विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि पाक अधिकृत कश्मीर लिए बिना भारत चैन से नहीं बैठेगा और उसके अलावा कश्मीर का मुद्दा हल नहीं होगा। लंदन में एक प्रेस कॉन्प्रâेंस में एक पाकिस्तानी पत्रकार ने जयशंकर से पाकिस्तान को लेकर सवाल पूछा तो जयशंकर ने ‘संघ’ छाप जवाब दिया। जयशंकर एक सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा नौकरशाह हैं। मोदी ने सुषमा स्वराज की जगह उन्हें विदेश मंत्री के रूप में नियुक्त किया, लेकिन जयशंकर डॉ. मनमोहन सिंह नहीं हैं। जयशंकर ने विदेश मंत्रालय में वैसा क्रांतिकारी काम नहीं किया, जैसा मनमोहन सिंह ने देश में आर्थिक क्रांति की थी। डॉ. सुब्रह्मण्यम स्वामी जैसे लोग जयशंकर का मजाक उड़ाते हैं। जयशंकर कहते हैं, ‘पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के इलाके को ले लेंगे।’ जयशंकर और उनकी पार्टी को पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर कब्जा करने से किसी ने नहीं रोका है। मोदी सरकार को आए दस साल हो गए हैं और इतना वक्त मोदी जैसे नेताओं के लिए कश्मीर पर कब्जा करने के लिए काफी है। कश्मीर पर कब्जा करेंगे और अखंड भारत बनाएंगे। उसके लिए पाकिस्तानियों के सीमा में घुसकर उन्हें मारेंगे, ऐसी गर्जना प्रधानमंत्री मोदी कई बार कर चुके हैं। अंतत: वे दहाड़ें हवाई निकलीं। कश्मीर में मोदी ने कुछ खास नहीं किया। भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का मुख्य कारण पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर है। इस तनाव को सुलझाने के लिए कश्मीर मुद्दे को सुलझाना होगा, लेकिन कोई भी कश्मीर की जमीन छोड़ने को तैयार नहीं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कश्मीर जाकर भारतीय सेना के सामने भाषण देते हैं। इसके अलावा, पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर भारत का हिस्सा है और जब तक इसे वापस नहीं ले लिया जाता, तब तक हम चैन से नहीं बैठेंगे, यही
राग अलापते
रहते हैं। मोदी-राजनाथ-जयशंकर को मिल बैठकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को भारत में वापस लेने की योजना और समयसीमा तय करनी चाहिए। ऐसी घोषणा करनी चाहिए कि अगले दो साल में हम पाकिस्तान में घुसकर कश्मीर पर तिरंगा फहराएंगे। मोदी ऐसा क्यों नहीं करते? कश्मीर के नाम पर कब तक रोटी सेकेंगे? इस सवाल से लोगों को बेवकूफ बनाने की राजनीति कभी तो बंद होनी चाहिए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लोग भी कश्मीर मुद्दे पर स्टैंड लेते हुए कहते हैं कि पाकिस्तान को पूरी तरह से भारत से जोड़ देंगे। इसे सुनकर कोई भी भारतीय खुशी से फूला नहीं समाता। क्योंकि बंटवारे का जख्म आज भी सुलग रहा है। पाकिस्तान का निर्माण धर्म के आधार पर हुआ था। बेशक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ देश की आजादी की लड़ाई में नहीं था। इसलिए ये लोग धरने पर बैठ जाते हैं और आलोचना करते रहते हैं। जब देश आजाद हुआ तो इन लोगों ने आजादी के समारोह में हिस्सा नहीं लिया और अपने नागपुर कार्यालय पर तिरंगा नहीं फहराया। अगर ये लोग कश्मीर पर कब्जा करने की चुनौती स्वीकार करते हैं तो उनका स्वागत है। सरसंघसंचालक पहले ही राय व्यक्त कर चुके हैं कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ‘फौज’ भारतीय सेना से अधिक मजबूत है। यदि ये फौज पाक अधिकृत कश्मीर में घुसकर जलालाबाद, बलूचिस्तान आदि पर ‘दुनियाभर में’ झंडे फहराएंगी तो पूरा देश उनका गौरवगान करेगा। मोदी की जीत में इस संघ की भूमिका है। क्या संघ को यही प्रयास कश्मीर के मामले में नहीं दिखाना चाहिए? लंदन स्थित पाकिस्तानी पत्रकार निसार ने जयशंकर से पूछा, ‘क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल
कश्मीर के मुद्दे
को सुलझाने की कोशिश कर सकते हैं?’ जयशंकर ने कहा, ‘पाकिस्तान को कश्मीर छोड़ देना चाहिए, समस्या सुलझ जाएगी।’ भारत ने पाकिस्तान के साथ दो युद्ध लड़े, लेकिन कश्मीर का मुद्दा जस का तस बना हुआ है। जब चुनाव आता है तो मोदी और संघ के लोग कश्मीर का राग अलापते हैं। जब चुनाव खत्म हो जाते हैं तो उनका गला खराब हो जाता है। कश्मीर से धारा-३७० हटाई गई। कश्मीर का राज्य का दर्जा वापस ले लिया गया। लेकिन इन बातों से कश्मीर समस्या का समाधान हो जाएगा यह एक गोलमाल ही है। मोदी सरकार कश्मीर में ‘पंडितों’ की समस्या का समाधान नहीं कर पाई है। पंडित अपने घर वापस नहीं जा सकते और भाजपा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर में घुसकर उन्हें मारने की शेखी बघारती है। विदेश मंत्री जयशंकर ने तो लंदन में ऐसा बयान दे दिया कि भारत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर मुद्दे को चुटकियों में सुलझा लेगा। जयशंकर को पहले उस क्षेत्र पर टिप्पणी करनी चाहिए जिसे चीन ने भारत से निगल लिया है। चीनी लाल सेना के सामने घुटने टेकना और पाकिस्तान की बात करना कैसी नीति है? कश्मीर में आतंकवाद जारी है। केवल उस खबर के प्रचार-प्रसार पर रोक है। भारत सरकार मणिपुर मुद्दे का समाधान नहीं कर पाई। बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर नहीं निकाल सकी। अमेरिका भारतीय घुसपैठियों को हथकड़ी लगाकर वापस भेज रहा है। हम प्रेसिडेंट ट्रंप के सामने यह सवाल नहीं उठा सके और भारतीयों का अपमान करना बंद नहीं करवा सके और जयशंकर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर को वापस लाने जा रहे हैं! उनका स्वागत है। लंदन में खालिस्तानी समर्थकों ने जयशंकर के काफिले में घुसकर प्रदर्शन किया। भारत विरोधी नारे लगाए। भारत में अलगाववादियों की दुम फिर हिलने लगी है। इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। कश्मीर का राग जारी रहेगा!