टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप के प्रमुख पावेल ड्यूरोव को फ्रांसीसी पुलिस ने बार्गेट हवाई अड्डे पर गिरफ्तार कर लिया है। टेलीग्राम ऐप सबसे लोकप्रिय और सबसे सुरक्षित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म माना जाता है। फ्रांस पुलिस का कहना है कि टेलीग्राम ऐप का इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक गिरोह, आतंकवादी एक-दूसरे से संवाद करने के लिए करते थे और इस ऐप के जरिए ‘मनी लॉन्ड्रिंग’ जैसे आपराधिक वित्तीय लेन-देन होते थे। नाबालिगों के यौन शोषण से संबंधित सामग्री को टेलीग्राम पर प्रसारित करने की अनुमति दी गई और इसके लिए पावेल ड्यूरोव को दोषी ठहराया गया। टेलीग्राम पर लगातार अपराध भड़काने वाले टेक्स्ट प्रकाशित होने के कारण यह कार्रवाई की गई। टेलीग्राम का प्रभाव रूस, यूक्रेन और रूस से संबंधित अन्य देशों पर अधिक है। रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान संदेशों के आदान-प्रदान के लिए इस ऐप का इस्तेमाल किया गया था। ऐप का इस्तेमाल कीव और मॉस्को में सैन्य अधिकारियों द्वारा किया गया था। पावेल ड्यूरोव फ्रांस के नागरिक हैं, लेकिन वह जन्म से रशियन हैं। २०१४ में उन्हें रूस छोड़ना पड़ा। उन पर टेलीग्राम से पुतिन विरोधियों के एकाउंट हटाने का दबाव था और ड्यूरोव ने इस दबाव को खारिज करते हुए रूस को छोड़ दिया। वे पहले दुबई और फिर फ्रांस गए। फ्रांसीसी नागरिकता स्वीकार कर ली। हैरानी की बात यह है कि अब रूस के विदेश मंत्रालय ने ड्यूरोव की गिरफ्तारी पर चिंता जताई है और उनकी गिरफ्तारी के कारणों का खुलासा करने की मांग की है। इस अवसर पर रूस को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का जो ज्वर चढा है वह हास्यास्पद है। रूस ने पश्चिमी गैर सरकारी संगठनों और मानवाधिकार संगठनों से ड्यूरोव की रिहाई के लिए काम करने का आह्वान किया। असल रूस में हर तरह की आजादी का गला घोंटा जा रहा है। जिस रूस में अभिव्यक्ति की आजादी के लिए आवाज उठाने वाले पुतिन विरोधियों को खत्म किया जाता है उस रशिया द्वारा ड्यूरोव को लेकर आजादी के खतरे में जैसी बातें कहना यह एक मजाक है। अब यह बात सामने आई है कि यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की और उनके सरकारी अधिकारी बातचीत के लिए टेलीग्राम का इस्तेमाल कर रहे थे। रूस में सरकारी विभागों ने युद्ध के दौरान टेलीग्राम का उपयोग जारी रखा। युद्ध से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने के लिए टेलीग्राम का उपयोग किया जाता था। ड्यूरोव १५.५ अरब डॉलर की संपत्ति के साथ दुनिया के सबसे अमीर कारोबारियों में गिने जाते हैं। ऐसे व्यक्ति को मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार करने का कारण एक रहस्य है। टेलीग्राम की तरह, मेटा, व्हॉट्सऐप, इंस्टाग्राम, टिकटॉक, एक्स जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मौजूदा वक्त में पूरे विश्व में चल रहे हैं। टेलीग्राम का उपयोग नि:शुल्क है। भारत में भी इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। ड्यूरोव ने लगातार लोकतांत्रिक मूल्यों की वकालत की। उनका रुख था कि जो अपनी बात कहना चाहता है वह कहे, अपनी बात कहने पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। अमेरिकी पत्रकार टकर कार्लसन के साथ एक साक्षात्कार में ड्यूरोव ने कहा, ‘‘मैं किसी दबाव के आगे नहीं झुकूंगा। कोई भी मुझे आदेश नहीं दे सकता। मुझे आजादी चाहिए और मैं इसके लिए कुछ भी करूंगा।’ इस आजादी के लिए उन्होंने रूस छोड़ दिया और टेलीग्राम की दुनिया को फ्रांस में स्थानांतरित कर दिया। अब फ्रांस को भी ड्यूरोव का आजाद खयाल मुश्किलात भरा लगा। टेलीग्राम ने एक अरब यूजर्स का पड़ाव पार कर लिया और सोशल मीडिया के क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर ली। सोशल मीडिया के क्षेत्र में फेसबुक, टेलीग्राम ने यूट्यूब, व्हॉट्सऐप और इंस्टाग्राम को तगड़ी टक्कर देने में संकोच नहीं किया, लेकिन ड्यूरोव को फ्रांसीसी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और सोशल मीडिया पर हमला किया। ड्यूरोव पर आतंकवाद और मादक पदार्थों को तरजीह देने का आरोप है। इसके अलावा मनी लॉन्ड्रिंग का भी आरोप है। इन आरोपों के चलते ड्यूरोव को २० साल की जेल हो सकती है। यह सोशल मीडिया की आजादी पर अंकुश लाने की चाल है। भारत में सोशल मीडिया पर अंकुश लाने के लिए एक जुल्मी विधेयक लाया जा रहा था, लेकिन विपक्षियों के दबाव के चलते केंद्र सरकार को बिल वापस लेना पड़ा। आजादी, लोकतंत्र, जनता का आक्रोश और अभिव्यक्ति की अवधारणाएं आज किसी भी शासक को पच नहीं रही हैं। इसकी वकालत करने वालों को जेल में डाल दिया जाता है। इस तानाशाही ने लोकतंत्र और आजादी के लिए लड़ने वाले हर देश को संक्रमित कर दिया है। भारत के बाद ऐसे देशों की फेहरिस्त में फ्रांस का नाम भी शामिल हो गया। पावेल ड्यूरोव की गिरफ्तारी कोई साधारण मामला नहीं है!