महापुरुष और देवताओं के संदर्भ में आपत्तिजनक बयान देकर खलबली मचाने की मानो होड़ ही फिलहाल शुरू हो गई है। भारतीय जनता पार्टी के नजरिए से फिलहाल एक ही महापुरुष व वंदनीय स्थान है। वह अर्थात प्रधानमंत्री मोदी। मोदी की आलोचना को देश की आलोचना मानकर तत्काल कार्रवाई की जाती है। परंतु अन्य वंदनीय लोगों के संदर्भ में मात्र भाजपा का मिला-जुला मौन रहता है। ‘नेशनल हेरॉल्ड’ कांग्रेस का मुखपत्र है। ‘नेशनल हेरॉल्ड’ की संपादिका सुजाता आनंद ने छत्रपति शिवराय का अपमान किया व इसके लिए उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए, ऐसी मांग भाजपा ने की। शिवराय का अपमान कोई भी करे तो उसे माफी नहीं मिलनी चाहिए। इस बारे में कोई शंका ही नहीं है। शिवाजी महाराज महाराष्ट्र के देवता हैं ही, साथ ही एक महान योद्धा के रूप में वे विश्वविख्यात हैं। जिन मुगलों का इतिहास पाठ्यक्रमों से निकालने के लिए प्रयास चल रहे हैं, उन मुगलों पर तलवार चलाने का काम हमारे शिवराय ने किया। ऐसे युगपुरुष पर कोई बिना आगा-पीछा वाला व्यक्ति हमला करता होगा तो यह उचित नहीं है। इसलिए भाजपा द्वारा की गई कार्रवाई की मांग उचित ही है। लेकिन भाजपा वाले बताएं कि आपके शिवाजी महाराज निश्चित तौर पर कौन से हैं? यह सवाल भी है ही। महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी ने सार्वजनिक समारोह में छत्रपति शिवराय का अपमान करके महाराष्ट्र तथा हिंदुओं की भावना को ठेस पहुंचाई थी। कोश्यारी ने शिवराय का अपमान किया तब आज सुजाता आनंद के खिलाफ कार्रवाई की मांग करनेवाले चुप थे, बल्कि कोश्यारी के संदर्भ में उनका समर्थन करने की ही गोल-मोल भूमिका ये लोग अपना रहे थे। एकदम शिवराय के वंशज कहलवाने वालों ने भी इस मुद्दे पर ‘स्वाभिमान’ के रूप में सख्त भूमिका नहीं अपनाई। बाद में मामला ठंडे बस्ते में चला गया। असल में उस समय अपमान को लेकर राज्य का जनमत दुखी था। सरकार, भगतसिंह कोश्यारी की निंदा करे। शिवराय का अपमान करनेवाले भगतसिंह के मामले में भी मंत्रिमंडल ‘निंदा’ प्रस्ताव पास करके उन्हें तुरंत वापस बुलाने की विनती केंद्र से करे, ऐसा राज्य की जनता का मत था। लेकिन राज्यपाल को ऐसा नहीं कहना था, उन्हें ऐसा कहना था कि और उन्हें वैसा कहना था। उनकी बातों का विपरीत अर्थ निकाला गया, ऐसी फड़तूस वकीली भाजपा ने ही उस वक्त की थी। इसी में उनके ढोंग के पीतल की पोल खुल गई। कोश्यारी महाशय से सवाल पूछे होते तो छत्रपति के मान-सम्मान को बचाने में भाजपा कसूर नहीं करती यह हम स्वीकार कर लिए होते, परंतु आपके राज्यपाल द्वारा किया गया शिवराय का अपमान पचा लेना और दूसरों द्वारा किए गए अपमान पर दुम हिलाकर सवाल पूछना इसका क्या अर्थ लिया जाए? छत्रपति शिवराय एक ही हैं इसलिए उनके प्रति श्रद्धा में इस तरह से भेद नहीं किया जा सकता। ‘महाराज का अपमान सहन नहीं करेंगे।’ यह भूमिका उचित ही है, परंतु भगतसिंह कोश्यारी द्वारा किया गया अपमान और अब सुजाता आनंद द्वारा अपमानित किए गए महाराज अलग-अलग न होकर एक ही हैं। परंतु अपना पाप छुपाकर रखना और उसी पाप के लिए दूसरों को पत्थर मारना, ऐसी भाजपावालों की परंपरा ही है। उस पर जो शिवराय के संदर्भ में वही हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के संदर्भ में भी। मिंधे टोली के लोग आए दिन ‘शिवसेनाप्रमुख’ के अपमान पर भौंहें तानकर बोलते रहते हैं। कांग्रेस-राष्ट्रवादी के साथ जाना यह शिवसेनाप्रमुख का अपमान और हिंदुत्व को तिलांजलि देने का ही प्रकार है, ऐसा शोर मचाते रहते हैं। श्री उद्धव ठाकरे और शरद पवार के बीच सिर्फ ‘बैठक’ हुई तब भी कहते हैं कि हिंदुत्व और शिवसेनाप्रमुख का अपमान होता है। परंतु ‘मिंधे’ सरकार में शामिल एक मंत्री चंद्रकांत पाटील ने शिवसेनाप्रमुख का अपमान करके जो ‘घोटाला’ किया उस अपमान पर एक भी लाचार मिंधे मुंह खोलने को तैयार नहीं है। मंत्री पाटील कहते हैं अयोध्या आंदोलन में शिवसेनाप्रमुख का योगदान नहीं था। पाटील ऐसा भी कहते हैं कि बाबरी ढहाने के दौरान शिवसैनिक वहां थे ही नहीं। इस तरह से पाटील हिंदूहृदयसम्राट पर काफी कुछ बकवास कर गए। शिवसेनाप्रमुख के इस अपमान के बारे में सवाल पूछने का छोड़कर सभी मिंधे भाजपा के ताली बजानेवाले बनकर अपमान करनेवाले की ‘जय-जयकार’ कर रहे हैं। चंद्रकांत पाटील की हकालपट्टी मंत्रिमंडल से की जाए, ऐसा यह प्रकरण है। परंतु मुख्यमंत्री मिंधे कह रहे हैं कि उन्होंने यह पूरा प्रकरण उनके ‘नए गुरु’ अमित शाह को बता दिया है और विवाद को रफा-दफा कर दिया। पहले छत्रपति शिवराय का अपमान और अब हिंदूहृदयसम्राट माननीय बालासाहेब ठाकरे का अपमान। बीच के दौर में कर्मवीर भाऊराव पाटील, महात्मा ज्योतिबा फुले का अपमान पचाकर डकार मारी ही गई थी। यह सब करके अब ‘नेशनल हेरॉल्ड’ प्रकरण में कार्रवाई करो, ऐसा शोर भाजपा की टोली मचा रही है। ‘नेशनल हेरॉल्ड’ और उसकी संपादिका के खिलाफ कार्रवाई की जाए, परंतु भगतसिंह कोश्यारी व चंद्रकांत पाटील के खिलाफ कार्रवाई का क्या? उनके खिलाफ कार्रवाई पर दुम क्यों दबा लेते हो? इस राज्य में अब कुछ भी हो सकता है!