राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील की मंगलवार को ईडी ने तकरीबन साढ़े नौ घंटे जांच की। इस दौरान जयंतराव ने एक किताब पढ़कर खत्म की। आईएएस एंड एफएस कंपनी के कर्ज घोटाले मामले में ईडी की जांच जारी है। इस तथाकथित घोटाले के मामले में ईडी को अधिक जानकारी चाहिए और उसके लिए जयंत पाटील को बुलाया गया। यह जानकारी वे लिखित में भी मंगवा सकते थे, लेकिन किसी को तकलीफ देनी हो तो सभ्यता को लपेटकर रख दिया जाता है। जिस मामले में जयंतराव को बुलाया गया, वह क्या तरीका है? लेकिन ‘घोटाला घोटाला’ कहकर जमीन पीटी जा रही है। इस तथाकथित घोटाले से संबंधित राजनेता भाजपा परिवार के भी हो सकते हैं लेकिन उन्हें जांच के लिए इस तरह नहीं बुलाया जाता। वह सम्मान केवल भाजपा के आगे न झुकने वाले विपक्षियों के लिए है। जयंत पाटील दोपहर बारह बजे ईडी कार्यालय में गए और रात लगभग दस बजे बाहर निकले। वे मुस्कुरा रहे थे और उस रात खुशी से सोए होंगे। निडर लोग ही चैन की नींद सोते हैं। कांग्रेस नेता हर्षवर्धन पाटील भाजपा में शामिल हो गए और उन्होंने बीच में घोषणा की थी, ‘मुझे अब चैन की नींद आती है। ईडी, सीबीआई, इनकम टैक्स वालों का अब कोई डर नहीं है। क्योंकि मैंने दरवाजे पर भाजपा की कुंडी लगा दी है!’ सांगली के भाजपा सांसद संजय काका पाटील भी चैन की नींद सो रहे हैं, उन्होंने भी एलान किया है। जब से वे कांग्रेस से भाजपा में आए हैं, तब से उन पर ईडी वगैरह का संकट टल गया है। शिवसेना के ४० विधायक ईडी, सीबीआई के डर से चूहों की तरह भागे। उनमें से कइयों पर जांच के समन और गिरफ्तारी के वारंट थे। उनके पाला बदलते ही भाजपा ने उन्हें ईडी से अभय दे दिया, लेकिन जो भाजपा की कुटिल साजिश का शिकार नहीं हुए, उनमें छगन भुजबल, अनिल देशमुख, नवाब मलिक, संजय राऊत जैसे नेता ईडी कार्रवाई की बलि चढ़ गए। जयंत पाटील ने भी भाजपा की गुलामी स्वीकार करने से इनकार कर दिया और ईडी ने उन्हें तुरंत तलब किया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा थी कि जयंत पाटील पर राकांपा के कुछ विधायकों के साथ भाजपा में शामिल होने का दबाव था। जब जयंत पाटील ने भाजपा के प्रस्ताव को ठुकरा दिया, तो ईडी ने तुरंत उन्हें तलब किया और उनसे साढ़े नौ घंटे तक पूछताछ की। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। ईडी ने कई लोगों के साथ ऐसा किया है। नवाब मलिक के खिलाफ अपराध भी झूठे साबित होंगे, ऐसी अब स्थिति है। मलिक ने सबूत के साथ समीर वानखेड़े पर भ्रष्टाचार, रंगदारी, आतंक आदि के आरोप लगाए। शाहरुख खान के बेटे आर्यन को ‘कॉर्डेलिया’ क्रूज मामले में ‘ड्रग्स’ रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सुशांत सिंह राजपूत मामले में अभिनेत्री रिया चक्रवर्ती को भी इसी तरह फंसाया गया था। इस तरह से कई बेगुनाहों की बलि ली गई। वानखेड़े