इस्लामिक आतंकवाद को ‘जिहाद’ का नाम देकर पाकिस्तान ने जिस ‘तालिबान’ नामक ब्रह्म राक्षस को जन्म दिया, वह ब्रह्म राक्षस अब पूरी तरह से पाकिस्तान पर हमलावर हो गया है। लेकिन अफगान-पाकिस्तान सीमा से आई ताजा खबर न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया को चिंतित करने वाली है। अफगानिस्तान समर्थक आतंकी संगठन तहरीक-ए-तालिबान (पाकिस्तान) ने गुरुवार को अचानक १६ पाकिस्तानी परमाणु वैज्ञानिकों और कर्मचारियों का अपहरण कर लिया। इस घटना से पाकिस्तान समेत पूरी दुनिया में हड़कंप मच गया है। तालिबान आतंकवादियों ने सीमावर्ती प्रांत खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तान के परमाणु हथियार निर्माण महकमे के खदान को निशाना बनाया। परमाणु अभियंताओं और कर्मचारियों को बंदूक की नोक पर अपने साथ ले जाने के बाद आतंकियों ने उनकी गाड़ी में आग लगा दी। इससे पहले कि पाकिस्तानी सुरक्षा गार्डों के प्रतिरोध करते तहरीक-ए-तालिबान के आतंकवादियों ने पाकिस्तानी परमाणुकर्मियों का अपहरण कर लिया और उन्हें एक अज्ञात स्थान पर ले गए। आतंकी सिर्फ कथित वैज्ञानिक, अभियंताओं और कर्मचारियों का अपहरण करके ही नहीं रुके, बल्कि उन्होंने परमाणु बम बनाने के लिए जरूरी यूरेनियम भी लूट लिया। यूरेनियम भंडार और परमाणुकर्मी तालिबान आतंकवादियों के कब्जे में हैं इसलिए भविष्य में अफगानिस्तान में तालिबान शासन परमाणु बम निर्माण कर सकेगा। ये डर न सिर्फ पाकिस्तान, बल्कि पूरी दुनिया को डरा रहा है। अगर परमाणु बम बनाने की ये तकनीक एक आतंकी संगठन से दूसरे आतंकी संगठन तक पहुंच जाती है तो
संपूर्ण विश्व की सुरक्षा
दांव पर लग सकती है इसलिए तालिबान आतंकवादियों द्वारा पाकिस्तानी परमाणु अभियंताओं और कर्मचारियों के अपहरण को पाकिस्तान तक सीमित घटना मानकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय आराम से नहीं बैठ सकता। अपहरण की घटना के बाद पाकिस्तानी सेना ने दावा किया था कि १६ अपहृतों में से ८ को आतंकवादियों के चंगुल से बचा लिया गया और अपहृत परमाणु वैज्ञानिक नहीं, बल्कि सामान्य कर्मी थे, लेकिन तहरीक-ए-तालिबान के आतंकवादियों ने तुरंत इन कर्मचारियों के पहचान पत्र जारी कर पाकिस्तान के दावे की धज्जियां उड़ा दीं। तालिबान द्वारा ये सबूत सामने लाने के बाद कि ये कर्मचारी पाकिस्तान के परमाणु ऊर्जा आयोग में काम कर रहे थे, पाकिस्तानी परमाणु शस्त्र निर्माण विभाग की कमजोर सुरक्षा प्रणाली का राजफाश हो गया है। परमाणु कर्मियों के अपहरण से न केवल पाकिस्तान की सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया है, बल्कि इस्लामिक आतंकवाद से जूझ रहे अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, भारत समेत दुनियाभर के कई देशों को भविष्य में इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। ऐसे वक्त में जब कई आतंकवादी संगठन यूरेनियम का इस्तेमाल कर महासंहारक बम बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यूरेनियम के साथ परमाणु कर्मचारियों का अपहरण कोई सामान्य बात नहीं है, बल्कि एक भयावह घटना है। अफगानिस्तान की तालिबान सरकार और पाकिस्तान के बीच पिछले चार साल से
रक्तरंजित संघर्ष
चल रहा है। दोनों देशों की फौजें आए दिन एक-दूसरे पर हमले कर रही हैं। केवल २०२४ में ही पाकिस्तान पर ४४४ आतंकी हमले हुए, इसमें पाकिस्तान के ६८५ सैनिक मारे गए। पिछले हफ्ते पाकिस्तान ने अफगानिस्तान पर हवाई हमले भी किए थे। तालिबान सरकार ने आरोप लगाया था कि महिलाओं और बच्चों समेत ४६ लोगों की मौत हो गई। इस घटना के बाद पाकिस्तान में सक्रिय तहरीक-ए-तालिबान ने पाकिस्तानी सेना के प्रतिष्ठानों पर हमले की धमकी दी है। तालिबान आतंकियों ने परमाणु कर्मियों का अपहरण कर इस धमकी को सच कर दिखाया। इस घटना के बाद अपहृत परमाणु वैज्ञानिकों ने पाकिस्तान सरकार से उनकी जान बचाने की मांग की है, आतंकवादियों ने मांग की है कि पाकिस्तान परमाणु कर्मियों के बदले तहरीक-ए-तालिबान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई तुरंत बंद कर दे। १५ अगस्त, २०२१ को जब अफगानिस्तान में तालिबानी सत्ता में आई तो पाकिस्तान ने बड़ा जश्न मनाया, लेकिन वही तालिबान अब पाकिस्तान पर पलटवार कर रहा है। अफगान समर्थक तालिबानी आतंकवादियों द्वारा १६ पाकिस्तानी परमाणु कर्मियों के अपहरण से न केवल पाकिस्तान, बल्कि दुनिया की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया है। यूरेनियम व परमाणु कर्मियों यानी तकनीक और गोला-बारूद का आतंकवादियों के कब्जे में होना एक डरावनी खबर है, जो दुनिया की नींद हराम करनेवाली है!