भारतीय जनता पार्टी ने लोगों को बुरी आदतें लगा रखी हैं और अब इसी भाजपा के नेता लोगों को ‘भिखारी’ कहकर शर्मिंदा कर रहे हैं, जो अच्छी बात नहीं है। मध्य प्रदेश के एक भाजपाई नेता और मंत्री प्रह्लाद पटेल कहते हैं, ‘लोगों को सरकार के आगे हाथ फैलाने और गिड़गिड़ाने की आदत हो गई है। किसी नेता के आते ही गले में हार डालकर हाथों में मांगों का कागज थमा देना अच्छी आदत नहीं है। ऐसे में संस्कारित समाज का बनना मुश्किल है।’ प्रह्लाद पटेल ने जो ज्ञानामृत उगला है, उस पर भाजपा को एक चिंतन शिविर लगाने की जरूरत है। अगर लोग सरकार के सामने हाथ पैâला रहे हैं, यानी भीख मांग रहे हैं तो जनता के सामने यह नौबत किसके चलते आई है? ग्यारह साल से भारतीय जनता पार्टी का देश पर एकछत्र राज है और उसका नारा है ‘सब कुछ मोदी-मोदी’। ‘मोदी है तो मुमकिन है’ भाजपा का चुनावी मंत्र है। २०१४ में सत्ता में आने से पहले मोदी ने ही लोगों को ‘अच्छे दिन’ का सपना दिखाया और वोट हासिल किए। इसके अलावा उन्होंने हर साल दो करोड़ नौकरियां देने का भी वादा किया था। लेकिन मोदी सरकार ने इनमें से एक भी वादा पूरा नहीं किया, जबकि वह लगातार ११ वर्षों से सत्ता में है। यही वजह है कि जनता पर सरकार के सामने लाचार होकर हाथ फैलाने की नौबत आ गई है। आज देश में हर घंटे में दो किसान आत्महत्या कर रहे हैं। अगर ये हालात हमारे अन्नदाताओं की है तो औरों की क्या होगी? प्रधानमंत्री मोदी भारत को ५ मिलियन डॉलर्स की आर्थिक महाशक्ति बनाने का सपना दिखाते रहते हैं, लेकिन वर्ल्ड बैंक में मोदी के
दावों की हवा ही
निकाल दी है। विश्व बैंक की ‘रिपोर्ट’ के मुताबिक, मोदी काल में भारत १९९० से भी ज्यादा गरीब देश बन गया है। एक गरीब देश की प्रति व्यक्ति आय ५७६ रुपए होनी चाहिए। भारत में ये कमाई १८१ रुपए से भी कम है। फिर मोदी ऐसे ८५ करोड़ लोगों को हर महीने १० किलो अनाज मुफ्त देते हैं। ये भीख है और मोदी ने भारत की एक बड़ी आबादी को भिखारी बना दिया है। इसके अलावा राज्यों में ‘लाडले भाई’, ‘लाडली बहनें’ जैसी योजनाओं के जरिए खाते में पैसा जमा किया जाता है। यह सब करने के पीछे का मकसद वोट खरीदना और सत्ता बरकरार रखना है। किसानों ने अपनी उपज के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग की है। हमारे माल का उचित दाम दो, ताकि हमें सरकार के सामने भिखारियों की तरह हाथ न फैलाना पड़े, यह किसानों का रुख है और वह सही है। किसान खुद ही आत्मनिर्भर बनने की कोशिश कर रहे हैं और मोदी सरकार उन्हें अपने दरवाजे पर भिखारी बनाने की कोशिश कर रही है। मौजूदा सरकार की नीति गरीबी, अंधविश्वास और कट्टरता को बढ़ाकर लोगों को अपने ऊपर निर्भर बनाए रखना है। गरीब, भिखारी लोग अंधविश्वासी और कट्टर हो जाते हैं। भाजपा बिल्कुल यही चाहती है। क्या भाजपा के धार्मिक पंडितों और धर्म प्रचारकों ने कभी रोजगार, महंगाई, शिक्षा और स्वास्थ्य पर चर्चा की है? वे ‘बटेंगे तो कटेंगे’ आदि की बात करते हैं, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार के मुद्दों पर बात नहीं करते। भारत की आबादी को भिखारी और गरीब बनाए रखने का एक और फायदा यह है कि इन मतदाताओं को खरीदा जा सकता है। उनके वोट थोक के भाव पर खरीदे जाते हैं या चुनाव से एक रात पहले गरीबों की उंगली पर स्याही लगाकर चुनाव में न आने की कीमत चुका दी जाती है। इसलिए सरकार गरीबों के
खरीदे गए वोटों पर
निर्वाचित होकर गरीबों को गरीब बनाए रखने की नीति लागू करती है। ये ही गरीब जब अपनी मांगों को लेकर सरकार के सामने हाथ पसारते हैं, तब भाजपा के मंत्री और नेता उन्हें ‘भिखारी’ कहकर उनका उपहास उड़ाते हैं। भारत की यह स्थिति गंभीर है। भारत का आर्थिक आधार जर्जर हो चुका है और देश का शिखर खंडहर हो चुका है। सरकार इस बात से खुश है कि ८० करोड़ लोगों ने प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान किया है। इनमें से ७५ करोड़ गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले, मोदी जी की मुफ्त योजना का लाभ लेने वाले लोग हैं। जिस तरह उनकी मौत प्रयागराज की भगदड़ में हुई उसी तरह वे दिल्ली रेलवे स्टेशन से कुंभ जाने वाली भीड़ में भी कुचलकर मर गए। सरकार कहेगी, ‘चलो, दो एक हजार भिखारी और लाभार्थी कम हो गए।’ भारतीय जनता पार्टी और उसके मंत्रियों का अहंकार बीच-बीच में उबाल मारता है। भाजपा के एक नेता और मध्य प्रदेश के मंत्री प्रह्लाद पटेल के श्रीमुख से बिखरे सुवचन ‘‘लोगों को सरकार के सामने हाथ फैलाकर भीख मांगने की आदत हो गई है।” इस अहंकार का उदाहरण है। मंत्री प्रह्लाद पटेल ने यह भी कहा कि भिखारियों की फौज खड़ी करके समाज को मजबूत नहीं बनाया जा सकता, लेकिन सच तो ये है कि भिखारियों और अंधभक्तों की फौज बनाने की फैक्ट्री भारतीय जनता पार्टी ही है। ‘मुफ्त’, ‘लाचार’ योजनाओं के जनक आप ही हैं। गौतम अडानी जैसे अमीर लोगों को बिना हाथ फैलाए सब कुछ मिल जाता है और जब कोई गरीब सरकार के दरबार में मांग पत्र लेकर जाता है तो वह भिखारी बन जाता है। भाजपा राज में भ्रष्टाचारी और गद्दार दलबदलुओं का सम्मान होता है। गरीबों को सिर्फ अपना वोट देना है, वह भी थोक भाव में!