जातिवादी व धार्मिक तनाव का वातावरण निर्माण करने और जगह-जगह पर ढोंगी हिंदुत्व का घंटा बजाकर प्रचार में लगने की यह समग्र साजिश नजर आ रही है। उसकी पूर्व तैयारी के लिए विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, फडणवीस की गुरुजी ब्रिगेड, जैसी फौज को पहले ही मैदान में उतार दिया गया है। महाराष्ट्र में फडणवीस के गुरुजी ने महात्मा फुले पर गंदे बयान दिए, लेकिन इसके बावजूद फुले के वैचारिक वारिस छगनराव भुजबल, फडणवीस की जांघ से जांघ सटाकर सरकार में बैठे हैं। कुल मिलाकर, सत्ता के लिए विचारों की तिलांजलि की यह नीति है। हरियाणा में दंगा भड़काने की कोई वजह नहीं थी। इस दंगे में विश्व हिंदू परिषद का नाम आया है। विश्व हिंदू वालों की ओर से शुरू की गई इस ब्रजमंडल जलाभिषेक यात्रा को कहते हैं कि नूंह खंडला के पास एक समुदाय के युवकों ने रोकने का प्रयास किया, वहीं संघर्ष की चिंगारी भड़की और दंगे की शुरुआत हो गई। इस दंगे ने हिंदू-मुसलमान का स्वरूप प्राप्त कर लिया। भारतीय जनता पार्टी को हरियाणा में मतों के जातीय व धार्मिक ध्रुवीकरण के लिए जो चाहिए था, उसी माहौल की शुरुआत हो गई है। इतनी बड़ी संख्या में निकले हिंदुओं के जलाभिषेक यात्रा को कोई बीच रास्ते में रोकने का प्रयास करेगा या पत्थरबाजी करेगा, यह असंभव है। क्योंकि हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी का राज है इसलिए यह संभव नहीं है लेकिन दंगा भड़काना है, यह पहले से ही तय था। इस हिंसा की वजह से जगह-जगह हमले शुरू हो गए। दिल्ली के पास स्थित गुरुग्राम भी जल उठा। बजरंग दल के एक नेता ने चुनौती की भाषा करके नूंह में घुसने का प्रयास किया और उसे रोकने की सरकार ने कोई कार्रवाई की नहीं। इसका अर्थ यह है कि हरियाणा सरकार यह तनाव चाहती थी। अब जब विश्व हिंदू परिषद व बजरंग दल ने मोर्चा निकालकर तना-तनी जारी रखना तय ही कर लिया, तो आखिर सर्वोच्च न्यायालय को बीच में आकर हस्तक्षेप करना पड़ा। न्यायालय ने सख्त निर्देश दिया है कि मोर्चे के दौरान द्वेषपूर्ण भाषण करने पर, हिंसा इत्यादि करने पर कठोर कार्रवाई की जाए। किसी भी समुदाय के खिलाफ द्वेषपूर्ण भाषण नहीं हो, इसका ध्यान रखा जाए, लेकिन भाजपा द्वारा प्रायोजित सनकियों की यह टोलियां सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का पालन करेंगी क्या? जहां चुनाव वहां दंगे, जहां पराजय नजर आती है वहां हिंसा, यही भारतीय जनता पार्टी का राजनीतिक सूत्र व घोषणापत्र जान पड़ता है। यह घोषणापत्र अब सबके सामने आ चुका है। ‘हेट स्पीच’ अर्थात द्वेषपूर्ण भाषण, यही इनका हथियार बन गया है और इसके लिए उन्होंने कई सनकियों को पालकर रखा है। हरियाणा, मणिपुर ही नहीं, बल्कि संपूर्ण देश में कानून-व्यवस्था की इसी प्रकार से धज्जियां उड़ाकर रख दी गई हैं। चुनाव जीतने के लिए भाजपा किसी भी स्तर तक जा सकती है। यह लोग हिंदू-पाकिस्तान दंगा पैâलाएंगे, मंदिर पर हमला करवा सकते हैं, जवानों की हत्या कर सकते हैं, पाकिस्तान के साथ बनावटी युद्ध कर सकते हैं। वे कुछ भी कर सकते हैं। जो पुलवामा कर सकते हैं, वह कुछ भी कर सकते हैं, ऐसी चेतावनी जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दी है और जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहा है, वैसे-वैसे ठीक वही होता नजर भी आ रहा है। देश की बागडोर ऐसे लोगों के हाथों में पहुंच गई है, जिनके लिए लोगों की जान की कीमत शून्य है। दंगा, हत्या, विरोधियों को फंसाना, यही उनका राजनीतिक खेल बन गया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता अब कह रहे हैं कि हरियाणा की स्थिति ‘मिनी पाकिस्तान’ जैसी हो गई है। भाजपा केंद्र में ९ वर्ष और हरियाणा में १० वर्ष से सत्ता में है। फिर उन्होंने हरियाणा का ‘मिनी पाकिस्तान’ वैâसे होने दिया? यह सवाल खड़ा होता है। मणिपुर और हरियाणा के दंगों में सर्वोच्च न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा, लेकिन फडणवीस के गुरुजी तो महाराष्ट्र में दंगों की बखार में बीड़ी सुगलाए बैठे हैं। इस बखार के विस्फोट से महाराष्ट्र जैसे राज्य के खाक होने तक इंतजार किया जाए क्या? फिलहाल, कुछ लोग मूंछ और दाढ़ी को उंगलियों से सहलाते हुए सिर्फ जम्हाई ले रहे हैं। उनकी हालत आत्याबाई की मूंछों की तरह है, लेकिन तिलचट्टों की भी मूंछें होती हैं और अक्सर स्प्रे करके खटमल और तिलचट्टों को मारना पड़ता है। शिवराय के महाराष्ट्र में आग भड़काने का कॉन्ट्रेक्ट किसी ने लिया होगा तो जनता को सावधान रहना पड़ेगा। फडणवीस के पास गुरुजी हो सकते हैं, लेकिन महाराष्ट्र की ग्यारह करोड़ जनता हेडमास्टर है। मणिपुर और हरियाणा की राह पर महाराष्ट्र नहीं जाएगा। गुरुजी अर्थात हिंदुत्व नहीं, गुरुजी अर्थात महाराष्ट्र नहीं। फडणवीस को ऐसे गुरुजी मिले हैं, इसीलिए महाराष्ट्र शिवराय, फुले, आंबेडकर, शाहू के मार्ग से भटकता हुआ दिखाई दे रहा है, लेकिन महाराष्ट्र सयानों और पराक्रमियों का राज्य है। शाइस्ता खान की उंगलियां छांट देनेवाला महाराष्ट्र तिलचट्टों की मूंछों की परवाह क्यों करेगा?

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