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संपादकीय : देशमुख का ‘पानी’ संघर्ष, डरपोक तानाशाही की दमनशाही!

भारतीय जनता पार्टी और उसके नेता एक नंबर के नौटंकीबाज हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने खुद अपनी एक तस्वीर जारी की। टेबल पर फाइलों का ढेर है और ‘मिशन नो पेंडेंसी’ के नाम पर देवेंद्र महोदय फाइलें क्लियर करते उस तस्वीर में नजर आ रहे हैं। वास्तविकता में काम का पहाड़ मंत्रालय में जमा पड़ा है और देवेंद्र उस पहाड़ पर हमला कर रहे हैं, ये सच है, लेकिन वास्तव में वे फाइलें किसकी हैं? क्या वो फाइलें रोजगार, पानी, किसानों से संबंधित हैं? वहां अकोला में पानी का मुद्दा धधक रहा है और इस मसले को सुलझाने वाली फाइल देवेंद्र महोदय क्लियर करने को तैयार नहीं हैं। अकोला के शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के विधायक नितिन देशमुख पानी के इस मुद्दे को लेकर सैकड़ों लोगों के साथ पैदल निकले। वे देवेंद्र फडणवीस को अकोला के खारे, प्रदूषित, जहरीले पानी का नमूना दिखाना चाहते थे। छोटे बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को यह जहरीला पानी पीना पड़ता है। शुद्ध पानी हर नागरिक का अधिकार है, लेकिन अकोला की जनता को विषैला पानी पीना पड़ रहा है। उसी जहरीले पानी के नमूने सत्ताधारियों के सामने रखने यदि जनप्रतिनिधि जाएं तो क्या यह अपराध हो जाता है? लेकिन देशमुख को गुरुवार की सुबह में गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें नागपुर में प्रवेश करने से रोक दिया गया। यह दमनशाही है। ठाकरे सरकार के कार्यकाल में अकोला में पानी की समस्या का समाधान निकाला गया था। लेकिन अकोला के लिए स्वीकृत की गई जलवाहिनी योजना को मिंधे-फडणवीस सरकार ने स्थगित कर दिया। यह ६९ गांवों के पानी का गंभीर मसला है। इस मामले को लेकर देशमुख द्वारा अकोला से १० अप्रैल से शुरू की गई पदयात्रा नागपुर के मुहाने पर पहुंची और उम्मीदों के अनुसार फडणवीस की डरपोक सरकार भाग गई। फडणवीस अकोला के पालक मंत्री हैं और अकोला की जनता एक-एक घूंट पानी के लिए तड़प रही है। खारा पानी, जो जहरीला है, उसे पीकर वे दिन निकाल रहे हैं। इस पानी के कारण कई लोग बीमारी से बेजार हो गए हैं, लेकिन पालकमंत्री फडणवीस टेबल पर फाइलों का पहाड़ बनाकर सही करते हुए खुद की तस्वीर निकलवा रहे हैं। अरे, देवेंद्र महोदय, बाकी छोड़िए, लेकिन उस फाइलों के अंबार में अकोला की पानी समस्या की फाइल है क्या? सिर्फ उतना बताइए। नितिन देशमुख एक जुझारू विधायक हैं। लोगों की समस्याओं को लेकर संघर्ष करनेवाले जनप्रतिनिधि हैं। ‘मिंधे’ गुट उन्हें पकड़कर गुवाहाटी ले गया था, लेकिन बड़ी ही चतुराई से निकलकर वे वापस आ गए। असली शिवसेना पर उनकी निष्ठा अडिग है और उन्होंने मतदाताओं व मूल पार्टी से बेईमानी नहीं की। क्या इसकी सजा मिंधे-फडणवीस अकोला की जनता को दे रहे हैं? पानी के लिए ‘संघर्ष यात्रा’ शुरू करते समय देशमुख ने क्या कहा था? वे कहते हैं, ‘अकोला- अमरावती के खारीय पट्टी का जो पानी तीन महीने का बच्चा पीता है, वही पानी हम देवेंद्र फडणवीस को पीने के लिए देनेवाले हैं, यही पानी उन्हें स्नान के लिए देंगे। तब उन्हें हमारी समस्याएं समझ में आएंगी।’ देशमुख ने जो कहा उसमें गलत क्या है? २१ अप्रैल को देशमुख की ‘जल संघर्ष यात्रा’ नागपुर में पहुंचने वाली थी और फडणवीस के घर के बाहर धड़कने वाली थी, लेकिन उससे पहले देशमुख को गिरफ्त में ले लिया गया। यह कायरता है। मिंधे गुट में गए बेईमान विधायकों को सैकड़ों करोड़ रुपए की निधि दी जा रही है। निधि ठेकेदारों के गले में डालकर कमीशन लिया जा रहा है। निधि व योजना केवल कागजों पर है। कमीशनबाजी में ही इस निधि का उपयोग हो रहा है लेकिन अकोला-अमरावती की जनता को जहरीला पानी पीना पड़ रहा है। खारघर के श्री सेवकों को पानी के अभाव में तड़पकर जान गंवानी पड़ी। यही महाराष्ट्र की असली स्थिति है। महाराष्ट्र के मंत्रिमंडल में जल विभाग के जो ‘गुलाबी’ मंत्री हैं, उन्होंने ही पानी के नाम पर पानी जैसे पैसा खींचा है। ग्रामीण जलापूर्ति योजना, जल जीवन मिशन, महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण इन सभी में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार खुलेआम चल रहा है। इन भ्रष्टाचारों की फाइल क्या देवेंद्र महोदय के टेबल पर लगे अंबार में है? अकोला के ६४ गांवों में एक दिन बाद जलापूर्ति हो रही है। विधायक नितिन देशमुख ने अकोला की जल समस्या को लेकर विधान भवन परिसर में अनशन किया। ६९ कस्बों के लिए तेल्हारा तहसील की वान परियोजना से ३.३५ दलघमी पानी आरक्षित करने का निर्णय हुआ था, लेकिन ३ मार्च को देवेंद्र महोदय ने पानी का आरक्षण रद्द कर दिया। यह सरासर अन्याय है। विपक्षी बेंच के विधायकों के चुनाव क्षेत्र के लोगों को पानी भी नहीं मिलने देना, यह विचार अमानवीय है और पानी मांगने निकले विधायक को गिरफ्तार करना यानी डरपोक तानाशाही की दमनशाही है। विदर्भ के नेता ही विदर्भ की जनता के असली शत्रु हैं। ऐसे सत्ताधारियों के गले में वही खारा पानी उड़ेलना चाहिए। नितिन देशमुख का यही कदम था। उनकी गिरफ्तारी हुई, लेकिन पानी के लिए संघर्ष जारी रहेगा!

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