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संपादकीय : तानाशाही का अंत होगा!

देश ने १९७५ की कालावधि में इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल का अनुभव किया है। इस काले दौर को भी शर्म आए इस बेगुमान तरीके से भाजपा के शासक व्यवहार कर रहे हैं। केंद्रीय जांच एजेंसियों का गैरकानूनी इस्तेमाल करके राजनीतिक विरोधियों को खत्म करने का कार्य बेरोकटोक जारी है। ये अघोषित नहीं बल्कि घोषित तानाशाही देश में शुरू होने के लक्षण हैं। पिछले दो दिनों में विपक्षी दलों के कई लोगों पर ‘ईडी’ ने छापेमारी की और कुछ को गिरफ्तार किया, लेकिन भाजपा के चहेते गौतमभाई अडानी सब कुछ करके भी पूरी तरह से मुक्त हैं। मोदी सरकार ने उन्हें विशेष सुरक्षा कवच बहाल किया है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को इससे पहले सीबीआई ने शराब नीति घोटाले के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। ये मामला सबूतों के अभाव में कमजोर साबित होगा और सिसोदिया को जमानत मिल जाएगी। ऐसा महसूस होने पर अब सिसोदिया को ‘ईडी’ ने भी गिरफ्तार किया। इसी मामले में तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. सी. आर. की बेटी कविता को ‘ईडी’ ने समन भेजकर पूछताछ के लिए बुलाया था। यह दबाव का एक तरीका है। बिहार में लालू यादव के बेटे तेजस्वी और सभी बेटियों के घरों पर ‘ईडी’ ने छापा मारा। तेजस्वी बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं। नीतिश कुमार और तेजस्वी ने हाथ मिलाकर बिहार में भाजपा के पैरों तले से सतरंजी खींच ली और सरकार गिरा दी। तब से भाजपा के लोग कह रहे हैं कि हम यादवों को सबक सिखाएंगे। सबक सिखाने के लिए २०१३ का एक मामला निकाला गया और लालू के परिवार पर छापा मारा गया। लालू के नाती-पोते, गर्भवती बहू को १६ घंटे तक घेरकर रखा गया और गर्भवती बहू तनाव के मारे बेहोश हो गई। वर्ष २०१३ के मामले में ‘ईडी’ इस तरह से कार्रवाई करती है, लेकिन एलआईसी, स्टेट बैंक को डुबाने वाले अडानी के रास्ते पर जाने की हिम्मत नहीं दिखाती है। इसका क्या अर्थ निकाला जाए? महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी के नेता व विधायक हसन मुश्रीफ के घर पिछले कुछ दिनों से ‘ईडी’ छापेमारी कर रही है। मुश्रीफ की पत्नी इस बात से नाराज हो गईं और बोलीं, ‘बस हमें गोली मार दो और मुक्त हो जाओ!’ केंद्रीय एजेंसियां जिस नृशंस तरीके से काम कर रही हैं, उसके प्रति यह गुस्सा है। महाराष्ट्र में कई चीनी मिलों के लेखा-जोखा में अनियमितताएं हैं, लेकिन उनमें से कई मिलों को फडणवीस-शिंदे सरकार का संरक्षण है, इसलिए ‘ईडी’ उन तक नहीं पहुंची। श्री मुश्रीफ की किसी ने सुपारी ले रखी है इसलिए उन पर छापे मारे जा रहे हैं। यह राजनीतिक प्रतिशोध की सुपारी का मामला है। सहकारिता क्षेत्र के कई भ्रष्ट हाथों का समर्थन फडणवीस सरकार को है, लेकिन कार्रवाई सिर्फ मुश्रीफ और उनके परिवार पर