महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव का आखिरी यानी पांचवां चरण २० मई को है। इसलिए प्रचार का रण आज शांत हो रहा है। शुक्रवार को नरेंद्र मोदी की सभा शिवतीर्थ पर हुई और महाविकास आघाड़ी की सभा बांद्रा के बीकेसी में हुई। आज शनिवार शाम ५ बजे चुनाव प्रचार खत्म हो जाएगा। मुंबई की ६ सीटों समेत १३ लोकसभा सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसलिए शुक्रवार-शनिवार महाप्रचार का दिन होगा। शिवाजी पार्क में मोदी और राज ठाकरे की एक साथ तस्वीर मजेदार थी। महाराष्ट्रद्रोही मोदी-शाह को यहां पर पांव मत रखने दो, ऐसा कहने वाले, हुंकार भरने वाले नेता जब अपने स्वाभिमान वगैरह की गठरी बांधकर उन्हीं मोदी-शाहों के चरणों में बैठकर सुपारी काटते हैं तो मर्हाठी जनता गारंटी दे रही है कि ऐसी पार्टी और नेताओं की दुकानें भविष्य में हमेशा के लिए बंद हो जाएंगी। विचारों की विरासत यानी अंतत: सहूलियत की राजनीति। इस समय प्रचार में ‘शिंदे’ जैसे लोग कह रहे थे कि वे हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे के विचारों के ‘वाहक’ हैं और महाराष्ट्र ने देखा कि मोदी-शाह व्यापारी मंडल, इस तरह का तुनतुना बजा रहे थे कि शिंदे, राणे, राज आदि ही बालासाहेब के सच्चे उत्तराधिकारी हैं। मोदी-शाह इन दो व्यापारियों को यह वैâसे एहसास हुआ कि अपना ईमान बेचने वाले शिंदे, राज, राणे शिवसेनाप्रमुख के खास वारिस हैं? जो सब कुछ खाकर, निगलकर अपनी खाल बचाने के लिए भाग गए और फिर शिवसेना पर भौंकने लगे, ऐसे डरपोक लोग बालासाहेब के वारिस आदि कभी नहीं हो सकते। हिंदूहृदयसम्राट ने निष्ठावान शिवसैनिकों को एक मंत्र दिया, ‘एक बार नहीं लड़ोगे तो भी चलेगा, लेकिन खुद को मत बिकने देना!’ कहने का मतलब यह है कि जो बिक गए और जिन्हें खरीदकर अपने कदमों में रख लिया, प्रचार के दौरान मोदी ने उन्हें मंच पर बिठाकर लोगों का मनोरंजन किया। मोदी एक असंवेदनशील व्यक्ति हैं। घाटकोपर में होर्डिंग हादसे में १६ लोगों की मौत हो गई। हो सकता है कि कुछ और लोग मलबे में दबे हों, लेकिन उनका पता नहीं चला है। मोदी और उनके लोगों ने उस शोक संतप्त क्षेत्र में एक भव्य ‘रोड शो’ किया और यह बता दिया कि उन्हें लोगों की मौत के प्रति कोई संवेदना नहीं है। मोदी प्रधानमंत्री कम और ‘इवेंट नायक’ ज्यादा हैं। वे जन्म और मौत को इवेंट भी बनाते हैं। उन्होंने पिछले दस साल में भाजपा को एक इवेंट कंपनी बना दिया और मोदी उस इवेंट कंपनी के ‘सीईओ’ बन गए। मौके पर रोना, हंसना, पूजा करना, झूठ बोलना, कपाल पर भस्म लगाना, गरीबों पर दया करने का ढोंग करना, खुद को विश्वगुरु होने का दिखावा करना और इसके लिए भाड़े के चारण लाना। फकीर होने का दावा करना और करोड़ों के कपड़े, महंगी घड़ियां, पेन, विशेष विमान का ‘भोग’ करना ये उनका धंधा है। उनके भोग के लिए जिन पैसों की जरूरत पड़ती है, उसकी लूट उन्हें मुंबई-महाराष्ट्र से करनी है। नहीं, पिछले दस वर्षों में ऐसी लूट से ही उन्होंने मुंबई को कंगाल बना दिया। महाराष्ट्र के युवा बेरोजगारों और किसानों को भिखारी बना दिया। ऐसे मोदी की गोद में बैठने वालों को महाराष्ट्र, मर्हाठी स्वाभिमान आदि के बारे में बात करने का कोई अधिकार नहीं है। महाराष्ट्र इस बार मोदी का दारुण पराभव कर रहा है। मोदी राज्य में रिकॉर्ड सभाएं कर रहे हैं और जहां भी मोदी जाते हैं लोग उनसे सवाल कर रहे हैं। मोदी देश के मुद्दों पर बात नहीं करते। वे केवल हिंदू-मुसलमान, उद्धव ठाकरे, शरद पवार के बारे में ही बात करते हैं और उन लोगों की प्रशंसा करते हैं, जो कल तक भ्रष्ट थे और देश को लूट रहे थे। उन्हें मंच पर गले लगाया जाता है। प्रज्वल रेवन्ना ने २,००० से अधिक बलात्कार किए। मोदी ऐसे सभी रेवन्ना और ‘काम’न्ना को अपने कंधे पर और गोद में लेकर जीतना चाहते हैं। मुंबई के शिवाजी पार्क में इस सबका प्रदर्शन हुआ। इस लोकसभा चुनाव के दौर में मोदी का प्रचार, उनका झूठ, पाखंड, कट्टरता सब दुखदाई हो गई। मोदी जल्द ही पचहत्तर साल के हो जाएंगे। इसलिए उनके दिमाग और शरीर पर पड़ने वाला तनाव उनकी वाणी में दिखने लगा है। मराठी संगीत नाटक में एक ‘पद’ है ‘म्हातारा ना इतुका अवघे पाऊणशे वयोमान’ जिसका मतलब है ‘इतना भी बूढ़ा नहीं, उम्र सिर्फ ७५ साल है’। जब मोदी पचहत्तर साल के हो रहे हैं, तब भी भाजपा स्वार्थ के लिए उन्हें गुलाम की तरह इस्तेमाल कर रही है। मोदी १८ घंटे काम करते हैं। उन्हें नींद नहीं आती। ऐसा लगता है कि उन्हें नींद और आराम की जरूरत है। शिवाजी पार्क की सभा ने मोदी के आराम का रास्ता साफ कर दिया है। महाराष्ट्र मोदी को आराम देगा।