महाराष्ट्र में औरंगजेब को दफन किए जाने को सवा तीन सौ साल हो गए हैं, लेकिन दफन किए गए औरंगजेब को पुनर्जीवित करने का प्रयास महाराष्ट्र में कुछ राजनीतिक दल कर रहे हैं। औरंगजेब को लेकर कोल्हापुर में दंगा भड़क गया। खुद को हिंदुत्ववादी बताने वाले संगठनों ने सड़कों पर उतरकर बवाल किया। ऐसा क्यों? तो एक युवक ने अपने मोबाइल फोन में स्टेटस के तौर पर औरंगजेब की तस्वीर लगा रखी थी। इससे पहले नगर जिले में जुलूस में किसी के द्वारा औरंगजेब की तस्वीर लहराए जाने के आरोप लगे थे और वहां भी माहौल तनावपूर्ण हो गया था। यह कोल्हापुर-नगर के रास्ते पूरे महाराष्ट्र में दंगे भड़काने का एक सुनियोजित तंत्र है। औरंगजेब के नाम पर स्टेटस आदि रखना तो बहाना है। कोल्हापुर और नगर जैसे जिलों की एक सामाजिक, राजनीतिक विरासत है। ये सहकारिता क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्थान हैं, लेकिन इन्हीं जिलों को धार्मिक कारणों से बेजार करने की साजिश रची जा रही है। कोल्हापुर में ही कुछ दिन पहले बहादुर शाह जफर की तस्वीर को गलती से औरंगजेब की फोटो समझकर एक दुकान में तोड़फोड़ किए जाने का मामला सामने आया था। इस बार भी पुलिस को यह पता नहीं है कि कोल्हापुर के युवक ने जिस मुगल बादशाह की तस्वीर लगाई थी वो तस्वीर औरंगजेब की थी या टीपू सुल्तान की। फिर भी क्षणभर में सैकड़ों लोग सड़कों पर उतरकर गृह मंत्री फडणवीस के मंत्रालय के ‘मंसूबों’ को सार्वजनिक कर देते हैं, इसका क्या अर्थ है? ये युवा विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल जैसे संगठनों से जुड़े युवक थे और इनमें से ज्यादातर कोल्हापुर के बाहर से आए थे। एक रात में संदेश देकर इन्हें सड़कों पर लाया गया और हिंदुत्व के नाम पर उन्हें भड़काया गया। औरंगजेब अब महाराष्ट्र की सियासत में नया हथियार बन गया है, ऐसा प्रतीत हो रहा है। कर्नाटक में जनसभाओं में बजरंगबली की गदा घुमाने के बाद भी भाजपा की शर्मनाक हार हुई। इसलिए महाराष्ट्र में औरंगजेब की कब्र खोदने का काम शुरू हो गया है। यह हिंदुत्व के विनाश करने और इसे विकृति की ओर ले जाने जैसा है। महाराष्ट्र में ठाकरे सरकार रहने के दौरान देवेंद्र फडणवीस ने औरंगजेब की कब्र को खोदकर हमेशा के लिए खत्म करने की बात कही थी। अब उनकी ही सरकार आ गई है और कब्र जगह पर है तथा उसी औरंगजेब की मदद से उनकी राजनीति चल रही है। हैदराबाद के ओवैसी बंधु छत्रपति संभाजी नगर में आते हैं और औरंगजेब की मजार के समक्ष नमाज अदा करते हैं। महाराष्ट्र में ये हमलावर किसी के लिए पूजनीय नहीं हो सकता। औरंगजेब ने महाराष्ट्र में धर्मांतरण किया, मंदिरों को तबाह किया, शिवराय को कैद किया, उस औरंगजेब की छाती पर पांव रखकर छत्रपति शिवराय ने हिंदवी स्वराज की स्थापना की। अभी दो दिन पहले रायगड में लाखों लोगों की उपस्थिति में शिव