सर्वोच्च न्यायालय ने राज्य की मिंधे-फडणवीस सरकार को असंवैधानिक करार देते हुए मुहर लगा दी है। लेकिन अब वह ठगों और जालसाजों की होने का भी आरोप सिद्ध करनेवाली घटना घटी है। मिंधे-फडणवीस सरकार में पैसे के बदले में मंत्री पद दिलाने का झांसा देनेवाले एक ठग को गिरफ्तार किया गया है। उसका नाम नीरज सिंह राठोड़ है और वह गुजरात से है। यह ठग खुद को भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का ‘पीए’ बताता था और उसने भाजपा के कुछ विधायकों को ठगने की कोशिश की। उसमें भाजपा के मध्य नागपुर के विधायक विकास कुंभारे भी थे। कुंभारे की ही शिकायत के कारण यह ठग फिलहाल गिरफ्त में है। यानी ठग देश के प्रधानमंत्री-गृहमंत्री के प्रदेश का है, वह जिसका टीका लगाकर घूम रहा था, वह सत्ताधारी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष का और जिन विधायकों को उसने धोखा देने की कोशिश की, वे भी सत्ता पक्ष के ही थे। ऐसे ‘हिम्मतवाले’ इस ठग को लेकर हैरानी जताई जाए या ‘जैसी करनी, वैसी भरनी’ कहकर शासकों को ही आरोपी के पिंजरे में खड़ा किया जाए! कुछ महीने पहले गुजरात के ही किरण पटेल नामक एक ठग के कारनामे का खुलासा हुआ था। नीरज सिंह राठोड़ ने खुद को भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पीए बताया तो किरण पटेल ने प्रधानमंत्री कार्यालय को ही ‘हाईजैक’ कर लिया था। खुद को ‘पीएमओ’ का अधिकारी बताते हुए सीधे जम्मू-कश्मीर पुलिस का ‘शाही आतिथ्य’ प्राप्त किया। इतना ही नहीं, जेड प्लस सुरक्षा, बुलेटप्रूफ एसयूवी कार और पांच सितारा होटल में ठहरने जैसी सुविधाओं का उसने उपभोग भी किया। वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों की बैठक लेने से लेकर नियंत्रण रेखा का दौरा करने तक दुस्साहस उसने किया। अब यह ठग भी गिरफ्त में है। लेकिन सवाल सिर्फ इतना है कि ठगी और फर्जीवाड़ा की यह फसल हाल में देश और महाराष्ट्र में भी क्यों दिखने लगी है? जिस मिट्टी में शूरवीर, क्रांतिकारी, देशभक्त, विद्वान, संत-महात्मा पैदा हुए, उसी मिट्टी में चोर, डाकू, ठग, लफंगे, शेखीबाज, बहुरूपिए वैâसे पनपने लगे हैं? इस परिवर्तन का संबंध वास्तव में किससे है? मिट्टी से भी अधिक ‘बुआई और छिड़काव’ से उसका संबंध ज्यादा हो सकता है। क्योंकि दिल्ली से लेकर गल्ली तक पिछले कुछ वर्षों में हर जगह ठगी और जालसाजी का ही बोलबाला है। राजनीतिक उथल-पुथल और तोड़फोड़ करके राज्यों में सरकार स्थापित करने का एकसूत्री कार्यक्रम वर्तमान सत्ताधारियों की ओर से चलाया जा रहा है। खोखली घोषणाएं और आश्वासनों के गुब्बारे छोड़कर आम जनता को ठगा जा रहा है। धर्मवाद और राष्ट्रवाद का मुखौटा पहनकर पाखंड को खाद-पानी डाला जा रहा है। हर तरफ ऐसी ‘फर्जी’ बुआई और छिड़काव के कारण ही क्या देश में ठगों और जालसाजों की पैदाइश बढ़ गई है? क्या इसी वजह से सत्ताधारी दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर अपनी ही पार्टी के विधायकों को लाखों-करोड़ों के बदले में मंत्री पद का गाजर दिखाने का साहस मिल रहा है? यदि यही बात किसी और राजनीतिक दल के साथ होती तो भाजपा के ठगों ने मसाल जलाकर राजनीतिक हो-हल्ला मचा दिया होता। उनकी साइबर फौज ने सोशल मीडिया पर तूफान ला दिया होता। लेकिन यहां उनकी अपनी पार्टी है, उन्हीं की पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष, विधायक और ठग भी उन्हीं के गृह राज्य का! हालांकि, जिस सरकार में मंत्री पद के लिए यह जालसाजी की गई, वह महाराष्ट्र सरकार भी ठगी करके ही सत्ता में स्थापित की गई। इसलिए बिना गिरफ्तारी के सब शांत वैâसे हैं। अब इसमें भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कुछ दोष, संबंध होगा, ऐसा नहीं है। लेकिन उनके नाम से और उन्हीं की पार्टी के विधायकों को झांसा देने की कोशिश की गई, इसकी जिम्मेदारी तो पार्टी को लेनी ही होगी। नीरज सिंह राठोड़ की गिरफ्तारी, पुलिस की कार्रवाई का हिस्सा हुआ। असली सवाल यह है कि देश में और महाराष्ट्र में भी ठगी, जालसाजी, धोखाधड़ी की फसल क्यों बढ़ गई है, चूंकि ठगी आपकी पार्टी के नाम पर की गई है, इसलिए इस प्रश्न का उत्तर देना आपकी ही जिम्मेदारी है। जनता को झूठे आश्वासन देकर, फर्जी राष्ट्रवाद की ‘डोरी बांधकर’ सत्ता हथियाने वाले, शिवसेनाप्रमुख का कर्ज भूलकर शिवसेना के गद्दारों की मदद से महाराष्ट्र धर्म की पीठ में छुरा घोंपनेवालों के राज में ठगी और जालसाजी ही पैâलेगी! जहां ‘खोके के बदले में सरकार’ स्थापित होती है, वहां ‘पैसों के बदले में मंत्री पद’ की ‘नीलामी’ करनेवाले ठगों और जालसाजों का ही बोलबाला होगा! कर्नाटक की जनता ने इस ठगी को पहचाना और उसे तोड़-फोड़ डाला। महाराष्ट्र में भी यही होनेवाला है। क्योंकि महाराष्ट्र में भी ‘ठगों का ठगों के लिए’ काम कर रही सरकार सत्ता में है। नीरज सिंह राठोड़ का मामला इसका ही सबूत है।