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संपादकीय: शराफत का तमाशा!

वित्तीय अराजकता, आसमान छूती महंगाई, लोगों में पैâले आक्रोश और चरम पर पहुंचे राजनीतिक संघर्ष से दो गुटों में होनेवाले सत्ता संघर्ष की नोक पर खड़े पाकिस्तान में फिर एक बार राजनैतिक हलचल तेज हो गई है। बुधवार आधी रात को अचानक पाकिस्तान का संसद भंग कर दी गई। इस घटनाक्रम के बाद अब आगामी एक-दो दिन के भीतर पाकिस्तान में किसी अस्थायी प्रधानमंत्री की नियुक्ति की जाएगी और उसके बाद लोकतांत्रिक तरीके से नई सरकार स्थापित करने के लिए चुनावी बिगुल बजाया जाएगा। वैसे भी नेशनल असेंबली यानी पाकिस्तानी संसद का पांच वर्ष का कार्यकाल लगभग दो से तीन दिन के भीतर समाप्त होने को था, लेकिन इससे पहले ही वर्तमान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने राष्ट्रपति आरिफ अल्वी के पास संसद बर्खास्त करने का सरकारी प्रस्ताव सौंपा। वैसे तो राष्ट्रपति अल्वी को इमरान खान का समर्थक माना जाता है। इसलिए सवाल उठ रहा था कि केवल ७२ घंटों का कार्यकाल शेष रहने के कारण समय से पहले संसद बर्खास्त करने के सरकारी फरमान पर इमरान की सत्ता के दरम्यान नियुक्त किए गए राष्ट्रपति हस्ताक्षर करेंगे क्या? लेकिन, राष्ट्रपति अल्वी ने सरकारी प्रस्ताव प्राप्त होने के बाद रातों-रात उस पर अपनी मुहर लगा दी और संसद के बर्खास्तगी की अधिसूचना पाकिस्तान के राष्ट्रपति भवन से जारी कर दिया गया। वैसे भी, पाकिस्तान के संविधान के अनुसार सरकारी प्रस्ताव के बाद यदि राष्ट्रपति ने संसद भंग करने की अधिसूचना नहीं जारी की तो ४८ घंटे के भीतर यह संसद अपने आप भंग हो जाएगी। शायद इसी नियम के कारण हाथ बांधकर देरी करने की अपेक्षा शरीफ सरकार के प्रस्ताव पर तुरंत मुहर लगाने का रास्ता राष्ट्रपति ने स्वीकार किया होगा। इसका अर्थ यह है कि तीन दिनों बाद कार्यकाल समाप्त होकर पाकिस्तान की संसद अपने आप भंग होनेवाली थी लेकिन इसे समय से पहले ही क्यों भंग कर दिया गया? इस सवाल के पीछे शरीफ सरकार का राजनीतिक दांव-पेच है। यदि कार्यकाल पूरा होने के बाद संसद भंग होती है तो आगामी ६० दिनों के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूर्ण कर नई सरकार का सत्ता पर स्थापित होना जरूरी है, यह पाकिस्तानी संविधान कहता है। जबकि यदि कार्यकाल से पहले संसद भंग होती है तो चुनावी प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए ९० दिन का समय मिलता है। पाकिस्तान के वर्तमान विकट हालात देखते हुए पता चलता है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के नेतृत्व में आघाड़ी सरकार को चुनावी मैदान में उतरने के लिए ज्यादा समय की जरूरत थी। भ्रष्टाचार के आरोप के चलते पहले जेल और फिर देश निकाले की सजा प्राप्त पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को आगामी चुनाव के माध्यम से प्रधानमंत्री बनाने का बीड़ा उनके भाई और वर्तमान प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने उठाया है। फिलहाल, नवाज शरीफ लंदन में अपना इलाज करा रहे हैं। उन्हें ब्रिटेन से पाकिस्तान लाना, प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उन्हें प्रोजेक्ट करना और पाकिस्तान के समक्ष जो आज कई मुसीबतें खड़ी हैं, उन्हें दूर करना हो तो तीन बार के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का अनुभव वैâसे काम आएगा, यह बताकर लोगों के मन में जगह बताने के लिए शरीफ के पाकिस्तान मुस्लिम लीग को चुनाव प्रचार के लिए तीन महीने के समय की जरूरत है और इसी वजह से संसद भंग करने का यह खेल रचा गया है। लगभग एक साल पहले इमरान खान की सरकार गिराकर सत्ता पर बैठे शाहबाज शरीफ और भुट्टो की संयुक्त सरकार सभी मोर्चों पर विफल हो गई। इसके बाद इमरान को जेल की सलाखों के पीछे भेजकर पूर्व प्रधानमंत्रियों से राजनीतिक बदला लेने की परंपरा वर्तमान सरकार ने भी आगे बढ़ाई है। ऐसी स्थिति में आगामी तीन महीने में पाकिस्तान में चुनाव होनेवाला है। एक पूर्व प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार के आरोप में जेल में डालने के बाद ऐसे ही आरोप में सजा काटकर आए दूसरे पूर्व प्रधानमंत्री को सत्ता की गद्दी पर बिठाने के लिए पाकिस्तान में यह राजनीतिक तमाशा शुरू है। धर्म के नाम पर हिंदुस्थान से अलग होकर जन्मे पाकिस्तान को राजनीतिक स्थिरता व शांति कभी नहीं मिली। कार्यकाल से पहले संसद भंग कर पाकिस्तान में एक बार फिर चुनावी तमाशा और सेना के बंदूक पर नाचनेवाले लोकतंत्र का तमाशा संपन्न हो रहा है। नवाज शरीफ को प्रधानमंत्री बनाने के लिए पिछले कुछ दिनों से जिस तरह नियम-कानून बदले गए, पाकिस्तानी सेना के इशारे पर ही यह शराफत का तमाशा किया जा रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है!

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