मुख्यपृष्ठनए समाचारसंपादकीय : गुजरात फर्स्ट ...इस ‘नरेटिव' का बाप कौन?

संपादकीय : गुजरात फर्स्ट …इस ‘नरेटिव’ का बाप कौन?

महाराष्ट्र के उद्योग-धंधों को गुजरात ले जाने का सिलसिला पिछले दस वर्षों से जारी ही है। अब राज्य सरकारी सेवाओं को भी गुजरात की झोली में डालने का काम शुरू हो गया है। इन सेवाओं को चलाने के लिए गुजरात की कंपनियों के आगे रेड कार्पेट बिछाया जा रहा है। योजनाओं को महाराष्ट्र के भूमिपुत्रों के नाम पर शुरू करना, लेकिन समय आते ही उनके मुंह का निवाला छीनकर उसे गुजराती कंपनियों के मुंह में ठूंस देना, ये उद्योग थमने के लक्षण नहीं हैं। ‘आपले सरकार सेवा केंद्र’ यानी सेतु सुविधा केंद्रों के बाबत भी यही हुआ है। सिंधुदुर्ग की कुल ९ सेतु सुविधाओं को संचालित करने के लिए एक गुजराती कंपनी को सौंपा गया है। इस कंपनी का नाम मे. गुजरात इन्फोटेक है। सिंधुदुर्ग जिलाधिकारी कार्यालय सहित देवगढ़, वैभववाड़ी, कणकवली, मालवण, कुडाल, सावंतवाड़ी, वेंगुर्ला और दोडामार्ग ये तालुका नागरी सुविधा केंद्र अब इस कंपनी द्वारा चलाए जाएंगे। राज्य की महायुति सरकार ने ऐसा अनुबंध ही इस कंपनी के साथ किया है। दरअसल ‘आपले सरकार सेवा केंद्र’ योजना
राज्य के शिक्षित बेरोजगार
युवाओं को ध्यान में रखकर शुरू की गई है। शिक्षित बेरोजगारों के लिए रोजगार-स्वयंरोजगार के एक मार्ग के रूप में इन केंद्रों को देखा जाता है। तो फिर सिंधुदुर्ग जिले में क्या ऐसा कोई भी लायक शिक्षित बेरोजगार सरकार को नहीं मिला? स्थानीय लोगों को इन केंद्रों का ठेका दिया जाना चाहिए, ऐसा उन्हें क्यों नहीं लगा? अहमदाबाद की एक कंपनी को लाकर उसे सिंधुदुर्ग की जनता के सिर पर बैठाने का काम किसके लिए किया गया? महाराष्ट्र के मौजूदा शासकों की नीति महाराष्ट्र के बजाय ‘गुजरात फर्स्ट’ की है। यही कारण है कि पिछले दस वर्षों में महाराष्ट्र के हिस्से में आए कई बड़े उद्योगों को राज्य के सत्ताधारियों की ‘नाक के नीचे’ दिल्लीवासी गुजरात ले गए। वेदांता-फॉक्सकॉन, टाटा एयरबस सी-२९५, ड्रग पार्क जैसे बड़े प्रोजेक्ट महाराष्ट्र की बजाय गुजरात में लगाए जा रहे हैं। मुंबई के हीरा उद्योग को सूरत में ले जाने का प्रयास हुआ। मुंबई का अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र गुजरात स्थानांतरित कर दिया गया। कर्जत में स्थित पारले बिस्किट कंपनी की यूनिट को भी गुजरात ले जाने की कवायद शुरू है। टाटा एयरबस प्रोजेक्ट विदर्भ में होना था, लेकिन मोदी सरकार ने इसे विदर्भ की थाली से गुजरात की थाली में खींच लिया। राज्य के
लाचार शासक
सिर्फ बैठकर देखते रहे। अब सिंधुदुर्ग जिले के नौ ‘आपले सरकार सेवा केंद्र’ चलाने का ठेका अहमदाबाद की एक कंपनी को दिया गया है। हिंदुओं के खिलाफ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे, ऐसा दंभ भरनेवाले सिंधुदुर्ग जिले के वे ‘स्वयंभू ठेकेदार’ अब स्थानीय बेरोजगारों पर हो रहे अन्याय पर कहां मुंह छिपाए बैठे हैं? प्रधानमंत्री मोदी ने दिल्ली में आयोजित मराठी साहित्य सम्मेलन में महाराष्ट्र और मराठी भाषा पर कई मधुर गीत गाए। ‘महाराष्ट्र धर्म बढ़ाओ’ ऐसा भी उन्होंने कहा। लेकिन प्रत्यक्ष में ‘महाराष्ट्र में उद्योग घटाओ और गुजरात में बढ़ाओ’ यही उनकी सरकार की नीति है। कल तक महाराष्ट्र के उद्योगों को गुजरात ले जाया जाता था। अब गुजरात की यह घुसपैठ सीधे राज्य की सरकारी सेवाओं तक आ पहुंची है। फिर अगर कोई महाराष्ट्र के शासकों के इस गुजरात प्रेम को सामने लाता है तो विद्यमान मुख्यमंत्री उसे ‘फेक नरेटिव’ बोलकर मुक्त हो जाते हैं। ऐसे में अब सिंधुदुर्ग के ‘आपले सरकार सेवा केंद्र’ को आपकी ही सरकार ने सीधे गुजराती कंपनी को चलाने के लिए दे दिया है, इस पर आपका क्या कहना है? इस ‘नरेटिव’ का बाप कौन है?महाराष्ट्र और मराठी भाषा पर कई मधुर गीत गाए। ‘महाराष्ट्र धर्म को बढ़ाएं’ ऐसा भी उन्होंने कहा। लेकिन प्रत्यक्ष में ‘महाराष्ट्र में उद्योग घटाओ और गुजरात में बढ़ाओ’ यही उनकी सरकार की नीति है। कल तक महाराष्ट्र के उद्योगों को गुजरात ले जाया जाता था। अब गुजरात की यह घुसपैठ सीधे राज्य की सरकारी सेवाओं तक आ पहुंची है। फिर अगर कोई महाराष्ट्र के शासकों के इस गुजरात प्रेम को सामने लाता है तो विद्यमान मुख्यमंत्री उसे ‘फेक नरेटिव’ बोलकर मुक्त हो जाते हैं। तो फिर अब सिंधुदुर्ग के ‘आपले सरकार सेवा केंद्र’ को आपकी ही सरकार ने सीधे गुजराती कंपनी को चलाने के लिए दे दिया है, इस पर आपका क्या कहना है? इस ‘नरेटिव’ का बाप कौन है?

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