उपमुख्यमंत्री अजीत पवार बार-बार शरद पवार से मुलाकात के लिए जा रहे हैं और मजे की बात यह है कि शरद पवार किसी मुलाकात को टाल नहीं रहे हैं। कुछ मुलाकात खुले तौर पर हुईं तो कुछ मुलाकात गुप्त रूप से होने की बात की जा रही है, इसलिए लोगों के मन में भ्रम निर्माण हो रहा है। लोगों के मन में यही भ्रम निर्माण हो, इसीलिए भारतीय जनता पार्टी के देशी चाणक्य अजीत पवार को ऐसी मुलाकातों के लिए धकेलकर भेज रहे हैं क्या? ऐसी शंका को बल मिल रहा है। परंतु क्या अजीत पवार की ऐसी मुलाकातों से भ्रम निर्माण होगा, बढ़ेगा? जनता की सोच इससे आगे पहुंच चुकी है। इस रोज-रोज के खेल से मन में एक प्रकार की उदासीनता निर्माण हो गई है और इसके लिए वर्तमान राजनीति ही जिम्मेदार है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले अक्सर बेबाक बयान देते हैं। वो भी अक्सर मजेदार होते हैं। ‘अजीत पवार यदि ‘मविआ’ में वापसी कर रहे होंगे तो उनका स्वागत है। अजीतदादा का जी भर गया होगा, इसलिए उन्होंने शरद पवार से मुलाकात की होगी’, ऐसा नाना ने कहा। इससे पहले नाना ने कहा कि महाराष्ट्र के दोनों उपमुख्यमंत्रियों की नजर मुख्यमंत्री पद पर है। राज्य की सरकार ‘मजेदार’ सरकार है। नाना के बयान से हम सहमत हैं, लेकिन इसमें थोड़ा जोड़कर कहते हैं, पवार चाचा-भतीजे के बीच हालिया हुई मुलाकातें भी मौज-मस्ती वाली सिद्ध हो रही हैं। आखिर किस पर हंसा जाए और किस पर नाराजगी जाहिर की जाए, यह महाराष्ट्र की समझ से परे हो गया है। श्री शरद पवार की छवि ऐसी मुलाकातों से मलिन हो रही है और यह ठीक नहीं है। अजीत पवार द्वारा अपने समर्थक विधायकों के साथ भाजपा की राह पकड़ने के बाद सबसे बड़ा मजाक बना एकनाथ शिंदे और उनके गुट का। फिलहाल, शिंदे बीमार हैं, उनकी तबीयत ज्यादा ही बिगड़ गई है और उन्हें जबरन अस्पताल में दाखिल करेंगे, ऐसा शिंदे समर्थक संजय शिरसाट ने कहा है। शिंदे २४ घंटे काम करते हैं इसलिए वह बीमार पड़ गए, लेकिन शिंदे जो २४ घंटे काम करते हैं वह प्रत्यक्ष तौर पर महाराष्ट्र में कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है। किसी भी वक्त पद गंवाना पड़ सकता है। इस डर से यदि उनकी नींद उड़ गई हो तो उसे २४ घंटे काम करना नहीं कहते हैं। शिंदे की जब भी नींद उड़ती है, तब वह सीधे हेलीकॉप्टर से सातारा पहुंचकर अपने खेत में आराम करते हैं। इसका मतलब यह है कि २४ घंटे काम और उसके बाद ७२ घंटे आराम यह उनके जीवन का गणित बन गया है, ऐसा प्रतीत हो रहा है। शिंदे की बीमारी का ठीकरा अजीत पवार पर फोड़ा जा रहा है। अजीत पवार के सरकार में घुसने से शिंदे और उनके गुट के दिलों की धड़कनें तेज हो गईं और मन अस्थिर हो गया। उसमें भी अजीत पवार के बीच-बीच में शरद पवार से मिलने से इन सभी के छोटे मस्तिष्क में पीड़ा शुरू हो