के दरबार व कारभार का अब खुलासा हुआ है। ऐसे अधिकारी के समर्थन में भाजपा के मुंबई के भातखलकरों जैसे कई भौकाली विधायक उन दिनों सड़कों पर उतरकर नवाब मलिक के विरोध में चिल्ला रहे थे। वानखेड़े मामले में भाजपा के कई नेताओं के हाथ सने हुए हैं और उनकी भी जांच होनी चाहिए। खार में एक छुटभैये भाजपा नेता के घर वानखेड़े और उनकी टोली की बैठकें होती थीं और लेन-देन का व्यवहार होता था। कहा जाता है कि कई बार उस जगह पर भाजपा के वरिष्ठ नेता चाय-पान के लिए आते-जाते थे। वानखेड़े का मामला सीधा-साधा नहीं है। इस मामले में भाजपा पूरी तरह से डूबी हुई है, लेकिन जयंत पाटील की जांच करनेवाली एजेंसी क्या इस भाजपा गैंग की जांच करेगी? अनिल देशमुख को झूठे मामले में फंसाने के लिए परमबीर सिंह का इस्तेमाल किया गया। मुकेश अंबानी के घर के सामने विस्फोटक रखने, मनसुख हिरेन की हत्या करने जैसी साजिशों में सीधे तौर पर जिनकी सहभागिता थी, उस परमबीर को मिंधे-फडणवीस की सरकार ने अब फिर से सेवा में शामिल कर लिया है। राज्य के पूर्व गृहमंत्री देशमुख पर आरोप लगाकर उन्हें जेल भेजने के लिए परमबीर को वर्तमान सरकार ने पुरस्कृत किया है। कल यह सरकार और केंद्रीय एजेंसी वाझे, प्रदीप शर्मा को भी ‘क्लीन चिट’ दे देगी। इस सरकार का कोई भरोसा नहीं है। नवाब मलिक द्वारा समीर वानखेड़े पर लगाए गए सभी आरोप सच साबित हुए। मलिक ने कुछ और विस्फोटक जानकारियां भी सामने लार्इं और इसी वजह से उनके खिलाफ साजिश रचकर उन्हें अंदर डाल दिया गया। विपक्ष पर दबाव बनाने के लिए यह सब बिंदास किया जा रहा है। मिंधे सरकार के एक मंत्री दादा भुसे ने ‘गिरना मोसम सहकारी कारखाना बचाओ’ के नाम से किसानों से करीब १५० करोड़ रुपए जमा किए। उस पैसे का आगे क्या हुआ? इसमें बड़ा घोटाला हुआ है। जांच एजेंसियां इस पर चुप हैं। भाजपा विधायक राहुल कुल ने भीमा पाटस सहकारी कारखाने में ५०० करोड़ का घपला किया। किसान इसकी जांच कराने की मांग कर रहे हैं। लेकिन फडणवीस और जांच एजेंसी इस पर चुप्पी साधे हुए हैं। किरीट सोमैया का आईएनएस विक्रांत घोटाला, प्रवीण दरेकर का मुंबई बैंक कर्ज घोटाला, भाजपा के लाड से लेकर कंबोज तक सभी घोटालेबाजों को २४ घंटे के भीतर ‘क्लीन चिट’ दे दी गई, लेकिन विपक्षियों को झूठे मामलों में जांच के चक्कर में फंसाया जा रहा है। केंद्रीय जांच एजेंसियां भाजपा के घरेलू नौकर की तरह बर्ताव कर रही हैं। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष जयंत पाटील की साढ़े नौ घंटे तक जांच होती है, जबकि भाजपा के भ्रष्टाचारियों को खुली छूट मिलती है। हालांकि, जांच की कितनी भी फेरियां पीछे लगा दो, फिर भी स्वाभिमानियों को चैन की नींद आती है, यह जयंत पाटील ने दिखा दिया। पाटील-पाटीलों में अंतर होता है! कुछ पाटीलों का पानी ही अलग होता है। जयंतराव उन्हीं में से एक हैं।