प्रधानमंत्री मोदी यहां गंगा में अमृतस्नान की डुबकी लगाकर अपने हिंदुत्व का ‘प्रदर्शन’ कर रहे थे और वहां बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले फिर शुरू हो गए थे। बांग्लादेश में बुधवार को फिर हिंसा भड़क उठी। इसमें बांग्लादेश के संस्थापक और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान के घर में तोड़-फोड़ की गई। आग लगाई गई। हिंसा की वजह बुधवार रात हसीना का ‘लाइव’ भाषण था। इधर हसीना का लाइव भाषण शुरू हुआ और उधर उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान का घर हमलावरों ने भस्म कर दिया। हालांकि, इस बात को लेकर कई सवाल हैं कि बांग्लादेश में भड़की हिंसा सही थी या गलत, स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इसे क्यों नहीं रोका, वे तमाशबीन की भूमिका में क्यों रहे, लेकिन भारत के लिए इससे भी ज्यादा चिंताजनक बात इस हिंसा की आड़ में वहां हो रहे हिंदुओं पर हमले हैं। बुधवार को भी हमलावरों ने सिर्फ शेख हसीना की अवामी लीग के कार्यकर्ताओं पर ही हमला नहीं किया। इस
मौके का फायदा उठाकर
हिंदुओं पर भी हमले किए गए। राजशाही जिले के फुदकी गांव में हिंदू घरों पर हमला किया गया। मंदिर में मौजूद सरस्वती देवी की मूर्ति को तोड़ दिया गया। सत्तांतरण के बाद से बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमलों के दौर रुके नहीं हैं। हिंदू महिलाओं, लड़कियों पर हिंसा कम नहीं हुई है। पोटुआखवी जिले में एक मुस्लिम युवक द्वारा परेशान किए जाने से तंग आकर हाल ही में एक हिंदू लड़की इति दास ने अपनी जिंदगी खत्म कर ली। आज बांग्लादेश में हिंदुओं का कोई संरक्षक नहीं है। न तो वहां की मोहम्मद यूनुस सरकार उनकी रक्षा कर रही है और न ही शेख हसीना को ‘राजाश्रय’ देने वाली और खुद को ‘हिंदुत्व रक्षक’ कहनेवाली मोदी सरकार यूनुस सरकार पर ये सब रोकने का दबाव बना पाई है। बांग्लादेश में हिंदुओं, उनके घरों, उनके व्यवसायों, उनके शैक्षणिक संस्थानों और मंदिरों पर लगातार हमले किए जा रहे हैं। इस सरकार की मातृसंस्था आरएसएस ने एक बार इस बाबत
मोदी सरकार को चेताया
था, उसने बस इतना ही किया। बाद में उन्होंने भी बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों पर चुप्पी साध ली है। बांग्लादेश में हिंदू आज बेहद डर में जी रहे हैं। वह हताश और असहाय अवस्था में भारत और भारत के शासकों की तरफ आशाभरी नजरों से देख रहा है, लेकिन दिल्ली के शासक न तो हिंदुत्व की हुंकार भर रहे हैं और न ही उनकी तथाकथित ‘५६ इंच’ की छाती थरथरा रही है, क्योंकि उनका हिंदुत्व और हिंदू धर्म उनके लिए सिर्फ एक राजनीतिक सहूलियत है। उन्हें केवल अपने राजनीतिक लाभ के लिए देश के हिंदुओं की जरूरत पड़ती है और विदेशों में हिंदुओं को बेबस छोड़ दिया जाता हैं। बांग्लादेश जैसा छटंकी भर का देश शेख हसीना के प्रत्यर्पण पर भारत को चेतावनी देता है, मोदीमित्र ट्रंप उनकी चेतावनी को नजरअंदाज कर देता है, लेकिन मोदी सरकार की जुबां नहीं खुलती। ‘विश्वगुरु’ के गुब्बारे में अब हवा नहीं रही। तभी तो ये न तो अमेरिका में भारतीयों की नौकरियों पर हो रहे कहर को रोक सकते हैं, न ही बांग्लादेश में हिंदुओं पर लगातार हो रहे हमलों को… और कहते हैं, हिंदुओं के रक्षक हैं!