हिंदुस्थान में लोकतंत्र शेष बचा है क्या, यह सवाल निर्माण होने के दौरान ही लोकतंत्र का अपमान हुआ ऐसा गला फाड़ना यह केवल स्वांग ही है। राहुल गांधी लंदन गए व हिंदुस्थान के लोकतंत्र पर उन्होंने आशंका जताई ‘हिंदुस्थान का लोकतंत्र खतरे में है। विपक्ष के नेताओं के बोलने के दौरान माइक बंद किए जाते हैं’, ऐसी आलोचना गांधी ने की। इस वजह से भाजपा नेताओं का लोकतंत्र पर पूतना मौसी वाला प्यार उमड़ता दिख रहा है। संसद के पहले ही दिन भाजपाई सांसदों ने हंगामा किया और काम-काज रुकवा दिया। प्रधानमंत्री मोदी तो मानो लोकतंत्र के नाम पर फफक ही रहे हैं। राहुल गांधी ने विदेश में जाकर देश का अपमान किया, ऐसा वे सार्वजनिक सभाओं में बोल रहे हैं। कर्नाटक में जल्द ही विधानसभा चुनाव होनेवाले हैं। इस वजह से मोदी का कर्नाटक में आना-जाना बढ़ गया है तथा कर्नाटक की प्रत्येक सभा में वे गांधी ने लोकतंत्र का अपमान किया, ऐसा क्रंदन कर रहे हैं। दुनिया की कोई भी शक्ति हिंदुस्थान की लोकतांत्रिक परंपरा को नुकसान नहीं पहुंचा सकती है। मोदी का ऐसा कहना सही है, परंतु हिंदुस्थान के लोकतंत्र का गला घोंटने का काम प्रत्यक्ष सत्ताधारी भाजपा कर रही है और उसी भाजपा का नेतृत्व मोदी कर रहे हैं। मूलरूप से राहुल गांधी द्वारा लोकतंत्र के संदर्भ में लंदन में दिया गया बयान गलत है क्या, इसका आत्म मंथन मोदी की पार्टी को करना चाहिए। लोकतंत्र ही क्या देश की आजादी खतरे में आ गई है और देश में धर्मांधता, कट्टरता की आग को भड़काकर राजनीति की रोटी सेंकी जा रही है। ईशान्य के राज्यों में भाजपाई नेता गौमांस भक्षण का समर्थन करते हैं, परंतु देश में अन्य जगहों पर गौमांस को लेकर भाजपा समर्थक मुसलमानों की हत्या करते हैं। कौन क्या खाये, पीये यह लोकतंत्र में हर नागरिक को दी गई आजादी है। मोदी के शासन में यह आजादी शेष बची है क्या? खाने-पीने को लेकर लोगों को रास्ते पर जिंदा जलाया जा रहा है। ये कोई लोकतंत्र के ठीक-ठाक होने के लक्षण नहीं हैं। विवाह, प्रेम प्रकरण को लेकर दंगे करवाना और उस पर हिंदुत्व का मुलम्मा चढ़ाकर राजनीतिक लाभ उठाना यह लोकतंत्र को शोभा देनेवाला नहीं है। विपक्ष के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करना है। सरकार को सवाल पूछनेवाले राजनीतिक विरोधियों को खत्म करना है, जेल में डालना ये किस लोकतंत्र की व्याख्या में आते हैं। लोकतंत्र में भाजपा की वॉशिंग मशीन का निश्चित तौर पर कर्तव्य क्या है, इस पर भी चिंतन होने की आवश्यकता है। मूलत: निष्पक्ष चुनाव लोकतंत्र की आत्मा है। आज चुनाव आयोग व चुनावी प्रक्रिया पर ही लोगों का विश्वास नहीं रहा है। ‘ईवीएम’ पद्धति में भाजपा घोटाला करती है, ऐसी आशंका लोगों के मन में है। ईवीएम में अडानी वायरस घुसाकर लोगों के वोट घुमाए जाते हैं इसलिए मत पत्रिका द्वारा चुनाव कराएं, ऐसी लोगों की इच्छा है। अपने द्वारा किए गए मतदान के संदर्भ में ही जहां लोगों के मन में शंका है, वहां आए परिणाम पर और उसके बाद निर्माण हुई सरकार पर तो वैâसे विश्वास रखेंगे? लोकतंत्र का घोटाला यहीं है और इसी घोटाले को मोदी व उनकी पार्टी मजबूत लोकतंत्र मानती है। चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है लेकिन सीधे मार्ग से चुनाव कराने में वह असफल सिद्ध