गई, लेकिन इसके लिए हमेशा दूर सातारा में जाकर आराम करना, यह उपाय नहीं है। शिंदे गुट को तुरंत अपने नेता को मुंबई-ठाणे के अस्पताल में दाखिल कर इलाज शुरू कराना चाहिए। शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री हैं। इसलिए सातारा जाकर देशी इलाज, जड़ी-बूटी, जादू-टोना, तंत्र-मंत्र के माध्यम से इलाज करवाना उचित नहीं है। स्वास्थ्य ही संपत्ति है और इस संपत्ति की रक्षा खोखे से नहीं होती है। दूसरी बात यह है कि मुख्यमंत्री पद का अमरत्व लेकर किसी ने जन्म नहीं लिया है। ‘मैं फिर आऊंगा’ कहनेवाले को भी ‘उप’ आदि बनकर बाहरी लोगों के नीचे चलना पड़ता है, लेकिन शिंदे को लगता था कि अंतिम सांस तक सिर्फ हम ही, परंतु अजीत पवार के कारण उनकी श्वासनलिका में अवरोध पैदा हो गया और हाल ही में उन्हें घुटन जैसा महसूस हो रहा है। इसलिए मुख्यमंत्री को निश्चत तौर पर क्या तकलीफ हो रही है? उनकी बीमारी कितनी गहराई तक पैâल चुकी है? बीमारी की जड़ क्या है? मर्ज का मूल क्या है? इस बारे में यदि स्वास्थ्यमंत्री विशेष बुलेटिन जारी करेंगे तो बेहतर होगा। शिंदे की तबीयत चिंताजनक है, ऐसा कहनेवाले विधायक शिरसाट की बात यदि सही है तो उन्हें तुरंत इमरजेंसी वार्ड में दाखिल कर इलाज शुरू कराना होगा और उनके इर्द-गिर्द अजीत पवार या देवेंद्र फडणवीस फटकने न पाएं, इस पर ध्यान देना होगा। महाराष्ट्र की राजनीति को फिलहाल जिस बीमारी ने जकड़ रखा है, उसी बीमारी का कीड़ा मुख्यमंत्री के शरीर में घुस गया है। ऐसे में यदि उसका समय रहते इलाज नहीं किया तो यह कीड़ा महाराष्ट्र के समाज के मन को खोखला बनाए बगैर नहीं रहेगा। अजीत पवार बार-बार शरद पवार से मिल रहे हैं, यह एक महामारी है और मुख्यमंत्री शिंदे बीमार होकर हर बार आराम करने के लिए सातारा के खेत में हेलीकॉप्टर से उतरते हैं यह महाराष्ट्र को ग्रसित मानसिक रोग है। इन दोनों बीमारियों में गुप्त जैसा कुछ नहीं रहा है। राजनीति के इस डिजिटल युग में कुछ गुप्त नहीं रह गया है। चार दिन पहले गृहमंत्री अमित शाह पुणे में आए थे और इस मुलाकात में महाराष्ट्र में नेतृत्व परिवर्तन की दृष्टि से गुप्त बदलाव होने की गुप्त खबर पैâलने के बाद मुख्यमंत्री शिंदे की बीमारी बढ़ गई। उनके गुट के लोगों को इस बीमारी को गंभीरता से लेना चाहिए। असल में यह बीमारी महाराष्ट्र को लगी है। इस बीमारी का जितनी जल्दी ही नाश हो, उतना ही अच्छा होग्ाा। वर्तमान समय में अनेक बीमारियों ने महाराष्ट्र को दुर्बल और जर्जर बना दिया है। इस पर दिल्ली की टोलियां महाराष्ट्र पर छापेमारी कर रही हैं। इन सबके बावजूद महाराष्ट्र फिर से खड़ा होगा। दो पवारों की ‘मजेदार मुलाकात’ और मुख्यमंत्री की बढ़ती बीमारी यह उनकी व्यक्तिगत समस्या है। लेकिन महाराष्ट्र कोई मजाक नहीं है, यह हम साफतौर पर बता रहे हैं।