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संपादकीय : कोरोना की नई दस्तक!

कोरोना का दफनाया गया भूत देश में फिर एक बार सिर उठाने लगा है।‌ पिछले कुछ महीनों में कोरोना की दुखद यादों पर पर्दा डालते हुए जनजीवन फिर एक बार पटरी पर लौट आया था। लेकिन एक बार फिर से कोरोना ने दस्तक देनी शुरू कर दी है। देशभर में कोरोना के सक्रिय मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। शनिवार को एक दिन में करीब ३,८०० नए कोरोना मरीजों की पुष्टि हुई। पिछले हफ्ते देश में १८ हजार ४५० नए कोरोना मरीज मिले थे। यह आंकड़ा पिछले सप्ताह दर्ज किए गए मरीजों की संख्या से दोगुना है। शनिवार को कोरोना मरीजों की संख्या पिछले छह महीने में सबसे अधिक तो है, लेकिन पिछले सात दिनों में कोरोना संक्रमितों की संख्या जनवरी २०२२ की तीसरी लहर के बाद सबसे तेज गति से बढ़ने वाली मानी जा रही है। सरकारी और चिकित्सा स्तर पर भी इसी बात पर विचार किया जा रहा है तथा जनता को भी सावधान किया जा रहा है। फिलहाल ठीक होने की दर ९८.७७ प्रतिशत है और मृत्यु दर कम होना निश्चित तौर पर सुकून देने वाली बात है। तथापि, कोरोना महामारी की तीन लहरों का अनुभव हमारे देश ने किया है। पहली दो लहरों की तुलना में तीसरी लहर उतनी घातक नहीं थी, लेकिन संक्रमण की दर और रफ्तार ज्यादा थी। कोरोना टीकाकरण और अन्य कारणों से आगे कोरोना महामारी का संकट धीरे-धीरे कम होता गया। लॉकडाउन और कोरोना प्रतिबंध पूरी तरह से हट गए। जनजीवन और अर्थचक्र पहले की तरह शुरू हो गया। इसलिए लोग कोरोना को जैसे भूल ही गए। लेकिन अब फिर से यह वायरस हाथ-पैर पसारने लगा है, इसलिए समय रहते सावधानी बरतना जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से लेकर विशेषज्ञों तक सभी द्वारा समय-समय पर दी गई ‘कोरोना खत्म नहीं हुआ है’ की चेतावनी मौजूदा कोरोना संक्रमण के चलते सच साबित हो रही है। मुख्य रूप से केरल, गोवा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में संक्रमण की गति अधिक है। महाराष्ट्र और गुजरात राज्य भी इसमें अपवाद नहीं हैं। कोविड वायरस का ‘ओमायक्रॉन एक्सबीबी १.१६’ वैरिएंट वर्तमान में बढ़ते संक्रमण की वजह साबित हो रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि यह संक्रमण चिंताजनक है, लेकिन लोगों को घबराने की जरूरत नहीं है। उसमें तथ्य है, फिर भी लोगों को सावधान रहने में ही भलाई है। केंद्र और राज्य के सत्ताधारी चेतावनी देने के अलावा कुछ नहीं करेंगे। पहली लहर के दौरान भी कोरोना वायरस भगाने के लिए ‘थाली’ बजाने का प्रयोग किया ही गया था। वास्तव में क्या भयानक स्थिति हुई, यह तो स्पष्ट ही है। दूसरी लहर ने तो उससे भीषण झटका देश को दिया था। मनुष्य के जीवन को क्षणभंगुर बना देनेवाला वह झटका था। केंद्र सरकार के कोरोना नियोजन और चिकित्सा तैयारियों की पूरी पोल दूसरी लहर ने खोल दी थी। केवल ऑक्सीजन के अभाव में उस समय सैकड़ों कोरोना मरीजों की नाहक मौत हो गई थी। सरकार का फंसा नियोजन व उसके कारण पर्याप्त और समय पर ऑक्सीजन की आपूर्ति न हो पाने की भारी कीमत सैकड़ों बेगुनाहों को अपनी जान गंवाकर चुकानी पड़ी थी। अब एक बार फिर कोरोना वायरस ने महाराष्ट्र सहित पूरे देश में पैर पसारना शुरू कर दिया है। कहा जा रहा है कि मौजूदा कोरोना का प्रकोप तीसरी लहर की तरह आपातकाल की स्थिति पैदा करनेवाला नहीं होगा। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि लोग बिंदास रहें। महाराष्ट्र में सातारा के जिलाधिकारी द्वारा सार्वजनिक स्थानों पर मास्क अनिवार्य करने का फैसला कोरोना के नए संकट और लोगों द्वारा खुद से अपना ख्याल रखने को लेकर चेतावनी है। कोरोना की नई दस्तक कदाचित पहले की तरह ‘डराने’ वाली न हो, लेकिन सरकार और जनता दोनों को नए संकट को गंभीरता से देखना चाहिए।

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