राज्याभिषेक समारोह मनाया गया। उस समारोह के ढोल-नगाड़े और तुरहियां बजने के दौरान ही औरंगजेब के नाम पर कोल्हापुर में दंगा कराया गया। औरंगजेब को जिंदा करके शिवराय के इतिहास पर मिट्टी डालने का काम कौन कर रहा है? औरंगजेब और टीपू सुल्तान का महाराष्ट्र धर्म से तिल मात्र भी संबंध नहीं है। प्रतापगढ़ की तलहटी में खोदी गई अफजल खान की कब्र, औरंगजेब की कब्र, लाल महल में काटी गई शाइस्ता खान की उंगलियां, ये मावलों (शूर-वीरों) के शौर्य का इतिहास है। ये कब्रें महाराष्ट्र के स्वाभिमान और हिंदुत्व के लिए दिखाए गए शौर्य की प्रतीक हैं। महाराष्ट्र से दुश्मनी लेने वालों को हम चेताते हैं, ‘हम पर हमला करने से पहले औरंगजेब और अफजल खान की कब्रों को देखें और उसके बाद ही महाराष्ट्र के आड़े आएं!’ लेकिन आज सत्ता में बैठे गद्दार गुट के एक अक्ल के कच्चे ने ऐसी घोषणा की थी कि वह प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर मांग कर रहे हैं कि ‘संभाजीनगर शहर से औरंगजेब की कब्र हटा दी जाए।’ औरंगजेब की कब्र को हटाने की नौटंकी करने की बजाय उस कब्रिस्तान का जो सियासी उत्थान किया जा रहा है उस पर सरकार पाबंदी लगाए। हैदराबाद से संभाजीनगर आकर औरंगजेब की मजार के सामने नमाज अदा करनेवाले ओवैसी भाई और उनकी पार्टी मोदी पार्टी के करीबी दोस्त हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर कई राज्यों में जीत हासिल करने के लिए ओवैसी की पार्टी को राजनीतिक सुपारी दी जा रही है। मुसलमानों के वोट तोड़ने वाले यंत्र के रूप में उनका इस्तेमाल किया जा रहा है, ये किसी से छिपा नहीं है। ओवैसी धर्मांधता तनाव निर्माण करें ये भाजपा की ही इच्छा है और इसी तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र में औरंगजेब के नाम पर लगी आग, उसी साजिश का हिस्सा है। औरंगजब को जिंदा किए बगैर भाजपा-शिंदे सरकार के शव में जान नहीं आएगी। कुछ दिनों से महाराष्ट्र में ‘लव जिहाद’ के नाम से मोर्चे निकाले जा रहे हैं और अब औरंगजेब को कंधे पर बैठाकर हिंदुत्व के खतरे में होने की दुहाई दी जा रही है। दफन किए गए मुर्दों के कारण हिंदुत्व खतरे में पड़े, हिंदुत्व इतना कच्चा और कमजोर नहीं है। कमजोर है भाजपा और गद्दारों की राजनीति। महाराष्ट्र के अन्य मुद्दों पर से ध्यान भटकाने के लिए ही औरंगजेब के मुर्दे को निकाला जा रहा है। सरकार अयोग्य सिद्ध हो रही है, गिरने वाली है। इसलिए डूबते को तिनके का सहारा की तर्ज पर इन डूबनेवालों ने औरंगजेब का सहारा लिया है तो इसे शर्मनाक ही कहना होगा। वहां मणिपुर जल रहा है, उसे वे शांत नहीं कर पा रहे हैं। यहां महाराष्ट्र को जलाने की कोशिश कर रहे हैं। आग का यह खेल उन्हें महंगा पड़ेगा। वो औरंगजेब एक तरफ रह जाएगा, आग लगाने वाले ही उस आग में जल जाएंगे। यह चेतावनी हम महाराष्ट्र के हित में दे रहे हैं।