प्रसिद्ध उद्योगपति, योगाचार्य बाबा रामदेव ने बयान दिया कि जो सनातन को गाली दे रहे हैं, उन्हें वर्ष २०२४ में मोक्ष मिल जाएगा। उद्योगपति रामदेव ने यह मोक्षपुराण काशी में रटा। काशी महातीर्थ है। विद्या और मोक्ष की नगरी है। काशी सत्यनगरी भी कहलाती है। इसलिए बाबा ने सत्य ही कहा होगा यह उम्मीद की जा सकती है। इस नगरी में उद्योगपति रामदेव ने ‘मोक्ष’ देनेवाले नए उद्योग समूह की घोषणा की है। इससे उनके पतंजलि उद्योग समूह को भारी बरकत मिलेगी। रामदेव ने इस ‘मोक्ष’ उद्योग की घोषणा ‘इंडिया’ गठबंधन को चेतावनी देते हुए की है। ‘इंडिया’ गठबंधन के ‘द्रमुक’ दल के नेता सनातन धर्म के विषय में विचित्र टीका-टिप्पणी करते हैं। वह धर्म नहीं मानते, धर्म नाम की सभी व्यवस्थाओं को नहीं मानते। यह उनकी भावना है। उनके विचारों से दूसरा कोई भी सहमत हो ऐसा जरूरी नहीं है। हमारा सवाल सिर्फ यह है कि तमिलनाडु के दक्षिणी या द्रविड़ लोग सनातन विचार व्यक्त नहीं करते हैं, इससे सनातन धर्म का कोई नुकसान हुआ है क्या? बिल्कुल भी नहीं। यही वजह है कि स्वयंघोषित ‘सनातन’ वादी भाजपा का भी विस्तार तमिलनाडु में नहीं हो सकता है, यह भी सनातन सत्य ही है। तमिलनाडु की धरती पर कई शतकों से हिंदू-सनातन धर्म चला आ रहा है। दुनिया को सर्वोत्तम और मोक्ष का मार्ग दिखानेवाले हिंदू मंदिर इसी भूमि पर हैं। अध्यात्म का ज्ञान पाने के लिए प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं। ईस्वी सन् सातवीं और दसवीं सदी के दौरान निर्मित यहां के असंख्य मंदिरों की ओर श्रद्धापूर्वक देखने से महसूस होता है कि ‘सनातन धर्म’ के विरोध के बावजूद ये तमाम मंदिर असंख्य श्रद्धालुओं को प्रेरणा व ऊर्जा दे रहे हैं। तमिलनाडु में आज सनातन विरोधियों की सरकार है और पिछले कई दिनों से ये लोग सनातन धर्म पर टीका-टिप्पणी कर रहे हैं, जो धर्म तलवार की धमक पर समाप्त नहीं किया जा सका, वह धर्म शाब्दिक तंत्र से जरा भी विचलित नहीं होगा। वहीं आज उसी तमिल भूमि पर सनातन धर्म का ध्वज लहरा रहा है। इसलिए राजनैतिक विचार और धर्म को गलत मत समझिए। तमिलनाडु में सनातन धर्म का कितना महत्व है? तमिलनाडु का चिदंबरम मंदिर भगवान शिव के सात पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। इसे सप्तपुरी के रूप में जाना जाता है। केदारनाथ, काशी विश्वनाथ, सोमनाथ, द्वारका, रामेश्वर और अमरनाथ में अन्य छह मंदिर हैं। सबसे आकर्षक मंदिरों में से एक नटराज मंदिर इसी राज्य में है। भगवान शिव के दिव्य नृत्य को दर्शाने वाला यह एक अद्भुत मंदिर है। मंदिर में शिव की कांस्य मूर्ति है, जिसे ऋर्षि आदिशंकर ने पवित्र किया था। हिंदू धर्म में नटराज का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। इसके अलावा १००३ में राजा चोल द्वारा निर्मित बृहडीश्वर मंदिर यहीं पर है। रामेश्वर मंदिर शिव को समर्पित है और वह १२ ज्योतिर्लिंग में से एक है। मदुराई का मीनाक्षी मंदिर लोकप्रिय है। यह मंदिर वास्तुशिल्प और शिल्पकला के लिए विश्व विख्यात है। तमिलनाडु के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक कुंभकोणम ब्रह्मा मंदिर है। वेल्लोर के श्री लक्ष्मीनारायण सुवर्ण मंदिर, सिखापुरी का बाला मुरूगन मंदिर, देवी पट्टीनम का नवपाषाणम मंदिर जैसा मंदिर तमिलनाडु में हिंदू धर्म की ध्वजा फहरा रहे हैं। तमिलनाडु में ४० हजार से अधिक हिंदू मंदिर हैं। अर्थात यह मंदिरों की भूमि है। इस देवभूमि से जो सनातन धर्म समाप्त नहीं कर सके, वह इस धरती पर मौजूद धर्म कैसे समाप्त कर सकते हैं? इसी तमिलनाडु के तंजावुर प्रांत पर शहाजीराजा के पराक्रमी पुत्र और छत्रपति शिवाजी महाराज के भाई व्यंकोजी राजे भोसले का शासन था और उन्होंने भी यहां िंहदू धर्म को बनाए रखा। तंजावुर में गणपति और दशहरा उत्सव आज भी जोर-शोर से मनाया जाता है। गुजरात, महाराष्ट्र इत्यादि राज्यों के हिंदू मंदिरों पर मुगलों ने आक्रमण किया था। सोमनाथ जैसे मंदिर तहस-नहस हो गए। अयोध्या पर भी आक्रमण हुआ, लेकिन तमिलनाडु की भूमि पर मौजूद सभी मंदिर इन आक्रमणों से सुरक्षित रहे यह उसी सनातन धर्म का यश है। इसलिए उद्योगपति रामदेव बाबा और भाजपा के लोगों को सनातन धर्म के बारे में जो चिंता सता रही है वह खोखली तो है ही, साथ ही यह एक जुमलेबाजी भी है। कारण इसमें राजनैतिक स्वार्थ और भड़का-भड़की के सिवा दूसरा कुछ नहीं है। ‘द्रविडी’ दल सनातन धर्म को नहीं मानता है और यह उनकी राजनैतिक विचारधारा है, लेकिन हिंदू संस्कृति तमिल लोगों में गहराई तक निहित है। यह राज्य हिंदुत्व का खजाना है। यदि स्वर्ग में ३३ करोड़ देव होंगे तो उन सभी देवताओं के मंदिर तमिलनाडु में हैं। तिरूनेलवेली में पापनासम मंदिर है। किसी का पाप धोने के लिए यहां जाने की प्रथा है। इसलिए २०२४ के चुनाव के बाद वर्तमान शासकों को इसी पापनासम मंदिर में जाना पड़ेगा और इस विधि का पौराहित्य उद्योगपति बाबा रामदेव को करना पड़ेगा। बाबा रामदेव ने काशी में प्रवचन के दौरान बताया कि ‘मोक्ष’ किसे और कब मिलेगा। जो ‘सनातन’ को गाली देते हैं उन्हें २०२४ में ‘मोक्ष’ मिलेगा, ऐसा उन्होंने कहा। बाबा ने मोक्षप्राप्ति का नया पतंजलि उद्योग शुरू किया है। इसी योजना के माध्यम से उन्होंने कोरोना निवारण औषधि बाजार में उतारा था, लेकिन लोगों ने काशी की मोक्ष प्राप्ति नगरी में गंगा में लाशें बहती देखी थीं। दिल की बीमारियों पर रामबाण औषधि की उन्होंने खोज की, लेकिन बाबा के ही पतंजलि के निदेशक आचार्य बालकृष्ण को दिल का दौरा पड़ते ही जान बचाने के लिए उन्हें दिल्ली के अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। अब रामदेव बाबा ने ‘मोक्ष’ प्राप्ति की ओर मोर्चा मोड़ दिया है। मूलरूप से मोक्ष प्राप्ति के लिए पांच बातों का पालन करना पड़ता है। सबसे पहले चोरी न करना, हिंसा न करना और मोह-माया से दूर रहना। ये जिसने किया उसके लिए ही मोक्ष का द्वार खुलता है। इस मोक्ष के धंधे का ‘पेटेंट’ प्रधानमंत्री मोदी ने उद्योगपति बाबा रामदेव को दिए होंगे तो वर्ष २०२४ में यह ‘मोक्ष’ उद्योग सीधे धराशायी होकर गिरने वाला है। अर्थात आज सत्ता पर मौजूद नकली हिंदुत्ववादियों का मोक्ष प्राप्ति होना कठिन ही है।