हुई है। शिवसेना के स्वामित्व का पैâसला देते समय चुनाव आयोग ने संविधान के साथ-साथ लोकतंत्र के तमाम मूल्यों को पैरों तले रौंद दिया। यह तमाशा दुनिया ने देखा। देश के लोकतंत्र की पूरी दुनिया में फजीहत हुई। तब राहुल गांधी ने लंदन में क्या कहा, इस बारे में इतना दिल पर क्यों लेते हो? हिंदुस्थान के लोकतंत्र की चीत्कार पूरी दुनिया में पहुंची है। मोदी के मित्र इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के तानाशाही, भ्रष्ट कामकाज के खिलाफ वहां की जनता सड़क पर उतरी है। नेतन्याहू अपने ही देश में मानो बिल में छिप गए हैं। अपने ही देश में ऐसा असंतोष है और विस्फोट कभी भी होगा, ऐसा माहौल है। इसलिए हिंदुस्थान के लोकतंत्र पर आशंका जताई, इस वजह से इतना भड़कने की क्या वजह है? देश के संसदीय लोकतंत्र को बचाए रखने में पंडित नेहरू का बड़ा योगदान रहा और राहुल गांधी उन्हीं नेहरू के परपोते हैं। इसलिए लोकतंत्र की हत्या चौकीदार ही कर रहा होगा तो उन्हें बुरा लगना सहज ही है। राहुल गांधी ने विदेश में जाकर लोकतंत्र पर आशंका जताई। मोदी सरकार लोगों द्वारा नियुक्त की गई है इसलिए उस पर आशंका जताना राष्ट्र विरोधी है, ऐसा भाजपा को लगने में कोई हर्ज नहीं है। परंतु इस कारण के लिए श्री गांधी की संसद की सदस्यता रद्द की जाए, ऐसा जो मानते हैं वही इस लोकतंत्र के हत्यारे हैं। लंदन के मंच पर जाकर राहुल ने जो बोला उसकी वजह से जिन्हें बेहद दुख आदि हुआ, उन्हें बीते छह-सात वर्षों में विदेश जाकर मोदी ने क्या-क्या बयान दिए उन्हें भी देखना चाहिए। पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी भी लोकतांत्रिक मार्ग से ही सत्ता पर आए थे और देश की आजादी व संप्रभुता बरकरार रखने के लिए इंदिरा गांधी व राजीव गांधी ने बलिदान दिया। परंतु इस परिवार के संबंध में विदेश में जाकर अपशब्दों का इस्तेमाल किया गया तब लोकतंत्र और देश की इज्जत खतरे में नहीं पड़ी थी क्या? बीते ७० वर्षों में देश में कुछ नहीं हुआ। ऐसी गप्पबाजी करना यह देश का सबसे बड़ा अपमान है। हिंदुस्थान में जन्म लेना दुर्भाग्य होने की बात लोग मानते थे। ऐसा बयान प्रधानमंत्री मोदी ने विदेश में जाकर दिया। तब देश के लिए खून बहानेवाले सैनिक की आत्मा कितनी व्यथित हुई होगी? परंतु मोदी को और उनके भक्तों को देश मालिक बनकर चलाना है। इसके लिए पसंदीदा एक ही उद्योगपति को एयर इंडिया से एलआईसी, बैंक, तमाम सार्वजनिक उपक्रम बेचकर लोकतंत्र की अर्थी पर आखिरी लकड़ी रखी गई है। उद्योगपति अडानी के गलत कार्यों के संदर्भ में देश ने शंका जताई है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी इस पर बोलने को तैयार नहीं हैं। संसद में अडानी पर सवाल पूछनेवालों के माइक अपने आप बंद हो जाते हैं। यह लोकतंत्र के लिए भूतबाधा की तरह ही है। इसी भूतबाधा पर श्री गांधी ने लंदन में सवाल खड़े किए। लंदन लोकतंत्र की जननी है, ऐसा माना जाता है। हम डेढ़ सौ वर्षों तक अंग्रेजों के गुलाम थे। उस गुलामी की बेड़ियों को तोड़ते समय मोदी व भाजपा कहीं नहीं थी। अंग्रेजों को अंतत: हमने भगाया ही परंतु जाते-जाते वे ‘लोकतंत्र’ भेंट देकर गए, इसे भूला नहीं जा सकता है। राहुल गांधी ने लोकतंत्र पर असंतोष व्यक्त करने के लिए लंदन का मंच इसी वजह से चुना।