वारकरियों पर आलंदी में निर्मम लाठीचार्ज हुआ। आलंदी से ज्ञानोबा माऊली की पालकी प्रस्थान करनेवाली थी। हजारों वारकरी उसके लिए गले में तुलसी माला पहनकर, ललाट पर अबीर का तिलक लगाकर, कंधे पर ध्वज का भार लेकर इकट्ठा हुए थे। मुख से ‘ग्यानबा तुकाराम’, ‘रामकृष्ण हरि’ नाम के जाप में रमे हुए थे और इसी बीच उन पर पुलिस ने हमला किया। महाराष्ट्र के इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था।
‘भाव तैसे फळ। न चाले देवापाशी बळ।
तुका म्हणे केले। मन शुद्ध हे चांगले।।’
तुकोबा के मंदिर में भारतीय जनता पार्टी ने राजनीतिक ताकत का इस्तेमाल करने की कोशिश की और वारकरियों को लाठीचार्ज का प्रसाद खाना पड़ा। आलंदी तीर्थस्थल पर वास्तव में क्या हुआ था, इसे वारकरियों से उन्हीं के शब्दों में समझ लेना चाहिए। वारकरी कहते हैं, ‘संतश्रेष्ठ ज्ञानेश्वर महाराज की पालकी का प्रस्थान समारोह था। इस पूरे समारोह को राजनीतिक स्वार्थ के लिए हाईजैक कर लिया गया। भाजपा के आध्यात्मिक आघाड़ी के भोंदू आचार्य तुषार भोसले और मिंधे गुट के अक्षय शिंदे इन लोगों ने पालक मंत्री चंद्रकांत पाटील की उपस्थिति में दिंडी समारोह में हस्तक्षेप करना शुरू कर दिया। सम्मानित दिंड्या और ध्वजधारियों के साथ अपमानजनक व्यवहार किया गया। अपनी मर्जी के लोगों को प्रवेश दिया। इससे बहस शुरू हो गई। वारकरियों की भावनाओं को समझे बिना डुप्लीकेट वारकरी तुषार भोसले ने चंद्रकांत पाटील के सामने अड़ियल रुख अपनाया। इससे नोक-झोंक हुई और पुलिस वारकरियों पर टूट पड़ी।’ इस पूरे मामले के लिए डुप्लीकेट वारकरी तुषार भोसले ही जिम्मेदार हैं। इसी भोसले ने इससे पहले त्र्यंबकेश्वर में जाकर वहां का माहौल बिगाड़ने की कोशिश की और अब आलंदी में वारकरियों के साथ लड़ाई करने लगे। महाराष्ट्र के इतिहास में वारकरी संप्रदाय पर पालकी समारोह में लाठीचार्ज नहीं हुआ था। हिंदुत्व के नाम पर छाती पीटनेवाले और गला फाड़नेवाले मिंधे-फडणवीस के शासन में यह सब हुआ है। उसका जितना धिक्कार किया जाए उतना कम है। महाराष्ट्र में वारी की ३०० वर्ष से परंपरा है। ३०० साल में जो बात कभी नहीं हुई, उसे फडणवीस-शिंदे ने कर दिखाया। सरकार का कहना है कि लाठीचार्ज हुआ ही नहीं। सरकार को मोतियाबिंद हो गया है। उसकी सर्जरी करना जरूरी है। वारकरियों के साथ मारपीट, लाठीचार्ज के वीडियो सामने आए हैं, फिर भी गृहमंत्री फडणवीस कहते हैं कि ऐसा कुछ हुआ ही नहीं। इस झूठ को क्या कहें? भाजपा के तथाकथित आध्यात्मिक आघाड़ी के तुषार भोसले वारकरियों पर दबाव बनाकर भाजपा को जो चाहिए, वह कराने की कोशिश में थे और उनकी वजह से आलंदी में पुलिस ने वारकरियों पर हमला किया। इसलिए जरूरी है कि इस तुषार भोसले के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए और उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। वारकरियों पर हुए हमले की दुखद कहानी खुद वारकरियों ने सामने आकर बताई, लेकिन सरकार झूठी बयानबाजी कर रही है कि आलंदी में लाठीचार्ज नहीं हुआ, बल्कि मामूली झड़प हुई। संत ज्ञानेश्वर पालकी समारोह में पास को लेकर विवाद हुआ, ७५ लोगों को ही पास देना तय हुआ था, ऐसा अब कहा जा रहा है, लेकिन इस पास वितरण पर भाजपा के आध्यात्मिक आघाड़ी द्वारा कब्जा कर लेने के बाद गड़बड़ी की शुरुआत हुई, यह सच्चाई है। मंदिर में एक निश्चित संख्या में लोगों को प्रवेश की अनुमति देने को लेकर वारकरियों और प्रशासन के बीच विवाद हुआ होगा तो वारकरी समुदाय को विश्वास में लेकर सरकार निर्णय लेने में कमजोर साबित हुई। यहां राजनीतिक घुसपैठ का प्रयास किया गया और आलंदी की शांति भंग हो गई। पिछले कई वर्षों की परंपरा रही है कि वारी अनुशासन में और शांति से आगे बढ़ती रहती है। पुलिस वाले भी वारकरी के तौर पर जुलूस में सहभागी होते हैं, हाथों में ताल लेकर श्रीहरि का नाम जपते हैं, फुगड़ी खेलते हैं। यह तस्वीर हम बरसों से देखते आ रहे हैं। उस परंपरा को इस बार दाग लग गया। श्री फडणवीस अलग ही बोल रहे हैं, जबकि वास्तव में चित्र उससे अलग है। फडणवीस को गलत लोगों का समर्थन करना बंद कर देना चाहिए। महाराष्ट्र की जनता अनेक देवी-देवताओं की पूजा करती है और हर साल कई त्योहार मनाती है, लेकिन महाराष्ट्र का अंत:करण वास्तव में किसी चीज में रमा है तो वह केवल ‘युगे अट्ठाईस’ र्इंट पर खड़े पांडुरंग के चरणों में! पंढरी के विठोबा के चरणों में कुछ भी उधार नहीं रहता। इसलिए उनके दर्शन के लिए निकले भक्तों पर हुए निर्मम हमले को उन्होंने देखा है और यह उधारी पांडुरंग ब्याज के साथ चुकाए बिना नहीं रहेंगे। वारकरियों पर हुए लाठीचार्ज को देखकर पांडुरंग का कलेजा भी पानी-पानी हो गया होगा। बा… पांडुरंगा, कमर पर हाथ रखकर अपने भक्तों पर आए संकट को केवल देखते न रहो, अत्याचार करनेवालों को सबक सिखाओ, यही आपके चरणों में प्रार्थना!