मुख्यपृष्ठसंपादकीयसंपादकीय: अमित शाह महाराष्ट्र समझते हैं, इसका सही अर्थ क्या है?

संपादकीय: अमित शाह महाराष्ट्र समझते हैं, इसका सही अर्थ क्या है?

पुणे के एक कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने गृहमंत्री शाह की तारीफों के पुल बांध दिए जब फडणवीस ने इतना किया तो भला मुख्यमंत्री शिंदे और अजीत पवार वैâसे पीछे रह जाते? उनकी भी गाड़ी तेजी से दौड़ी। श्री शाह का जन्म मुंबई में हुआ, शाह ने मुंबई में व्यापार किया, कारखाना चलाया है, उन्हें महाराष्ट्र की अच्छी समझ है, ऐसा सर्टीफिकेट यदि फडणवीस देते हैं तो इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। जो व्यापारी दिमाग के हैं उन्हें मुंबई का कितना महत्व है इसकी जानकारी होनी ही चाहिए। पुर्तगालियों ने मुंबई में व्यापार किया था। उनके बाद ईस्ट इंडिया कंपनी ने मुंबई को व्यापारिक केंद्र बनाया था। अब यह नई सेठ मंडली आई है। व्यापार-उद्योग ही मुंबई की विशेषता है। इसीलिए संयुक्त महाराष्ट्र के दौरान मुंबई को महाराष्ट्र से छीनने का प्रयास किया गया। यहां के गुजराती धनाढ्यों की मुख्य योजना थी कि मुंबई गुजरात को मिल जाए। जब यह संभव नहीं हो सका तो मुंबई महाराष्ट्र के हिस्से भी न जा सके। स्वतंत्र केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मुंबई को स्थापित करने की साजिश रची गई, लेकिन स्थानीय लोग भड़क गए। उन्होंने भीषण आंदोलन किया और आखिरकार मुंबई महाराष्ट्र में ही शामिल हुई। यह वस्तुस्थिति हो, तो भी मुंबई का महत्व कम हो, मुंबई कमजोर हो जाए इसके लिए यह ‘सेठ मंडली’ हमेशा पर्दे के पीछे से साजिश रचते आए हैं। पिछले आठ-नौ वर्षों में यह साजिश कुछ ज्यादा ही विषैली हो गई है। क्योंकि देश की बागडोर गुजरात के कब्जे में है और मुंबई-महाराष्ट्र को कमजोर करनेवाले दांव-पेच को निरंकुश सत्ता की वजह से पंख फूट गए हैं। महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार को इसी उद्देश्य से बिठाया गया है और शिंदे सरकार महाराष्ट्र की यह लूट खुली आंखों से देख रही है। फडणवीस कहते हैं, श्री शाह का जन्म मुंबई में हुआ है। हां, हुआ होगा। इस मुंबई में अनेक महान लोगों ने जन्म लिया है। राजीव गांधी का जन्म भी मुंबई में ही हुआ है। शाह ने महाराष्ट्र में अपना कारखाना चलाया तो इसमें कौन सा उपकार किया? मोदी-शाह के कार्यकाल में इन्होंने बड़े-बड़े उद्योग, कार्यालय गुजरात भेज दिए। क्या वह मुंबई में पैदा होने का कर्ज अदा कर रहे हैं? क्रिकेट मुंबई की पहचान है। इस क्रिकेट को भी वह बड़े ही योजनाबद्ध तरीके से गुजरात ले भागे। शाह को महाराष्ट्र की नींव कमजोर करनी है। मराठी राज्य को गुलाम बनाना है। इसीलिए पहले महाराष्ट्र का स्वाभिमान कहलानेवाली शिवसेना को तोड़ा, फिर राष्ट्रवादी कांग्रेस के टुकड़े कर महाराष्ट्र के स्वाभिमान का गला घोंटने का प्रयास जारी है। यह सब कुछ करने के लिए उन्होंने महाराष्ट्र के