हिंदुस्थान सभी क्षेत्रों में कैसी घुड़दौड़ कर रहा है, ऐसी रुचिकर और सुरम्य खबरें सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही हैं। मोदी राज में अंधभक्त और तनख्वाह लेनेवाली साइबर फौजें इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं। लेकिन हकीकत में हिंदुस्थान कई मामलों में किस कदर पिछड़ गया और अनावश्यक मामलों में आगे है, वैश्विक आंकड़े इन दावों की समय-समय पर पोल खोलते रहते हैं। वर्तमान में भी दुनिया के खौफनाक और अपराधग्रस्त देशों की एक सूची जारी की गई है, जिसमें हमारा देश ४४.४३ प्रतिशत अपराध के साथ ८१वें स्थान पर है। हालांकि, ८१वां स्थान काफी ‘ऊपर’ लगता होगा, लेकिन यह गौर किया जाना चाहिए कि यह १४४ देशों की रैंकिंग है। यदि मोदी सरकार आने के बाद से देश वास्तव में प्रगति के पथ पर बढ़ा है तो ये संख्या ८१ की बजाय कहीं ज्यादा आगे होनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। होगा वैâसे? सरकार और उसके भक्तगण चाहे कितना भी ढोल पीटते होंगे, लेकिन सच्चाई यही है कि देश में अपराध दर कम नहीं हुई है। देश के कोने-कोने से प्रतिदिन सामने आनेवाली अपराध से जुड़ी खबरें इस भयानक सच्चाई से अवगत कराती हैं। हत्या, हमले, लूटपाट, डवैâती, चोरी, महिलाओं के खिलाफ हिंसा बढ़ती ही नजर आ रही है। यह भक्तों के दावों के अनुरूप अपराध और भयमुक्त और सुरक्षित देश के लक्षण नहीं हैं। भले दो फीसदी ही क्यों न हो, पाकिस्तान हमसे ज्यादा ‘सुरक्षित’ सिद्ध हुआ है। क्योंकि इस सूची में भारत ८१वें और पाकिस्तान ८५वें स्थान पर है। वहां अपराध दर हमारी ४४.४३ प्रतिशत की तुलना में कम अर्थात ४२.८ प्रतिशत है। अर्थात जिस पाकिस्तान के नाम पर हाय-तौबा मचाई जाती है। चेतावनी और ढिंढोरा पीटा जाता है, उस पाकिस्तान में २ फीसदी ही क्यों न हो लेकिन अपराध दर हमसे कम है। फिर भी मोदी राज में हमारा देश सुरक्षित और भयमुक्त हुआ है, ऐसा ढिंढोरा पीटनेवालों को क्या कहें? भक्तों को शायद इस ८१वें स्थान में भी कुछ हर्ज नहीं लगेगा। वर्तमान शासन में ४४ प्रतिशत अपराध कहने की बजाय देश का ५६ प्रतिशत हिस्सा वैâसे ‘सुरक्षित’ है, इस बात का ढोल पीटा जाएगा! मोदी सरकार का मतलब धाक है, दबदबा है, ऐसा कहा जाएगा। लेकिन क्या वास्तव में परिस्थितियां ऐसी हैं? तो नहीं। यदि ऐसा होता तो देश में अपराध बढ़े नहीं होते, कर्ज डुबानेवालों की संख्या कम हुई होती, वे देश छोड़कर बाहर नहीं भाग पाए होते। इसी तरह भ्रष्टाचार ‘शिष्टाचार’ नहीं बना होता। भ्रष्ट लोग भाजपा की ‘वॉशिंग मशीन’ में ‘धोए हुए चावलों’ की तरह साफ होकर भाजपा के साथ सत्ता में शामिल नहीं हुए होते। लेकिन क्या मोदी सरकार को भी ऐसा लगता है कि असली अपराधियों को कानून और जांच एजेंसियों से डर लगे, ये सवाल है ही। क्योंकि कानून और जांच एजेंसियों का डर सिर्पâ हमारे राजनीतिक विरोधियों और आलोचकों में ही होना चाहिए, ऐसी इस सरकार की नीति है। वेंâद्रीय जांच एजेंसियों का खौफ इसी वजह से निर्माण किया गया है। लोकतंत्र के सभी स्तंभों को इन्हीं आतंकी पंजों के नीचे जकड़ने का प्रयास किया जा रहा है। सोशल मीडिया पर ‘ट्रोल’ छापा और साइबर फौजों का हमला इसी आतंकवादी रणनीति का हिस्सा है। वर्तमान वेंâद्र सरकार के कानून की धाक का यह आशय है। ऐसी अवस्था में वैश्विक अपराध में पाकिस्तान भी हमसे दो फीसदी ही ज्यादा क्यों हो, लेकिन वह ‘सुरक्षित’ रहेगा ही! सच तो यह है कि देश में न तो अपराधियों में वर्तमान कानून का डर है और न ही शासक खुद उसकी धाक की परवाह कर रहे हैं। हालांकि, इस रैंकिंग में भारत का ८१वां स्थान होगा भी, लेकिन यदि किसी ने सरकार समर्थित आतंकवाद से ग्रस्त देशों की सूची बनाई तो उसमें मोदी राज अव्वल होगा। देश की वैश्विक छवि का ढोल बजानेवाले हुक्मरान थोड़ा शर्म करो!