महाराष्ट्र के किसानों ने प्याज रास्ते में फेंककर भाजपा सरकार का निषेध किया। लेकिन नाक से प्याज छीलने का इस सरकार का काम जारी ही है। बीते छह महीनों में भ्रष्टाचार के मामलों का प्रतिदिन खुलासा होने के बाद भी उपमुख्यमंत्री फडणवीस सिर्फ ‘पूर्ववर्ती सरकार ने क्या किया?’ यही रिकॉर्ड बजाकर गोलमाल कर रहे हैं। शिवसेना सहित विपक्ष के कई विधायकों को एंटी करप्शन अर्थात भ्रष्टाचार निरोधक विभाग द्वारा नोटिसें भेजकर जांच का झमेला पीछे लगाना यह राजनीतिक प्रतिशोध के लक्षण हैं। कोकण के विधायक राजन सालवी और उनके परिजनों की सरकार द्वारा इसी तरह से प्रताड़ना की जा रही है। विधायक वैभव नाईक, नितिन देशमुख को भी ‘एंटी करप्शन’ के द्वारा परेशान किया जा रहा है। ये तमाम लोग मिंधे गुट में शामिल नहीं हुए। उन्होंने अपना ईमान नहीं बेचा। इसकी सजा उन्हें दी जा रही है। इस पर अब श्री फडणवीस ने नाक से प्याज छीलते हुए कहा, ‘कर नहीं तो उसे डर किस बात का?’ श्रीमान फडणवीस आपकी बात सही है, परंतु ‘डर’ हमें न होकर आपके लोगों को है और आपके ही संरक्षण में भ्रष्टाचार का साम्राज्य फल-फूल रहा है। दौंड के भीमा पाटस शक्कर कारखाने के ५०० करोड़ का घोटाला सामने आया। किसानों का पैसा भाजपा विधायक कुल ने ‘हड़प’ लिया। उक्त पैसों की लूट होने का खुलासा होने के बावजूद फडणवीस विधायक कुल की वकालत करते नजर आ रहे हैं। आपके उस ‘एंटी करप्शन ब्यूरो’, ‘इकोनॉमिक
ऑफेंस विंग’ इन भ्रष्टाचार संरक्षण मंडलों ने श्रीमान कुल को नोटिस भेजी है क्या? आपकी नाक के सामने भ्रष्टाचार हुआ और आप आरोपियों को बचा रहे हैं। क्या यही आपके कानून का राज है? कर नहीं तो डर क्यों? यह श्री कुल जैसों को बताएंगे तो अच्छा होगा। लेकिन भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने की ही आपकी नीति है। मुंबई स्थित ‘चुंबन’ प्रकरण में मुख्य आरोपी रहे एक तरफ, इसके विपरीत राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ ही कार्रवाई की जा रही है। उस पर सार्वजनिक जगहों पर असभ्य बर्ताव करनेवालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई नहीं होनी चाहिए क्या? किसी भी अश्लील कृत्य के कारण समाज को तकलीफ होती होगी तो भारतीय दंड संहिता की धारा २९४ के तहत एफआईआर दर्ज होनी चाहिए। मुंबई पुलिस एक्ट की धारा ११० के तहत भी यह अपराध है। फिर राज्य के गृहमंत्री ने आपराधिक मामला दर्ज कर ‘चुंबन’ मामले में सच्चाई की जांच क्यों नहीं की? ठाणे का एक मनपा अधिकारी विधायक आह्वाड को मुख्यमंत्री के नाम पर धमकी देता है। उन्हें जान से मारने की सुपारी सीधे अमेरिका में देता है और आपका गृह मंत्रालय नाक से प्याज छीलता रहा है। श्री फडणवीस की अवस्था ‘क्या थे तुम, क्या हो गए? कुछ ऐसी ही हो गई है। अथवा सहा भी न जाए और कहा भी न जाए ऐसी ‘खोका’ अवस्था में वे पहुंच गए हैं। किसानों का लाल तूफान पैदल मार्च करते हुए मुंबई पहुंच गया। बासी रोटी खाकर किसान पैदल मार्च कर रहे हैं। सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। पूरा महाराष्ट्र आपके विरोध में होने के बाद भी आप राजनीतिक विरोधियों का ही कांटा निकाल रहे हैं तो कांटे से कांटा निकालने की तकनीक दूसरे लोग भी जानते हैं। भ्रष्ट मार्ग से सत्ता में आई सरकार को नीति और नैतिकता की शेखी नहीं बघारनी चाहिए। यही सही होगा। आपका ही वस्त्र हरण होगा। श्रीमती अमृता फडणवीस शुद्ध और पवित्र हैं। उनका बोलना यह उनकी निजी स्वतंत्रता का विषय है लेकिन एक करोड़ रुपए की रिश्वत देने का प्रयास करनेवाले आपके रसोई घर तक पहुंच गए। यद्यपि श्रीमती अमृता भाभी ने इस संदर्भ में एफआईआर दर्ज करा दी है फिर भी इस प्रकरण की विस्तृत जांच होनी चाहिए क्योंकि यह प्रकरण गंभीर है। सवाल इतना ही है कि इस प्रकरण में रिश्वत देने का प्रयास करनेवाले जो कोई भी लोग हैं, उनकी ऐसा करने की हिम्मत हुई ही वैâसे? अर्थात इस राज्य में पैसे से ही सब कुछ साध्य होता है व ‘रिश्वत’ यही संकेत का शब्द बन गया है। ‘रिश्वत’ देना व लेना इसमें कुछ गलत नहीं लगता है, ऐसी महाराष्ट्र की छवि बन गई है और इसी वजह से यह राज्य भविष्य में संत सज्जनों का रहेगा क्या, ऐसा सवाल उठता है। गौतम अडानी के भ्रष्टाचार पर, डवैâती पर महाराष्ट्र की सरकार चुप है। ‘एलआईसी’ का मुख्यालय मुंबई में मंत्रालय के सामने है। अडानी के पैर में पड़कर एलआईसी ने जनता के पैसे लूट लिए और अब विरोधियों ने ‘एलआईसी’ की डवैâती पर आक्षेप लिया, इस वजह से ‘योगक्षेम’ भी मुंबई से हटाया जाएगा। इस राज्य में वर्तमान में कुछ भी हो सकता है। कानून का राज स्पष्ट रूप से ढह गया है। यह ऐसा ही ढहता रहा तो महाराष्ट्र ढहेगा और महाराष्ट्र की प्रतिमा को ठेस पहुंचेगी। इसकी शुरुआत हो चुकी है।