सरकार कोई भी हो, वह मजबूत होनी चाहिए; लेकिन उसे अड़ियल या हठधर्मी नहीं होना चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ने सेना के तीनों अंगों में ‘अग्निवीर’ नाम से जवानों की भर्ती सिर्फ ४ साल के लिए करने के ऊटपटांग पैâसले को लेकर भी वही अड़ियल नीति अपनाई है। देश सेवा का सपना लेकर सेना की नौकरी में जाने वाले युवाओं को महज ४ साल में घर भेजने के इस अजीबोगरीब पैâसले को सीधे रद्द करने की बजाय सरकार ने अब अग्निवीरों को नई चॉकलेट देने का ऑफर दिया है। सरकार ने केवल चार साल के बाद सैन्य सेवा से सेवानिवृत्त होने वाले अग्निवीरों को पैरामिलिट्री फोर्स भर्ती में १० प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की है। इसका मतलब यह है कि जब सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) और केंद्रीय रिजर्व बल (सीआरपीएफ) जैसे अर्धसैनिक बलों में भर्ती प्रक्रिया आयोजित की जाएगी, तो कुल भर्ती का १०ज्ञ् अग्निवीर योजना से सेवानिवृत्त होने वाले अग्निवीरों के लिए आरक्षित होगा। मूलत: दसवीं पास करने के बाद सत्रह या अठारह वर्ष की आयु में अग्निवीरों के रूप में सेना में भर्ती होने वाले युवाओं को २१ या २२ वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त करने का निर्णय समझ से परे है और अक्ल के दिवालियापन का संकेत है। यह ऐसा भी निर्णय नहीं है कि सरकार हर चार साल में हर भर्ती हुए ७५ प्रतिशत अग्निवीरों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्त करेगी और सेवानिवृत्त होने वाले युवा जवानों में से १० प्रतिशत अग्निवीरों को अर्धसैनिक बल में शामिल करेगी; बीएसएफ और अन्य बलों में १० प्रतिशत भर्ती अग्निवीरों के लिए आरक्षित होगी, यह ऐसा एक गोलमाल निर्णय है। दरअसल, सरकार को अपनी नीति या निर्णय गलत होने या बाद में अहसास होने पर कि इसमें कोई खामी है, उसे वापस लेने का लचीलापन होना चाहिए। यदि सरकार को किसी निर्णय को वापस लेना पड़ता है तो इसे यह न मानते हुए कि यह सरकार की कमजोरी है, बल्कि यह मानते हुए कि वह व्यापक जनहित और देशहित में है उसे दो कदम पीछे हटने के लिए तैयार रहना चाहिए, ऐसी सरकार को ही सही मायने में जनता का और कल्याणकारी राज कहा जाता है। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार पर अहंकार इतना हावी है कि जब ‘अग्निवीर’ योजना की हर तरफ आलोचना हो रही है, तब भी सरकार पीछे हटने को तैयार नहीं है। देश के ज्यादातर लोगों की राय है कि सेना के तीनों अंगों में अग्निपथ योजना के तहत अग्निवीर की नियुक्ति सिर्फ चार साल के लिए करने का सरकार का पैâसला पूरी तरह से गलत है और इस योजना को पूरी तरह से रद्द कर देना चाहिए। अग्निवीर योजना रद्द करें, यह न केवल इंडिया गठबंधन के विपक्षी दलों की मांग है, बल्कि एनडीए सरकार में मोदी के कई सहयोगियों की भी यही भूमिका है। राजनीतिक दलों के साथ-साथ पूर्व सैन्य अधिकारी भी अग्निवीर योजना के खिलाफ हैं। यहां तक कि विभिन्न समाचार चैनलों पर गला फाड़कर भाजपा की वकालत करने वाले कई सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी भी कभी-कभी अग्निवीर योजना पर सरकार की आलोचना करते देखे जाते हैं। हालांकि, जिस तरह केंद्र सरकार ने किसानों से जुड़े तीन काले कृषि कानूनों को लेकर अड़ियल नीति अपनाई थी, सरकार ने अग्निवीर योजना को लेकर भी वही रुख अपनाया है। यहीं से सरकार ने कुछ फुटकर और क्षुद्र प्रलोभन प्रस्ताव लाकर अग्निवीरों को गुमराह करना शुरू कर दिया है। चारों तरफ से अग्निवीर योजना पर आलोचना ने सरकार को दुविधा में डाल दिया है। सरकार खुले दिल से अपने पैâसले को गलत स्वीकार कर योजना रद्द करने की बजाय अग्निवीरों को नया लॉलीपॉप देने की कोशिश की है। केवल चार साल की सैन्य सेवा के बाद सेवानिवृत्त होने वाले युवा अग्निवीरों को अर्धसैनिक भर्ती में केवल १० प्रतिशत आरक्षण देना पूरी तरह से धोखाधड़ी है। ऐन युवावस्था में हजारों की संख्या में बेरोजगार होने वाले युवा अग्निवीर फौज की रोजी-रोटी की समस्या का समाधान क्या इस १० फीसदी आरक्षण के लॉलीपॉप से हो जाएगा?