देवेंद्र फडणवीस ने अपने एक ऐतिहासिक अनुसंधान के चलते दावा किया कि छत्रपति शिवराय ने सूरत को नहीं लूटा। यह शिवराय के मर्दाना इतिहास को खत्म करने के लिए फडणवीस द्वारा शुरू किए गए अभियान का एक हिस्सा है। देवेंद्र फडणवीस ने शिवराय और उनके द्वारा रचे गए इतिहास का एक और अपमान करने का दुस्साहस किया है। क्या हर दिन छत्रपति का एक नया अपमान करने की नीति फडणवीस और उनकी भाजपा ने स्वीकार कर ली है? शिवराय की लड़ाई में आगरा से छुटकारा और सूरत की लूट ये दो रोमांचक प्रसंग हैं। इसके बिना इतिहास आगे नहीं बढ़ सकता अब महामहोपाध्याय फडणवीस कहते हैं, ‘महाराज ने सूरत पर चढ़ाई ही नहीं की। कांग्रेस ने देश को गलत इतिहास सिखाया।’ महाराजा ने सूरत को लूटा वह स्वराज्य के लिए और उस वक्त कांग्रेस का जन्म नहीं हुआ था। ब्रिटिश और पुर्तगाली इतिहासकारों ने महाराजा द्वारा सूरत पर किए गए हमले को पक्के तौर पर दर्ज किया है, लेकिन महामहोपाध्याय फडणवीस को यह स्वीकार नहीं है। जिस तरह मालवण में शिवराय की मूर्ति की तोड़-फोड की गयी उसी तरह, उन्होंने इतिहास को तोड़-फोड करने की सुपारी ली है और यह महाराष्ट्र के लिए घातक है। फडणवीस वर्तमान में गुजरात के राजनेता और व्यापार मंडल के गुलाम बन गए हैं। महाराजा द्वारा सूरत को लूटने का घाव अभी भी हरा है इसलिए मोदी-शाह के नेतृत्व में सूरत के बदले मुंबई को लूटने का काम चल रहा है। महाराजा द्वारा सूरत को लूटे जाने का इतिहास गुजरात व्यापार मंडल को स्वीकार नहीं है। इसलिए फडणवीस शिवराय का इतिहास बदलने की कोशिश कर रहे हैं। जिन फडणवीस को पेशवाओं की, उनकी अपनी पार्टी की, आजादी की लड़ाई में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की ब्रिटिशनीत नीतियों के इतिहास की जानकारी नहीं है तो उन्हें शिवराय के जीवन चरित्र के पहलुओं की जानकारी वैâसे हो सकती है? शिवाजी महाराज ने सूरत को एक नहीं बल्कि दो बार लूटा। सूरत की दूसरी लूट की खबर २० फरवरी १६७२ को यूरोप के ‘द लंदन गजट’ अखबार के पहले पन्ने पर प्रकाशित हुई। पुणे के मालोजीराव जगदाले ३५२ वर्ष पुराने अत्यंत दुर्लभ अखबार की प्रामाणिक प्रति भारत लाए। इस तरह सूरत की लूट को लेकर जिन ‘संघी’ इतिहासकारों ने हमेशा एक प्रश्नचिह्न निर्माण किया था वे औंधे मुंह गिर गए। महाराज द्वारा सूरत की लूट का रिकॉर्ड लंदन के ऐतिहासिक संग्रहालय में है और महाराज के नकली बघनखों का राजनीतिक जुलूस निकालने वाले फडणवीस को इंग्लैंड जाकर सूरत लूट के इतिहास को समझने की कोशिश करनी चाहिए। शिवाजी महाराज की सूरत पर हमले की सूचना सूरत के अंग्रेज अधिकारियों ने ‘द लंदन गजट’ के संपादकों को भेजी थी। वो जस की तस छप गयी। खबर के पहले ही पैराग्राफ में लिखा है, ‘शिवाजी एक क्रांतिकारी विद्रोही (रिबेल)हैं, जिन्होंने मुगलों को अनेक युद्ध में चारोखाने चित किया है, वे अब लगभग पूरे देश के शासक बन गए हैं।’ ‘द लंदन गजट’ भारत के राजनीतिक मामलों को महत्व देता था। यह अखबार इंग्लैंड के राजा का आधिकारिक तौर पर मान्यता प्राप्त समाचार पत्र था। ‘द लंदन गजट’ को ब्रिटिश शाही परिवार का आधिकारिक माउथपीस माना जाता था और इसकी खबरें दुनिया भर में पैâलाने के लिए विशेष प्रयास किए जाते थे। शिवराय द्वारा सूरत पर हमले और उसे लूटे जाने की खबर मुख्य पृष्ठ पर छपी थी जो महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक है। शिवाजी महाराज को स्वराज्य के निर्माण के लिए धन की आवश्यकता थी। सूरत मुगलों का एक प्रमुख बंदरगाह था। इस बंदरगाह से मुगलों का व्यापार फारस की खाड़ी तक चलता था। यहां बहुत से धनी व्यापारी थे। अत: यह सोचकर कि यदि सूरत को लूट लिया गया तो मुगलों को गहरा झटका लगेगा और स्वराज्य की स्थापना के लिए धन मिल जाएगा इसलिए महाराज ने सूरत पर हमला किया था। सर जदुनाथ सरकार ने अपनी पुस्तक ‘शिवाजी एंड हिज टाइम्स’ में सूरत लूट की कहानी साक्ष्य सहित प्रस्तुत की है। अब चार सौ साल बाद फडणवीस ने एक नया इतिहास प्रस्तुत किया और घोषणा की कि महाराज ने सूरत को नहीं लूटा। उस वक्त सूरत में अंग्रेजों के गोदाम थे। पुर्तगालियों की भी सूरत में सुगबुगाहट चल रही थी। इन सभी के पास अपार धन संपदा थी और इसका बड़ा हिस्सा मुगलों को मिलता था। महाराज की नीति थी कि मुगलों के आर्थिक सूत्र तोड़ने के लिए सूरत को लूटा जाए और इसी के मद्देनजर महाराजा ने सूरत पर हमला कर परचम लहराया, जब यह ऐतिहासिक तथ्य है तो शिवराय का नया इतिहास प्रस्तुत करके महामहोपाध्याय फडणवीस क्या हासिल कर रहे हैं? पहली वजह यह कि महामहोपाध्याय फडणवीस को शिवराय का शौर्य स्वीकार न हो या फिर महाराष्ट्र के राजा द्वारा सूरत को लूटे जाने का जख्म आज के गुजराती व्यापारी मंडल को तकलीफ दे रहा है। इसलिए सूरत की लूट से शिवराय के संबंध न होने की बात महामहोपाध्याय देवेंद्र फडणवीस कर रहे हैं, जो दूसरी वजह हो सकती है। देश की आजादी की लड़ाई और महाराष्ट्र के निर्माण में शून्य योगदान देने वालों की यह औलाद हैं। अगर ये देश लूटते हैं तो चलता है, लेकिन महाराज ने हिंदवी स्वराज्य की स्थापना के लिए सूरत लूटा वे इस इतिहास को बदलने जा रहे हैं।