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संपादकीय : साहसी गांधी!

राहुल गांधी ने देश की राजनीति पर अपनी छाप छोड़नी शुरू कर दी है और ये छाप हमेशा रहेगी। मोदी और शाह ने देश में नफरत की राजनीति शुरू की। हालांकि, राहुल गांधी ने उसके विपरीत ‘मोहब्बत की दुकान’ की राजनीति शुरू की। गांधी ने अब कहा कि, ‘‘कांग्रेस ने कई गलतियां कीं। मैं उस समय पार्टी में नहीं था, लेकिन पार्टी ने इतिहास में जो भी गलतियां की हैं, मैं उनकी जिम्मेदारी खुशी-खुशी लेता हूं।’’ गांधीr ने जो कहा, उसे कहने के लिए ५६ इंच का सीना चाहिए और गांधी के पास वो है, यह उन्होंने हाल के दिनों में बारंबार दिखाया है। १९८४ के सिख विरोधी दंगों और उससे पहले हुए ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को लेकर राहुल गांधी ने जो विचार रखे, वो चौंकाने वाले हैं। सिखों की भावनाओं को ठेस पहुंचानेवाले ये कृत्य थे। ‘इसमें पार्टी की गलती होगी तो मैं उसकी जिम्मेदारी लेता हूं।’ कांग्रेस ने कई गलतियां कीं। मैं उस समय पार्टी में नहीं था, लेकिन अगर कुछ गलत हुआ है तो मैं उसकी जिम्मेदारी लेता हूं,’ ऐसा कहने के लिए साहस और बाघ जैसा कलेजा चाहिए। गांधी की अमेरिका के ब्राउन विश्वविद्यालय में छात्रों और पत्रकारों के साथ बातचीत प्रकाशित हुई। गांधी शुद्ध एवं स्वच्छ मन वाले एक मजबूत नेता हैं, यह उनकी बातों से साबित होता है। अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में भिंडरावाला अपने लाव-लश्कर के साथ बैठा था। उसने सबको जबरदस्ती पकड़ रखा था। स्वर्ण मंदिर में बैठकर वह खालिस्तान की फुफकार मार रहा था और सिख समुदाय को भड़का रहा था। पाकिस्तान का उसको समर्थन था। ऐसे समय में भिंडरावाला और उसकी खालिस्तानी फौजों का खात्मा करना राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से जरूरी था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भिंडरावाले को खत्म करने के लिए
स्वर्ण मंदिर में तोप और सेना
को घुसा दिया। भिंडरावाला मारा गया। स्वर्ण मंदिर को भी नुकसान पहुंचा। यदि तब खालिस्तान आंदोलन की कमर तोड़ी नहीं गई होती तो पाकिस्तान की मदद से एक स्वतंत्र खालिस्तान खड़ा हो गया होता। प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने साहसपूर्वक ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ चलाया और इसकी कीमत उन्हें अपने प्राणों की आहुति देकर चुकानी पड़ी। सिख अंगरक्षकों ने ही प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या कर दी। इसके बाद दिल्ली में भड़के सिख विरोधी दंगों में कई सिखों को अपनी जान गंवानी पड़ी यह इतिहास है। ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ एक साहस था। यह उस समय की मांग थी, लेकिन सिख विरोधी दंगों में कांग्रेस नेताओं की खुली भागीदारी एक अक्षम्य अपराध था। राहुल गांधी ने अब बड़े मन से इन गलतियों की जिम्मेदारी स्वीकार की है। दरअसल, राहुल को ऐसा करने की जरूरत नहीं थी। श्रीलंका की मदद के लिए भारतीय शांति सेना भेजकर जाफना में तमिलों के अड्डों को नष्ट करना, ये भी धक्कादायक था और बाद में राजीव गांधी को इसकी कीमत चुकानी पड़ी। तमिल उग्रवादियों ने राजीव गांधी की हत्या कर दी, लेकिन साहसी निर्णय लेने की कूवत कांग्रेस नेतृत्व में थी ही। क्योंकि कांग्रेस की नींव स्वतंत्रता संग्राम, संघर्ष और आंदोलन से बनी है। भाजपा नेतृत्व ने पिछले पंद्रह वर्षों में कई गलतियां की हैं। क्या वे उन गलतियों की जिम्मेदारी लेंगे? नोटबंदी का निर्णय देश की अर्थव्यवस्था और मध्यम वर्ग के लिए विनाशकारी था। हजारों लोग बैंक की कतारों में ही मर गए। अर्थव्यवस्था के बारह बज गए और मोदी अपनी गलतियां मानने को तैयार नहीं हैं। जीएसटी जैसे राक्षसी कानून उद्योग और व्यापार को नुकसान पहुंचा रहे हैं। मोदी और शाह का कहना था कि नोटबंदी से कश्मीर में आतंकवाद खत्म हो जाएगा, लेकिन कश्मीर में ठीक इसके उलट हो रहा है।
पुलवामा से पहलगाम तक की
घटनाएं चौंकाने वाली हैं। सैनिक और निर्दोष लोग आतंकवादी हमलों में मारे जा रहे हैं। अमित शाह को इन गलतियों की जिम्मेदारी लेते हुए गृहमंत्री के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए, लेकिन अपनी गलतियों को स्वीकार करने की आदत भाजपा में नहीं है। भाजपावाले ऐसे व्यवहार करते हैं जैसे वे आसमान से टपके हों। इसलिए गलतियों को स्वीकार करना आदि उनके ढांचे में फिट नहीं बैठता। पुलवामा और पहलगाम हत्याकांड की जिम्मेदारी प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री शाह को ही लेनी होगी, लेकिन गलतियां और जिम्मेदारी स्वीकार करने का जो साहस राहुल गांधी दिखाते हैं, वह साहस भाजपा नेतृत्व में नहीं दिखता। गांधी ने कहा, ‘‘भाजपा जो कहती है, उसे मैं हिंदू विचार नहीं मानता। मैं हिंदू विचार को अधिक बहुजनवादी, अधिक समावेशी, अधिक प्रेमपूर्ण, सहिष्णु और खुला मानता हूं।’’ राहुल गांधी का यह बयान ऐतिहासिक है। भाजपा हिंदुत्ववादी विचार और संस्कृति की वाहक नहीं, बल्कि ठेकेदार है। वे सत्ता स्थापित करने के लिए हिंदू विरोधियों की सेज पर चढ़ने को भी तैयार रहते हैं। इस मामले में उन्होंने बेशर्मी की कहर बरपा दी है। भाजपा ने सभी दलों के भ्रष्ट और व्यभिचारी लोगों को, गिरोह चलाने वालों को अपनी पार्टी में ले लिया है। ये गलत है, ऐसा वे नहीं मानते। ‘कांग्रेस को खाली करो और भाजपा को बढ़ाओ’ यह दिव्य मंत्र महाराष्ट्र में इस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने दिया है। इन गलतियों की जिम्मेदारी लेने की हिम्मत दिखानेवाला नेता अब भाजपा में नहीं है। राहुल गांधी ने इतिहास में कांग्रेस द्वारा की गई गलतियों की जिम्मेदारी स्वीकार की और आगे बढ़े। इसे कहते हैं साहस, दरियादिली और नेतृत्व। भाजपा नेतृत्व में इन गुणों का लेशमात्र भी अंश नहीं है!

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