सभी भ्रष्ट लोगों की ‘खाई’ बना दी और उन्हें राज्य की बागडोर सौंप दी। सत्ता पर सभी घाती बैठे हैं, लेकिन बादशाहत गुजरात के पास है यह जो स्पष्ट चित्र दिखाई दे रहा है, वह महाराष्ट्र के स्वाभिमान को ठेस पहुंचानेवाला है। घाती मुख्यमंत्री ने कहा कि श्री शाह महाराष्ट्र के दामाद हैं। तो क्या इसीलिए वे दहेज के तौर पर महाराष्ट्र के उद्योग, निवेश, मुंबई की धन-संपत्ति गुजरात ले जा रहे हैं? इसका जवाब दीजिए। अजीत पवार तो इस कदर चाटुकारिता की बातें कर रहे हैं कि उन्हें इसका मतलब भी पता है या नहीं? अब तो ऐसा सवाल ही खड़ा होने लगा है। ‘महाराष्ट्र के एकमात्र संरक्षक अमित शाह ही हैं’, ऐसा वक्तव्य अजीत पवार देने लगे हैं। हमें उनके स्वास्थ्य की चिंता होने लगी है। अमित शाह ने महाराष्ट्र के किस मुद्दे पर ठोस भूमिका ली है? मुंबई में जन्मे, महाराष्ट्र के दामाद बने, यहां कारखाना चलाया, इससे महाराष्ट्र को क्या हासिल हुआ? कम-से-कम सीमा क्षेत्र के मराठी बंधुओं पर हो रहे अत्याचार पर तो गृहमंत्री शाह को भूमिका लेने को कहो। तब इस दामाद का हाथ जोड़कर स्वागत करेंगे। डहाणू के विधायक विनोद निकोलस एक गंभीर मुद्दा सबके सामने लाए हैं। गुजरात ने डहाणू की सीमा के भीतर आकर दो किलोमीटर जमीन पर अपना कब्जा जमा लिया है। इस पर मुख्यमंत्री-उपमुख्यमंत्री क्या भूमिका लेनेवाले हैं? अमित शाह तो मुंबई महानगरपालिका चुनाव कराने को तैयार नहीं है। प्रशासक के तौर पर मुंबई लूट रहे हैं। भाजपा को लगता है कि मुंबई सोने के अंडे देनेवाली मुर्गी है। इसीलिए भाजपा मुर्गी ही मारकर खा रही है। फडणवीस जो कह रहे हैं वो सही है। श्री शाह मुंबई को बखूबी समझते हैं। शाह देश के गृहमंत्री हैं। उन्हें सब कुछ समझ आता है, लेकिन मणिपुर में आखिर क्या हो रहा है और हिंसा वैâसे रोकी जाए, यही उनकी समझ में नहीं आ रहा, इसे आश्चर्य ही कहा जाएगा। मुख्यमंत्री शिंदे कहते हैं कि शाह मेहनती हैं। लेकिन मुंबई सहित संपूर्ण महाराष्ट्र स्थानीय लोगों की मेहनत से, खून-पसीने से बना है, शायद यह घाती भूल गए हैं। महाराष्ट्र में दंगा पैâले और इसका राजनीतिक फायदा भाजपा को मिले, इस बात की साजिश रची जा रही है। सर्वज्ञानी गृहमंत्री तक को इस बात की जानकारी होगी ही। महाराष्ट्र छत्रपति शिवराय का राज्य है। डॉ. आंबेडकर इसी मिट्टी से बने। इसलिए चाहे कोई कितना भी प्रयास कर ले लेकिन यहां हमेशा संविधान की ही चलेगी। जैसे पुर्तगाली, ईस्ट इंडिया के व्यापारी आए और चले गए, वैसे ही आज के धनी व सेठ मंडली का साया भी दूर हो जाएगा। फडणवीस कहते हैं कि श्री शाह को महाराष्ट्र की अच्छी समझ है। शायद इसीलिए मुंबई और महाराष्ट्र का चुनाव कराने से वे भाग रहे हैं। व्यापारी बहुमत खरीद सकते हैं लेकिन जनता के सामने नहीं जा सकते। जुल्म के व्यापारियों का यह राज जल्द पलटनेवाला है। देश में इसकी बयार शुरू हो गई है।

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