हो रही है। साई रिसॉर्ट मामले में खेड के सदानंद कदम को गिरफ्तार करके ‘ईडी’ ने क्या साबित किया? खेड की शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पार्टी की सभा को सफल बनाने के लिए सदानंद कदम ने मेहनत की और सभा खत्म होते ही अगले ७२ घंटों में उन्हें ‘ईडी’ ने गिरफ्तार कर लिया। कुछ लेन-देन का हिसाब ‘ईडी’ को नहीं पता चलता और जांच में सहयोग नहीं, कहकर गिरफ्तारियां की जाती हैं। फिर गौतम अडानी आदि लोगों का हिसाब का पता क्या उन्हें चलेगा? अडानी ने एलआईसी के साठ हजार करोड़ डुबाए हैं। यह जनता के पैसे का गैर इस्तेमाल है और यह पैसा विदेश में ‘खोका’ कंपनियों के जरिए गया और वापस आया। ऐसी सभी फर्जी कंपनियों के हिसाब का पता क्या ‘ईडी’ और सीबीआई को चल सका है? अडानी को बचाने के लिए और अडानी के भ्रष्टाचार से जनता का ध्यान भटकाने के लिए विपक्ष के खिलाफ कार्रवाइयों ने जोर पकड़ रखा है। संसद का सत्र आज से शुरू हो रहा है। विपक्ष गौतम अडानी और मोदी के बीच भ्रष्ट संबंधों के बारे में सवाल न पूछे इसलिए विपक्ष के लोगों पर छापे मारे गए। अब विपक्षी अडानी के बारे में सवाल पूछने की बजाय अपने खिलाफ हुई कार्रवाई में ही उलझ जाएंगे और सरकार से इस पर जवाब मांगेंगे। यह एक चाल है। उनकी मंशा विपक्ष को समझ लेनी चाहिए। मोदी सरकार और भाजपा नेताओं के परिवार भ्रष्टाचार के कीचड़ में पूरी तरह से डूबे हुए हैं। भाजपा को हजारों करोड़ रुपए का चंदा अज्ञात स्रोतों से मिला। उसके रहनुमा भ्रष्टाचारी हैं। पी. एम. केयर फंड यानी सरकारी धोखाधड़ी है। कोई भी इसका साधारण ऑडिट करने को तैयार नहीं है, लेकिन राजनीतिक विरोधियों, उनके परिवारों को प्रताड़ित किया जा रहा है। हिटलर भी लज्जित हो जाए, उस तरीके से राजनीतिक अमानवीय हत्या सत्र चल रहा है। हिटलर ने यहूदियों को गैस चैंबर में बंद करके मार डाला था। अब अपने देश में राजनीतिक विरोधियों के साथ वही किया जाना बाकी है। विपक्ष को हमेशा के लिए खत्म करना और लोकतंत्र की लाश गिराना, यह निर्धारित करके ही देश में राज चलाया जा रहा है। इस सरकार ने सभी संवैधानिक संस्थाओं को अपने शिकंजे में ले लिया, चुनाव आयोग को अपनी जेब में डाल लिया, अदालतों में अपने लोगों को नियुक्त करा लिए। तो बचा क्या है? अब संविधान में भी बदलाव किया जाएगा या इच्छा के अनुसार नया संविधान लिखा जाएगा, ऐसा माहौल बन गया है। लालू यादव, मनीष सिसोदिया ने दृढ़ता से कहा, ‘आप चाहे जितना भी अत्याचार कर लो, हम घुटने नहीं टेकेंगे।’ महाराष्ट्र में संजय राऊत, अनिल देशमुख, नवाब मलिक ने भी घुटने नहीं टेके। सभी मिंधे नहीं हैं। बहुत से लोग न झुकनेवाले और स्वाभिमानी हैं। तब तक देश को कोई डर नहीं है। इसी स्वाभिमान से क्रांति की चिंगारी निकलेगी और केंद्रीय सत्ता द्वारा किया जा रहा अन्याय खत्म हो जाएगा। तानाशाही का अंत हो जाएगा। इतिहास यही कहता है।

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