महाराष्ट्र में कानून और व्यवस्था का मुद्दा दिनों-दिन गंभीर होते रहने के दौरान ही जालना में उठी मराठा आंदोलन की चिंगारी कुछ ज्यादा ही भड़क गई है। मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मनोज जरांगे-पाटील अनशन पर बैठे थे और शांतिपूर्वक हो रहे आंदोलन पर शिंदे-फडणवीस-पवार की सरकार ने अमानवीय लाठीचार्ज किया, फायरिंग की। शिंदे-फडणवीस-अजीत पवार को छोड़कर सभी नेता जरांगे-पाटील के गांव जाकर आए। इस मामले को समेटने के लिए सरकार ने अब जालना के पुलिस अधीक्षक तुषार दोशी की बलि ले ली है। चूंकि मुख्यमंत्री या गृहमंत्री के आदेश के बिना मराठा आंदोलनकारियों पर निर्मम हमला हो ही नहीं सकता। इसलिए पुलिस अधीक्षक ने जिसके आदेश का पालन किया, उस मुख्यमंत्री, गृहमंत्री को सजा मिलेगी क्या? नागपुर के चाणक्य के जामनेरी चाणक्य गिरीश महाजन मनोज जरांगे-पाटील से मिलने गए। मराठा आरक्षण के लिए सरकार क्या-क्या कदम उठा रही है, ये उन्होंने बताया, लेकिन जरांगे-पाटील ने जेब से बंदूक की गोली निकालकर महाजन के हाथ में दी और कहा, ‘आपकी सरकार ने मराठा आरक्षण के लिए ये किया। हमने आरक्षण मांगा। सरकार ने बंदूक की गोली दी।’ ऐसे ही ‘मराठा आरक्षण का सरकारी आदेश यानी ‘जीआर’ जब तक हाथ में नहीं आता तब तक आंदोलन पीछे नहीं लेंगे,’ ऐसा जरांगे-पाटील ने कहा। जालना के आंतरवाली गांव में एक साधारण कार्यकर्ता जिद से अपने समाज के लिए अनशन पर बैठा है। उसने अपनी जान की बाजी लगा दी है और खोखेवाली सरकार के आगे झुकने को तैयार नहीं है। दिल्ली विधानसभा को काबिज करने के लिए मोदी सरकार ने एक रात में अध्यादेश लाया। संसद में संविधान संशोधन कर दिल्ली के लोकतंत्र को खत्म कर केजरीवाल सरकार के सारे अधिकार अपने हाथ ले लिया। तब मराठा आरक्षण के लिए भी केंद्र को आरक्षण की मियाद बढ़ाकर इस मुद्दे को हल करना चाहिए। किसी की भी थाली में से निकाले बिना सर्वमान्य हो ऐसा निर्णय लेना चाहिए, लेकिन भाजपा के विधायक नितेश राणे ने कांग्रेस में रहने के दौरान जो कहा था वही सच है, ‘फडणवीस मराठों को आरक्षण नहीं देंगे। ये हाफ चड्ढीवालों की सरकार है।’ राणे आज भाजपा में हैं। उनका वही तर्क अभी भी हो, लेकिन उस हाफ चड्ढीवाली सरकार की नाड़ी एक साधारण जरांगे-पाटील ने खींची तब उन पर घातक हमला किया। इन आंदोलनकारियों पर हुए लाठीचार्ज का निषेध लोगों ने सड़कों पर उतरकर किया। श्री फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते हुए भीमा-कोरेगाव का दंगा भड़का और फडणवीस हाथ मलते बैठे रहे। अब वे गृहमंत्री हैं और मराठा आंदोलन हिंसक हुआ। मराठा समाज ने अब दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को भी चेतावनी दे दी है, ‘फडणवीस की सरकार से तुरंत बाहर निकलें, अन्यथा परिणाम भुगतने को तैयार रहें।’ यह चेतावनी गंभीर स्वरूप है। संपूर्ण राज्य में यह मुद्दा भड़काकर राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए मराठा आंदोलनकारियों पर अमानवीय लाठीचार्ज करवाया क्या? गोलीबारी और लाठीचार्ज, ये फडणवीस के दो प्रमुख शस्त्र हैं। रिफाइनरी के खिलाफ आंदोलन करनेवाली कोकणी जनता पर भी पुलिस ने ऐसे ही लाठीचार्ज कर उनके सिर फोड़े थे। वारकरियों पर भी ऐसी ही निर्दयता से देहू में हमले हुए। इस सरकार का दिमाग ठिकाने पर नहीं है और उसे सिर्फ लाठी चलाना ही आता है। मनोज जरांगे कहते हैं, वही सच है। जरांगे-पाटील कहते हैं, ‘किसी को भी अनशन पर बिठाना। वह व्यक्ति अचेत हो जाए तो उसे घेर लेना, ऐसा उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने विरोधियों को इंगित करते हुए कहा था।’ जरांगे-पाटील ने इस वक्तव्य का निषेध किया है। भाजपा को फडणवीस जैसे लोगों को पार्टी में नहीं रखना चाहिए, अन्यथा वे मराठाओं पर गोलियां चलवा देंगे, ऐसा संताप जरांगे-पाटील ने व्यक्त किया। उस संताप की आंच आज महाराष्ट्र झेल रहा है। मुख्यमंत्री शिंदे कहते हैं, मराठा समाज की पीड़ा से मैं भली-भांति वाकिफ हूं, तो गृहमंत्री फडणवीस तीसरे दिन माफी मांगने का पाखंड करते हैं। मुख्यमंत्री और गृहमंत्री झूठ बोलने में उस्ताद हैं। पहले अपनी तोते की रट बंद करो और जालना के मराठा आंदोलनकारियों पर गोलियां चलाने का, अमानवीय लाठीचार्ज करने का आदेश किसने दिया ये बताओ। तब तुम सच्चे मराठा! एक मुंह से आंदोलनकारियों पर लाठियां-गोलियां चलाने का आदेश देना और दूसरे मुंह से मैं आपका दर्द समझता हूं, ऐसा कहना ये ढोंग है। जालना के आंंतरवाली गांव के मनोज जरांगे-पाटील ने शिदे-फडणवीस-पवार इस दोमुंही सरकार के ढोंग का बुर्का फाड़ दिया है!