कश्मीर में एक बार फिर हिंदुओं का नरसंहार हुआ है। जब ये आतंकी हमला हुआ तब प्रधानमंत्री मोदी सऊदी अरब के दौरे पर थे। अमेरिकी उपराष्ट्रपति इस समय भारत दौरे पर हैं। पिछले पच्चीस वर्षों में सबसे भयानक आतंकवादी हमला कश्मीर में तब हुआ, जब मोदी युग में भारत में आबाद आबादी की तस्वीर रंगी जा रही थी। २६ सैलानियों के जिस्मों को बंदूकों से छलनी करने के बाद उग्रवादी गायब हो गए। उन्होंने जीवित सैलानियों को संदेश में कहा, ‘मोदी को बताओ यहां क्या हुआ!’ प्रधानमंत्री मोदी जैसे नेता पाकिस्तान को घर में घुसकर मारने की खोखली धमकियां और चेतावनियां दे रहे हैं। सच तो यह है कि आतंकवादी सीमा पार कर भारत में घुस रहे हैं और निर्दोष हिंदुओं की हत्या कर रहे हैं। खून-खराबे और हिंदू मृतकों से पटने के बाद गृह मंत्री शाह कश्मीर पहुंचे। शाह अब क्या करेंगे? शाह को कश्मीर में हिंदू नरसंहार की जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा दे देना चाहिए। बंगाल में हिंसा के लिए ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराते हुए उनसे इस्तीफे की मांग की जाती है, लेकिन बेशर्म केंद्र सरकार हिंदू नरसंहार की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है। भाजपा काल में कश्मीर अशांत है। पूरे देश में धार्मिक नफरत का माहौल पैदा करने के बाद और क्या होगा? मोदी के कार्यकाल में उरी आतंकी हमला हुआ। पुलवामा में ४० जवानों का नरसंहार हुआ। पुलवामा नरसंहार सुरक्षा व्यवस्था की हाराकिरी और सरकार की बेफिक्री थी। अब कल का पहलगाम हमला भी बेफिक्री है। कश्मीर में पर्यटक हमेशा आतंकियों के निशाने पर रहते हैं। इस बार कश्मीर में २५ लाख सैलानी पहुंचे। उसमें से २२ लाख सैलानी पहलगाम आए। जिस जगह पर कल हमला हुआ वहां २,००० पर्यटक थे और उनकी सुरक्षा के लिए कोई सैनिक या पुलिस नहीं थी। इसीलिए आतंकियों ने हमले के लिए इस जगह को चुना। पहलगाम का बैसरन भाग काफी ऊंचाई पर जंगल से घिरा हुआ है। यहां पुलिस और जवान की तैनाती नहीं रहती, सड़कें संकरी हैं। आतंकी यहां
घात लगाए बैठे रहे
और उन्होंने हमला किया। जहां २,००० से अधिक पर्यटक एकत्र हुए थे, जो कश्मीर का सबसे संवेदनशील हिस्सा है, वहां सेना की वर्दी में कुछ आतंकवादी प्रवेश करते हैं, एक-एक का नाम पूछते हैं और २६ लोगों को गोली मार देते हैं। अंधाधुंध, बेलगाम फायरिंग करके चले जाते हैं। सरकार ने किसके भरोसे इतने पर्यटकों को संवेदनशील इलाकों में छोड़ा? मारे गए लोगों में अधिकतर हिंदू हैं। एकआध मुसलमान है। पुलवामा के बाद पहलगाम हमला खुफिया एजेंसियों की पूरी तरह नाकामी है। जेम्स बॉन्ड बनकर घूमने वाले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार कहां गए? प्रधानमंत्री मोदी बार-बार कह चुके हैं कि यह देश सुरक्षित हाथों में है। मोदी झूठ बोलते हैं। जब मोदी ने नोटबंदी की तो उन्होंने कहा, ‘‘अब आतंकवादियों की कमर टूट जाएगी।” जब अमित शाह ने अनुच्छेद ३७० को हटाकर जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित राज्य बनाया, तो उन्होंने घोषणा की, ‘अब घाटी में आतंकवाद खत्म हो गया है।’ लेकिन यहां हर दिन खून बह रहा है और उसमें उनका झूठ घुल रहा है। कश्मीर घाटी में आतंकवाद खत्म नहीं हुआ है। अनुच्छेद ३७० हटने के बाद २०१९ से कश्मीर में १९७ सुरक्षाकर्मी मारे गए। १३५ नागरिक मारे गए। ७०० संदिग्ध आतंकवादी मारे गए। यह घाटी में हिंसा खत्म होने का संकेत नहीं है। हिंदुओं को ‘निशाना’ बनाया जा रहा है और २०१४ के चुनाव में मोदी ने कश्मीरी पंडितों के लिए जो वादे किए थे, वे अभी तक पूरे नहीं हुए हैं। कश्मीरी पंडितों की घर वापसी तो नहीं हुई, बल्कि बाकी हिंदू भी पलायन कर रहे हैं। हिंदुओं की रक्षक होने का दावा करने वाली भाजपा सरकार को इस पर शर्म आनी चाहिए। २०१९ के चुनावी घोषणा पत्र में कश्मीर से धारा ३७० हटाने का एलान किया गया था उसी तरह
हिंदुओं को सुरक्षा देने का वादा
भी किया गया था। अनुच्छेद ३७० को हटाने का मोदी सरकार और भाजपा ने राजनीतिक तौर पर जश्न मनाया, लेकिन घाटी के हिंदुओं को असहाय छोड़ दिया। कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा मोदी-शाह ने हटा दिया। अर्थात इस क्षेत्र को केंद्रशासित कर सुरक्षा, कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले ली। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री नाममात्र के रहे। अमित शाह राज्यपाल के जरिए कश्मीर पर शासन कर रहे हैं। कल पहलगाम में चीख-पुकार ने बता दिया कि ये शासन वैâसा है। मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर राजनीति ला दी। बार-बार ठीकरा कांग्रेस और नेहरू पर फोड़ा। मोदी खुद दस साल से देश में हैं। तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था कि पुलवामा मोदी सरकार की अक्षम्य लापरवाही के कारण हुआ और पहलगाम अमित शाह की मस्ती के कारण हुआ। यह तय है कि मोदी काल में कश्मीर नीति विफल रही। पाकिस्तान को धमकी देने से इस समस्या का समाधान नहीं होगा। ऐसी धमकियां मोदी भक्तों को अच्छी लगती हैं। पाकिस्तान की कमर तोड़ना तो दूर की बात हुई यहां पर आतंकियों ने पहलगाम में हिंदुओं के नकली तारणहार की पीठ पर हमला कर दिया। पिछले एक दशक से देश में हिंदू-मुस्लिम नफरत का जहर फैलाकर सदा दंगों का माहौल बनाया जा रहा है। इस दौरान गरीब मुसलमानों के घरों पर बुलडोजर चलवाकर उन्मादाr जश्न मनाया गया। देश में शांति और सद्भाव को नष्ट कर दिया। देश की हर समस्या का एक ही जवाब… हिंदू-मुस्लिम और भारत-पाकिस्तान। तो गुजरात का ये फॉर्मूला जम्मू-कश्मीर में क्यों काम नहीं आया? केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह गृह मंत्रालय, पुलिस, खुफिया का उपयोग राजनीति के लिए, विरोधियों को प्रताड़ित करने, सरकारें बनाने और गिराने, विधायकों और सांसदों को तोड़ने के लिए करते हैं। जब उनका दिमाग ३६५ दिन तक एक ही साजिश में लगा रहेगा तो राष्ट्रीय सुरक्षा का खयाल कैसे आएगा? कैसे होगी हिंदुओं की रक्षा? हिंदुओं की मौत पर मातम करना, मुसलमानों और पाकियों के नाम पर स्यापा करके वोट मांगना उनका पीढ़ीगत धंधा है। पुलवामा में यही हुआ। पहलगाम हमले की भी वही गत होगी। हिंदू कब जागेगा? अंधभक्ति से आंखें कब खुलेंगी?