एक वक्त था जब हमारा महाराष्ट्र राज्य अच्छे प्रशासन और कानून सुव्यवस्था के लिए जाना जाता था। लेकिन अब वो तस्वीर नहीं दिख रही है, भ्रष्टाचार की खुली छूट के चलते राज्य का ये हाल हुआ है। जिस तरह से नागपुर के ‘हिट एंड रन’ मामले के मुख्य आरोपी को बख्शा जा रहा है, उससे साफ है कि राज्य में कानून का कोई राज नहीं रहा है। नागपुर का मामला साधारण नहीं है। बड़े बाप के बेटे शराब के नशे में तेज रफ्तार से महंगी कारें चलाते हैं और सड़क पर गाड़ियों और लोगों को कीड़े-मकोड़ों और चींटियों की तरह कुचलकर फरार हो जाते हैं। बाद में सागर बंगले का उनका मालिक ऐसे अपराधियों को बचाने की कोशिश करता है। लोग सड़कों पर तड़पकर मरते हैं। उन्हें मरने दो। यह कानून और व्यवस्था का मौजूदा बैलेंसशीट है। संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) और उनके दोस्तों ने नागपुर के लाहौरी बार में शराब पार्टी की और नशे में डगमगाते हुए कार में बैठ गए। धरमपेठ से आगे निकलने के बाद गाड़ी ने नियंत्रण खो दिया और वाहनों को जोरदार टक्कर मारते हुए ये तीनों नशेबाज आगे निकल गए। इस हादसे में १७-१८ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। हालांकि, इसे हत्या का अपराध माना जाना चाहिए था और पुलिस को कार में सवार तीन शराबियों को गिरफ्तार कर जेल में डाल देना चाहिए था, लेकिन गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस की असीम कृपा के कारण गवाह, गवाही दर्ज करने और जांच में हर स्तर पर संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) को बचाने की कोशिश की गई। ‘एफआईआर’ इस तरह से बनाई गई कि नशे में धुत आरोपी छूट जाएं। कार के मालिक खुद युवराज संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) हैं, लेकिन एफआईआर में इस तरह के संदर्भ को ही टाल दिया गया। कार कौन चला रहा था और हादसे के बाद कार की ड्राइविंग सीट पर किसे बिठाया गया? यह सब साफ होने के बावजूद उस वक्त के सभी सीसीटीवी फुटेज गायब कर दिए गए। संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) खुद नशे में धुत था, उसकी मेडिकल रिपोर्ट दबाने की कोशिश चल रही है। यदि संकेत बावनकुले की जगह कोई और आम इंसान होता तो पुलिस, भाजपा की फौज एक साथ आकर आसमान सिर पर उठा लेती, लेकिन अब पूरी भाजपा चुप हो गई है, जिसमें फडणवीस का गृह विभाग भी शामिल है। महाराष्ट्र में पिछले तीन वर्षों में भ्रष्टाचार को खुली छूट मिली है, जिसके चलते न्याय और कानून को खरीदने की प्रवृत्ति बढ़ी है। महाराष्ट्र की ‘शिंदे’ सरकार में कानून का कोई सम्मान नहीं बचा है। अपराध करो और पैसे देकर छूट जाओ या फिर अपराध करो और वर्षा या सागर बंगले पर जाओ और अपने आपको बचा लो। यह आम हो गया है बड़े पैमाने पर। ये दोनों सरकारी बंगले अपराधियों और भ्रष्टाचारियों का अड्डा बन गए हैं। ‘लाडले अपराधी’ योजना शुरू करके सरकार ने महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था की ऐसी-तैसी कर दी है। पुणे में पॉर्श हिट एंड रन मामले में ड्राइवर बदल दिया गया। शराबी का खून बदल दिया गया और अंतत: न्याय के देवता ने दो निर्दोष की हत्या करनेवाले अग्रवाल के बेटे को सड़क सुरक्षा पर एक निबंध लिखने की सजा सुनाकर कानून की परिभाषा ही बदल दी। इसलिए नागपुर मामले में संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) ने निबंध लेखन का अभ्यास शुरू कर दिया है। इस मामले में नागपुर के पुलिस कमिश्नर संदेह के घेरे में हैं। राज्य की पुलिस महानिदेशक रश्मि शुक्ला से न्याय की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि वे वैचारिक रूप से अभियुक्तों के ‘ताई-माई’ के रिश्ते में बंधी हुई हैं। इसलिए राज्य के शासकों को उम्मीद होगी कि लोग इस तथ्य पर ध्यान न दें कि तीन शराबी नागपुर की सड़कों पर लापरवाही से गाड़ी चलाते हैं, एक बड़ा हादसा करते हैं और आसानी से छूट जाते हैं, जैसे कि कुछ हुआ ही न हो। संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) के हिट एंड रन मामले में नागपुर के सीताबर्डी पुलिस स्टेशन की जांच संदिग्ध है। वे बचाने-छिपाने की भरपूर कोशिश कर रहे हैं। यह ऐसा मामला है जिसमें पूरे सीताबर्डी थाने को बर्खास्त कर देना चाहिए। बताया जा रहा है कि ऑडी कार की कीमत डेढ़ करोड़ रुपये है। हादसे के बाद कार में शराब की बोतलें और खाने-पीने का बिल मिला। इसमें ‘बीफ’ कटलेट का उल्लेख है। अब पुलिस और संबंधित होटल वाले ने कहा है कि उनके होटल में ऐसी कुछ चीजों की बिक्री नहीं होती। हालांकि, पाए गए बिल में ‘बीफ’ कटलेट का उल्लेख है, यानी संघ के कथावाचक फड़नवीस के गृहमंत्री होते हुए भी नागपुर में बीफ यानी गोमांस के पदार्थ मिल रहे हैं और उसका स्वाद लेने वाले लोग भी वहां पर हैं। लेकिन बीफ के मामले में भीड़ का शिकार निर्दोष लोग ही होते हैं। जब तक गृहमंत्री देवेंद्र फडणवीस महाराष्ट्र की राजनीति में हैं, तब तक राज्य में शांति और खुशहाली नहीं आएगी। लोग सड़कों पर कुचले जाएंगे और फडणवीस अपराधियों को बचाते रहेंगे। संकेत बावनकुले (पिता का नाम चंद्रशेखर बावनकुले) सरकार के लाडले सुपुत्र हैं और उनके नाम पर भी ‘शिंदे-फडणवीस’ सरकार को ‘लाडले लड़के’ के नाम पर ‘हिट एंड रन’ योजना शुरू करनी चाहिए और हिट एंड रन के सभी अपराधियों को उन्हें माफी देनी चाहिए। कैसी है ये योजना?